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"कबीर" के अवतरणों में अंतर

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[[Category:कविताएँ]]
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|चित्र=Kabir.gif
== जीवन परिचय==
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|नाम=कबीर
 
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|उपनाम=कबीरा
हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है। गोस्वामी तुलसीदास को छोड़ कर इतना महिमामण्डित व्यक्तित्व `कबीर' के सिवा अन्य किसी का नहीं है।
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|जन्म=1398
 
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|जन्मस्थान=लहरतारा, काशी, उत्तर प्रदेश, भारत
कबीर की उत्पत्ति के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कुछ लोगों के अनुसार वे जगद्गुरु रामानन्द स्वामी के आशीर्वाद से काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को लहरतारा ताल के पास फेंक आयी। उसे नीरु नाम का जुलाहा अपने घर ले आया। उसीने उसका पालन-पोषण किया। बाद में यही बालक कबीर कहलाया। कतिपय कबीर पन्थियों की मान्यता है कि कबीर की उत्पत्ति काशी में लहरतारा तालाब में उत्पन्न कमल के मनोहर पुष्प के ऊपर बालक के रूप में हुई। एक प्राचीन ग्रंथ के अनुसार किसी योगी के औरस तथा प्रतीति नामक देवाङ्गना के गर्भ से भक्तराज प्रल्हाद ही संवत १४५५ ज्येष्ठ शुक्ल १५ को कबीर के रूप में प्रकट हुए थे। कुछ लोगों का कहना है कि वे जन्म से मुसलमान थे और युवावस्था में स्वामी रामानन्द के प्रभाव से उन्हें हिंदु धर्म की बातें मालूम हुईं। एक दिन, एक पहर रात रहते ही कबीर पञ्चगंगा घाट की सीढ़ियों पर गिर पड़े। रामानन्द जी गंगास्नान करने के लिये सीढ़ियाँ उतर रहे थे कि तभी उनका पैर कबीर के शरीर पर पड़ गया। उनके मुख से तत्काल `राम-राम' शब्द निकल पड़ा। उसी राम को कबीर ने दीक्षा-मन्त्र मान लिया और रामानन्द जी को अपना गुरु स्वीकार कर लिया। कबीर के ही शब्दों में- `हम कासी में प्रकट भये हैं, रामानन्द चेताये'।
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|मृत्यु=1518
अन्य जनश्रुतियों से ज्ञात होता है कि कबीर ने हिंदु-मुसलमान का भेद मिटा कर हिंदु-भक्तों तथा मुसलमान फकीरों का सत्संग किया और दोनों की अच्छी बातों को हृदयंगम कर लिया।
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|कृतियाँ=बीजक, कबीर ग्रंथावली, कबीर रचनावली, साखी ग्रंथ, अनुराग सागर
जनश्रुति के अनुसार उन्हें एक पुत्र कमल तथा पुत्री कमाली थी। इतने लोगों की परवरिश करने के लिये उन्हें अपने करघे पर काफी काम करना पड़ता था। साधु संतों का तो घर में जमावड़ा रहता ही था। कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे-
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|विविध=कबीर की रचनाओं में अनेक भाषाओँ के शब्द मिलते हैं यथा - '''अरबी''', '''फारसी''', '''भोजपुरी''', '''पंजाबी''', '''बुन्देलखंडी''', '''ब्रज''', '''खड़ीबोली''' आदि के शब्द मिलते हैं इसलिए इनकी भाषा को ''''पंचमेल खिचड़ी'''' या ''''सधुक्कड़ी'''' भाषा कहा जाता है 
          `मसि कागद छूवो नहीं, कलम गही नहिं हाथ।'
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|अंग्रेज़ीनाम=Kabir, Kabeer, Dohe, Sant
उन्होंने स्वयं ग्रंथ नहीं लिखे, मुँह से भाखे और उनके शिष्यों ने उसे लिख लिया। आप के समस्त विचारों में रामनाम की महिमा प्रतिध्वनित होती है। वे एक ही ईश्वर को मानते थे और कर्मकाण्ड के घोर विरोधी थे। अवतार, मूर्त्ति, रोज़ा, ईद, मसजिद, मंदिर आदि को वे नहीं मानते थे।
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|जीवनी=[[कबीर / परिचय]]
