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ओमप्रकाश यती
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ओमप्रकाश यती
जन्म | 03 दिसम्बर 1959 |
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उपनाम | यती |
जन्म स्थान | छिब्बी गाँव, जिला बलिया, उत्तरप्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
बाहर छाया भीतर धूप (ग़ज़ल संग्रह),
सच कहूँ तो (ग़ज़ल संग्रह) | |
विविध | |
कमलेश्वर द्वारा संपादित हिन्दुस्तानी ग़ज़लें, ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद..,सात आवाजें सात रंग तथा कई अन्य महत्वपूर्ण संकलनों में ग़ज़लें सम्मिलित । नागपुर में आयोजित प्रसार भारती के सर्वभाषा कवि–सम्मेलन 2008 में कन्नड़ कविता के अनुवादक कवि के रूप में भागीदारी। अखिल भारतीय कला मंच,मेरठ द्वारा दुष्यन्त स्मृति सम्मान-2011 प्रदान किया गया. | |
जीवन परिचय | |
ओमप्रकाश यती / परिचय |
ग़ज़ल-संग्रह
ग़ज़ल-संग्रह
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- भाव दो,भाषा प्रखर दो शारदे / ओमप्रकाश यती
- अँधेरे जब ज़रा सी रौशनी से भाग जाते हैं / ओमप्रकाश यती
- क्या खोएंगे आज न जाने / ओमप्रकाश यती
- मदद करना बहुत दुश्वार था / ओमप्रकाश यती
- हक़ीक़त ज़िन्दगी की ठीक से जब जान जाओगे / ओमप्रकाश यती
- घर जलेंगे उनसे इक दिन.../ ओमप्रकाश यती
- लोग सिर्फ औरों को फलसफे पढ़ाते हैं / ओमप्रकाश यती
- खेतों-खलिहानों की,फसलों की खुशबू / ओमप्रकाश यती
- खेत में काम वो करती जाती / ओमप्रकाश यती
- मन में भाव बुरे लाने से आखिर क्या हो जाएगा / ओमप्रकाश यती
- कटा जो मुश्किलों से उस सफ़र की याद आती है / ओमप्रकाश यती
- दुनिया जगर-मगर है कि मजदूर-दिवस है / ओमप्रकाश यती
- हँसी आती नहीं है ... / ओमप्रकाश यती
- नौकरी की शर्त पूरी की नहीं / ओमप्रकाश यती
- प्रेम के,अठखेलियों के दिन गए / ओमप्रकाश यती
- पहलू में ही डर कर प्यार सिमट आया है / ओमप्रकाश यती
- पता है अन्त में किस राह पर.. / ओमप्रकाश यती
- अब खुले आँख-कान रहने दो / ओमप्रकाश यती
- छिपे हैं मन में जो .. / ओमप्रकाश यती
- क्रोध में आई अगर तो / ओमप्रकाश यती
- मिटाने के लिए दिन को अँधेरा रोज आता है / ओमप्रकाश यती
- कितने टूटे कितनों का मन हार गया / ओमप्रकाश यती
- खेत सारे छिन गए... / ओमप्रकाश यती
- मान लिया वो ही जो दर्पण कहता है / ओमप्रकाश यती
- कुछ ऐसा अभिशाप रहा..../ ओमप्रकाश यती
- गाँव की समझी कभी क़ीमत नहीं .. / ओमप्रकाश यती
- दीपमाला सज गई.... / ओमप्रकाश यती
- छीन लेगी नेकियाँ... / ओमप्रकाश यती
- थके मजदूर रह-रह कर... / ओमप्रकाश यती
- बुरे की हार हो जाती है.. / ओमप्रकाश यती
- बहुत नज़दीक का भी साथ सहसा छूट जाता है / ओमप्रकाश यती
- अपने भीतर क़ैद बुराई से लड़ना / ओमप्रकाश यती
- अभागे गाँव को ढाढस बँधाने कौन आएगा / ओमप्रकाश यती
- इस तरह कब तक हँसेगा गाएगा / ओमप्रकाश यती
- आदमी क्या रह नहीं पाए सम्हल के देवता / ओमप्रकाश यती
- देखिए अब बैठता है ऊँट किस करवट मियाँ / ओमप्रकाश यती
- मन में मेरे उत्सव जैसा हो जाता है /ओमप्रकाश यती
- दिल में सौ दर्द पाले बहन-बेटियाँ / ओमप्रकाश यती
- पर्वत, जंगल पार करेगी बंजर में आ जाएगी / ओमप्रकाश यती
- तुम्हें कल की कोई चिन्ता नहीं है / ओमप्रकाश यती
- स्वार्थ की अंधी गुफ़ाओं तक रहे / ओमप्रकाश यती
- कुछ नमक से भरी थैलियाँ खोलिए / ओमप्रकाश यती
- दुख तो गाँव-मुहल्ले के भी हरते आए बाबूजी / ओमप्रकाश यती
- होने में सुबह पलक झपकने की देर है / ओमप्रकाश यती
- फूस–पत्ते अगर नहीं मिलते / ओमप्रकाश यती
- कौन मानेगा नसीहत ही मेरी / ओमप्रकाश यती
- देखो कितने अच्छे मेरे साथी हैं / ओमप्रकाश यती
- ज़िदगी सादा–सहज हो / ओमप्रकाश यती
- क्यों शहरों में आकर ऐसा लगता है / ओमप्रकाश यती
- हँसी को और खुशियों को हमारे साथ रहने दो / ओमप्रकाश यती
- कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया / ओमप्रकाश यती
- रिश्तों का उपवन इतना वीरान नहीं देखा / ओमप्रकाश यती
- नदी कानून की, शातिर शिकारी तैर जाता है / ओमप्रकाश यती
- नज़र में आजतक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला / ओमप्रकाश यती
- इक नयी कशमकश से गुजरते रहे / ओमप्रकाश यती
- न शाहों में है ना अमीरों में है / ओमप्रकाश यती
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