भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कुछ और कविताएँ / शमशेर बहादुर सिंह
Kavita Kosh से
कुछ और कविताएँ
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | शमशेर बहादुर सिंह |
---|---|
प्रकाशक | राधाकृष्ण प्रकाशन |
वर्ष | 1961 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 90 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अम्न का राग / शमशेर बहादुर सिंह (लम्बी कविता)
- बात बोलेगी / शमशेर बहादुर सिंह
- सूरज उगाया जाता / शमशेर बहादुर सिंह
- चित्तप्रसाद की 'बहार' शीर्षक कविता सुनकर / शमशेर बहादुर सिंह
- एक आदमी दो पहाड़ों को कुहनियों से ठेलता / शमशेर बहादुर सिंह
- वाम वाम वाम दिशा / शमशेर बहादुर सिंह
- हमारे दिल सुलगते हैं / शमशेर बहादुर सिंह
- ऐसा ही प्रण / शमशेर बहादुर सिंह
- वसन्त पंचमी की शाम / शमशेर बहादुर सिंह
- माई / शमशेर बहादुर सिंह
- कुछ मुक्तक / शमशेर बहादुर सिंह
- तड़पती हुई-सी ग़ज़ल कोई लाए / शमशेर बहादुर सिंह
- कुछ शेर / शमशेर बहादुर सिंह
- चाँद से थोड़ी-सी गप्पें / शमशेर बहादुर सिंह
- एक पत्राचार / शमशेर बहादुर सिंह
- होली : रंग और दिशाएँ / शमशेर बहादुर सिंह
- धूप कोठरी के आईने में खड़ी / शमशेर बहादुर सिंह
- घिर गया है समय का रथ / शमशेर बहादुर सिंह
- लौट आ ओ धार / शमशेर बहादुर सिंह
- पैमान वफ़ा का बाँधा / शमशेर बहादुर सिंह
- गीत है यह गिला नहीं / शमशेर बहादुर सिंह
- न पलटना उधर / शमशेर बहादुर सिंह
- शाम और रात : तीन स्टैंजा / शमशेर बहादुर सिंह
- सूना-सूना पथ है, उदास झरना / शमशेर बहादुर सिंह
- ज़िन्दगी का प्यार / शमशेर बहादुर सिंह
- हार-हार समझा मैं / शमशेर बहादुर सिंह
- टूटी हुई, बिखरी हुई / शमशेर बहादुर सिंह
- बँधा होता भी / शमशेर बहादुर सिंह
- धरो शिर / शमशेर बहादुर सिंह
- एक मुद्रा से / शमशेर बहादुर सिंह
- सावन / शमशेर बहादुर सिंह
- उत्तर / शमशेर बहादुर सिंह
- जो तुम भूल जाओ तो हम भूल जाएँ / शमशेर बहादुर सिंह
- रुबाई / शमशेर बहादुर सिंह
- ये लहरें घेर लेती हैं / शमशेर बहादुर सिंह
- मूँद लो आँखें / शमशेर बहादुर सिंह
- एक मौन / शमशेर बहादुर सिंह
- सींग और नाख़ून / शमशेर बहादुर सिंह
- शिला का ख़ून पीती थी / शमशेर बहादुर सिंह
- बोध / शमशेर बहादुर सिंह
- 'यामा' कवि से / शमशेर बहादुर सिंह
- भुवनेश्वर / शमशेर बहादुर सिंह
- निंदिया सतावे / शमशेर बहादुर सिंह
- फाल्गुन शुक्ला सप्तमी की शाम,55 / शमशेर बहादुर सिंह
- रुबाई / शमशेर बहादुर सिंह
- मैं आप से कहने को ही था, फिर आया ख़याल एकाएक / शमशेर बहादुर सिंह
- कहो तो क्या न कहें, पर कहो तो क्योंकर हो / शमशेर बहादुर सिंह
- जहाँ में अब तो जितने रोज अपना जिना होता है / शमशेर बहादुर सिंह
- कुछ शेर / शमशेर बहादुर सिंह