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गिरिराजशरण अग्रवाल
© कॉपीराइट: गिरिराजशरण अग्रवाल। कविता कोश के पास संकलन की अनुमति है। इन रचनाओं का प्रयोग गिरिराजशरण अग्रवाल की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता।
जन्म | 14 जुलाई 1944 |
---|---|
जन्म स्थान | संभल, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
सन्नाटे में गूँज (ग़ज़लें), भीतर शोर बहुत है (ग़ज़लें), मौसम बदल गया कितना (ग़ज़लें), शिकायत न करो तुम (ग़ज़लें), अक्षर हूँ मैं | |
विविध | |
सारस्वत सम्मान (2003), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का 'साहित्य भूषण सम्मान (2008), मानव संसाधन मंत्रालय का 'शिक्षा पुरस्कार' (2008) सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित | |
जीवन परिचय | |
गिरिराज शरण अग्रवाल / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- आकांक्षा / गिरिराज शरण अग्रवाल
- संबंध / गिरिराज शरण अग्रवाल
- राजनीति में जीते हुए / गिरिराज शरण अग्रवाल
- प्रश्न / गिरिराज शरण अग्रवाल
- संसार : नियति / गिरिराज शरण अग्रवाल
- मेरी झोली में आकाश / गिरिराज शरण अग्रवाल
- बच्चों के बीच / गिरिराज शरण अग्रवाल
- एक हो जाएँ / गिरिराज शरण अग्रवाल
- ओ कठोर / गिरिराज शरण अग्रवाल
ग़ज़लें
- स्वार्थ का सुख और है, सेवा का सागर और है / गिरिराज शरण अग्रवाल
- किसने सोचा धूपबत्ती राख हो जाती है क्यों / गिरिराज शरण अग्रवाल
- इसे रोशनी दे, उसे रोशनी दे / गिरिराज शरण अग्रवाल
- धूप बनकर फैल जाओ, चाँदनी बनकर जियो / गिरिराज शरण अग्रवाल
- रोशनी बनकर पिघलता है उजाले के लिए / गिरिराज शरण अग्रवाल
- रोकेंगे हादिसे मगर चलना न छोड़ना / गिरिराज शरण अग्रवाल
- पिघलकर पर्वतों सा हमने ढल जाना नहीं सीखा / गिरिराज शरण अग्रवाल
- हर नया मौसम नई संभावना ले आएगा / गिरिराज शरण अग्रवाल
- कालिख जो कोई मन की हटाने का नहीं है / गिरिराज शरण अग्रवाल
- मन कभी घर में रहा, घर से कभी बाहर रहा / गिरिराज शरण अग्रवाल
- कल का युग हो जाइए, अगली सदी हो जाइए / गिरिराज शरण अग्रवाल
- चाहतें, प्यार, सदाचार न जाने देना / गिरिराज शरण अग्रवाल
- जहाँ तक बन पड़े अपनों की अनदेखी नहीं करना / गिरिराज शरण अग्रवाल
- हर क़दम वो साथ है क्यों यह भरोसा छोड़ दें / गिरिराज शरण अग्रवाल
- सागर हो कि वन हो कि नगर, सबके लिए हो / गिरिराज शरण अग्रवाल
- क़दम मिलकर उठें तो रास्ता अक्सर निकलता है / गिरिराज शरण अग्रवाल
- गर नहीं है रास्ता तो रास्ता पैदा करो / गिरिराज शरण अग्रवाल
- फूल सपनों के खिलेंगे, कामना करते चलें / गिरिराज शरण अग्रवाल
- हँसने को बहुत है, न हँसाने को बहुत है / गिरिराज शरण अग्रवाल
- चलना है साथ-साथ, मचलना है साथ-साथ / गिरिराज शरण अग्रवाल