भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"श्रेणी:प्रेम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: '''क्या कभी साहिर को भूली अमृता''' जिन्दगी में आ गयी है रिक्तता | मन …)
(कोई अंतर नहीं)

22:31, 6 अप्रैल 2011 का अवतरण

क्या कभी साहिर को भूली अमृता


जिन्दगी में आ गयी है रिक्तता |

मन में फैली कैसी है ये तिक्तता ||


प्रेम में इस कदर अँधा हो गया |

दुनिया से है हो गयी अनभिज्ञता ||


जी रहा हूँ अतीत में मैं इस कदर |

की देखता हूँ भविष्य, दिखती शून्यता ||


शिथिल तन में मन हुआ है बदहवास |

खुशमिजाजी में हुई है न्यूनता ||


एक दोराहे पे आ ठिठका खड़ा हूँ |

एक तरफ है प्रेम दूजे पूर्णता ||


जिन्दगी में आ गया इमरोज, फिर भी |

क्या कभी साहिर को भूली अमृता?

(Thursday, July 15, 2010)

यह कविता स्वरचित है. केशवेंद्र

"प्रेम" श्रेणी में पृष्ठ

इस श्रेणी में निम्नलिखित 105 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 105

?

ब आगे.