कबीर के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न-भिन्न लेखों के अनुसार भिन्न-भिन्न है। एच.एच. विल्सन के अनुसार कबीर के नाम पर आठ ग्रंथ हैं। विशप जी.एच. वेस्टकॉट ने कबीर के ८४ ग्रंथों की सूची प्रस्तुत की तो रामदास गौड ने `हिंदुत्व' में ७१ पुस्तकें गिनायी हैं।
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|shorturl=kabir
कबीर की वाणी का संग्रह `बीजक' के नाम से प्रसिद्ध है। इसके तीन भाग हैं- रमैनी, सबद और सारवी यह पंजाबी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूरबी, व्रजभाषा आदि कई भाषाओं की खिचड़ी है।
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}}
कबीर परमात्मा को मित्र, माता, पिता और पति के रूप में देखते हैं। यही तो मनुष्य के सर्वाधिक निकट रहते हैं। वे कभी कहते हैं-
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{{KKCatUttarPradesh}}
                `हरिमोर पिउ, मैं राम की बहुरिया' तो
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{{KKCatSantKavi}}
                कभी कहते हैं, `हरि जननी मैं बालक तोरा'
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__NOTOC__
उस समय हिंदु जनता पर मुस्लिम आतंक का कहर छाया हुआ था। कबीर ने अपने पंथ को इस ढंग से सुनियोजित किया जिससे मुस्लिम मत की ओर झुकी हुई जनता सहज ही इनकी अनुयायी हो गयी। उन्होंने अपनी भाषा सरल और सुबोध रखी ताकि वह आम आदमी तक पहुँच सके। इससे दोनों सम्प्रदायों के परस्पर मिलन में सुविधा हुई। इनके पंथ मुसलमान-संस्कृति और गोभक्षण के विरोधी थे।
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====प्रमुख ग्रंथ / संकलन====
कबीर को शांतिमय जीवन प्रिय था और वे अहिंसा, सत्य, सदाचार आदि गुणों के प्रशंसक थे। अपनी सरलता, साधु स्वभाव तथा संत प्रवृत्ति के कारण आज विदेशों में भी उनका समादर हो रहा है।
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* '''[http://kavitakosh.org/kk/otherapps/ebooks/?b=1HbrLJ9IjAhurufWcij35yyfUCxaxKpHb कबीर ग्रंथावली / श्यामसुंदर दास]'''
वृद्धावस्था में यश और कीर्त्ति की मार ने उन्हें बहुत कष्ट दिया। उसी हालत में उन्होंने बनारस छोड़ा और आत्मनिरीक्षण तथा आत्मपरीक्षण करने के लिये देश के विभिन्न भागों की यात्राएँ कीं। इसी क्रम में वे कालिंजर जिले के पिथौराबाद शहर में पहुँचे। वहाँ रामकृष्ण का छोटा सा मन्दिर था। वहाँ के संत भगवान गोस्वामी जिज्ञासु साधक थे किंतु उनके तर्कों का अभी तक पूरी तरह समाधान नहीं हुआ था। संत कबीर से उनका विचार-विनिमय हुआ। कबीर की एक साखी ने उन के मन पर गहरा असर किया-
+
* '''[[दोहावली / कबीर]]''' (कबीर के सम्पूर्ण दोहों का संकलन)
                  `बन ते भागा बिहरे पड़ा, करहा अपनी बान।
+
* '''[[कबीर ग्रंथावली / कबीर]]''' (कबीर की सम्पूर्ण रचनाओं का संकलन)
                    करहा बेदन कासों कहे, को करहा को जान।।'
+
====कबीर के दोहे====
वन से भाग कर बहेलिये के द्वारा खोये हुए गड्ढे में गिरा हुआ हाथी अपनी व्यथा किस से कहे ?
+
* [[गुरु-महिमा / कबीर]]
सारांश यह कि धर्म की जिज्ञासा सें प्रेरित हो कर भगवान गोसाई अपना घर छोड़ कर बाहर तो निकल आये और हरिव्यासी सम्प्रदाय के गड्ढे में गिर कर अकेले निर्वासित हो कर असंबाद्य्य स्थिति में पड़ चुके हैं।
+
* [[साधु-महिमा / कबीर]]
मूर्त्ति पूजा को लक्ष्य करते हुए उन्होंने एक साखी हाजिर कर दी-
+
* [[आचरण की महिमा / कबीर]]
                पाहन पूजे हरि मिलैं, तो मैं पूजौंपहार।
+
* [[सद्आचरण की महिमा / कबीर]]
                था ते तो चाकी भली, जासे पीसी खाय संसार।।
+
* [[संगति की महिमा / कबीर]]
११९ वर्ष की अवस्था में उन्होंने मगहर में देह त्याग किया।
+
* [[सेवक की महिमा / कबीर]]
 
