भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सच कहना यूँ अंगारों पर चलना होता है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
 
* [[अपनी मंज़िल का पता सबसे पूछते आये / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[अपनी मंज़िल का पता सबसे पूछते आये / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[काट दो तो और कल्ले फूटते हैं / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[काट दो तो और कल्ले फूटते हैं / डी. एम. मिश्र]]
* [[आस्तीनों में पलेंगे साँप[ / डी. एम. मिश्र]]
+
* [[आस्तीनों में पलेंगे साँप / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[रात है पूस की और कपड़े नहीं / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[रात है पूस की और कपड़े नहीं / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[जिनके घर में दौलत की वर्षा होती / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[जिनके घर में दौलत की वर्षा होती / डी. एम. मिश्र]]
पंक्ति 35: पंक्ति 35:
 
* [[हादसों के नगर में चले जा रहे / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[हादसों के नगर में चले जा रहे / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[पत्थरों से तो सर बचा आये / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[पत्थरों से तो सर बचा आये / डी. एम. मिश्र]]
* [[सच कहना यूँ अंगारों पर चलना होता है / डी. एम. मिश्र]]
+
* [[सच कहना यूँ अंगारों पर चलना होता है (ग़ज़ल) / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[जो हुआ सो हुआ छोड़ दो सोचना / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[जो हुआ सो हुआ छोड़ दो सोचना / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[अगर क़लम में धार नहीं तो क्या मतलब / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[अगर क़लम में धार नहीं तो क्या मतलब / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[जो तुझे भूल गए तू भी उन्हें याद न कर / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[जो तुझे भूल गए तू भी उन्हें याद न कर / डी. एम. मिश्र]]
* [[ / डी. एम. मिश्र]]
+
* [[खाये पिये अघाये लोग / डी. एम. मिश्र]]
* [[ / डी. एम. मिश्र]]
+
* [[सफ़र में ये होता है हैरां नहीं हूँ / डी. एम. मिश्र]]
* [[ / डी. एम. मिश्र]]
+
* [[मैदान में डटे हो तो दमखम तो दिखा लो / डी. एम. मिश्र]]
* [[ / डी. एम. मिश्र]]
+
* [[मुहब्बत न होती तो क्यों याद करता / डी. एम. मिश्र]]
* [[ / डी. एम. मिश्र]]
+
* [[क्या - क्या नहीं बाज़ार में इस बार बिक गया / डी. एम. मिश्र]]
* [[ / डी. एम. मिश्र]]
+
* [[धरती पे रहूँ तो मुझे आधार चाहिए / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[ / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[ / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[ / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[ / डी. एम. मिश्र]]

21:49, 2 मार्च 2025 का अवतरण

सच कहना यूँ अंगारों पर चलना होता है
Sach kahna.jpg
रचनाकार डी. एम. मिश्र
प्रकाशक श्वेतवर्णा प्रकाशन, नई दिल्ली
वर्ष 2025
भाषा हिंदी
विषय ग़ज़ल संग्रह
विधा ग़ज़ल
पृष्ठ 120
ISBN 978-93-49136-88-5
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

रचनाएँ