+
* [[सुख-दुःख की महिमा / कबीर]]
 
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* [[भक्ति की महिमा / कबीर]]
== कबीर की रचनाएं ==
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* [[व्यवहार की महिमा / कबीर]]
* [[कबीर के दोहे]]
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* [[काल की महिमा / कबीर]]
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* [[उपदेश की महिमा / कबीर]]
 +
* [[शब्द की महिमा / कबीर]]
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* [[सति की महिमा / कबीर]]
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* [[निष्काम की महिमा / कबीर]]
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* [[परमारथ की महिमा / कबीर]]
 +
* [[मन की महिमा / कबीर]]
 +
* [[सहजता की महिमा / कबीर]]
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* [[जीवन की महिमा / कबीर]]
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====कबीर के भजन====
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* [[करम गति टारै / कबीर]]
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* [[रे दिल गाफिल / कबीर]]
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* [[झीनी झीनी बीनी चदरिया / कबीर]]
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* [[दिवाने मन / कबीर]]
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* [[केहि समुझावौ / कबीर]]
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* [[बहुरि नहिं / कबीर]]
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* [[मन लाग्यो मेरो यार / कबीर]]
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* [[भजो रे भैया / कबीर]]
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* [[बीत गये दिन / कबीर]]
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* [[नैया पड़ी मंझधार / कबीर]]
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* [[तूने रात गँवायी / कबीर]]
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* [[राम बिनु / कबीर]]
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====अंगिका रचनाएँ====
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* [[चेत करु जोगी, बिलैया मारै मटकी / कबीर]]
 +
* [[साधु बाबा हो बिषय बिलरवा, दहिया खैलकै मोर / कबीर]]
 +
* [[हाँ रे! नसरल हटिया उसरी गेलै रे दइवा / कबीर]]
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* [[बड़ी रे विपतिया रे हंसा, नहिरा गँवाइल रे / कबीर]]
 +
* [[सोना ऐसन देहिया हो संतो भइया / कबीर]]
 +
* [[का लै जैबौ, ससुर घर ऐबौ / कबीर]]
 +
* [[अँधियरवा में ठाढ़ गोरी का करलू / कबीर]]
 +
* [[रहली मैं कुबुद्ध संग रहली / कबीर]]
 +
* [[पाँच ही तत्त के लागल हटिया / कबीर]]
 +
* [[धोबिया हो बैराग / कबीर]]
 +
* [[तोर हीरा हिराइल बा किचड़े में / कबीर]]
 +
* [[घर पिछुआरी लोहरवा भैया हो मितवा / कबीर]]
 +
* [[सुगवा पिंजरवा छोरि भागा / कबीर]]
 +
* [[मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया / कबीर]]
 +
* [[मुनियाँ पिंजड़ेवाली ना, तेरो सतगुरु है बेपारी / कबीर]]
 +
* [[हंसा चलल ससुररिया रे, नैहरवा डोलम डोल / कबीर]]
 +
* [[अबिनासी दुलहा कब मिलिहौ, भक्तन के रछपाल / कबीर]]
 +
* [[ननदी गे तैं विषम सोहागिनि / कबीर]]
 +
* [[सतगुर के सँग क्यों न गई री / कबीर]]
 +
====उलटबाँसी / संझा भाखा निरगुन====
 +
* [[राजा के जिया डाहें / कबीर]]
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* [[मँड़ये के चारन समधी दीन्हा / कबीर]]
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* [[देखि-देखि जिय अचरज होई / कबीर]]
 +
* [[एकै कुँवा पंच पनिहार / कबीर]]
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====कुछ रचनाएँ====
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* [[साधो, देखो जग बौराना / कबीर]]
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* [[सहज मिले अविनासी / कबीर]]
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* [[काहे री नलिनी तू कुमिलानी / कबीर]]
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* [[मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै / कबीर]]
 +
* [[रहना नहिं देस बिराना है / कबीर]]
 +
* [[कबीर की साखियाँ / कबीर]]
 +
* [[हमन है इश्क मस्ताना / कबीर]]
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* [[कबीर के पद / कबीर]]
 +
* [[नीति के दोहे / कबीर]]
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* [[मोको कहां / कबीर]]
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* [[तेरा मेरा मनुवां / कबीर ]]
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* [[बहुरि नहिं आवना या देस / कबीर ]] 
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* [[बीत गये दिन भजन बिना रे / कबीर ]] 
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* [[नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार / कबीर ]] 
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* [[राम बिनु तन को ताप न जाई / कबीर ]] 
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* [[करम गति टारै नाहिं टरी / कबीर ]] 
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* [[भजो रे भैया राम गोविंद हरी / कबीर ]] 
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* [[दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ / कबीर ]] 
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* [[झीनी झीनी बीनी चदरिया / कबीर ]] 
 +
* [[केहि समुझावौ सब जग अन्धा / कबीर ]] 
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* [[तूने रात गँवायी सोय के दिवस गँवाया खाय के / कबीर ]] 
 +
* [[मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में / कबीर ]] 
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* [[रे दिल गाफिल गफलत मत कर / कबीर ]]
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* [[घूँघट के पट / कबीर]]
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* [[गुरुदेव का अंग / कबीर ]]
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* [[सुमिरण का अंग / कबीर ]] 
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* [[विरह का अंग / कबीर ]]
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* [[जर्णा का अंग / कबीर ]] 
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* [[पतिव्रता का अंग / कबीर ]] 
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* [[कामी का अंग / कबीर ]]
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* [[चांणक का अंग / कबीर ]] 
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* [[रस का अंग / कबीर ]]
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* [[माया का अंग / कबीर ]] 
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* [[कथनी-करणी का अंग / कबीर ]]
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* [[सांच का अंग / कबीर ]]
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* [[भ्रम-बिधोंसवा का अंग / कबीर ]]
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* [[साध-असाध का अंग / कबीर ]]
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* [[संगति का अंग / कबीर ]]
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* [[मन का अंग / कबीर ]]
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* [[चितावणी का अंग / कबीर ]] 
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* [[भेष का अंग / कबीर ]]
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* [[साध का अंग / कबीर ]]
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* [[मधि का अंग / कबीर ]] 
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* [[बेसास का अंग / कबीर ]] 
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* [[सूरातन का अंग / कबीर ]] 
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* [[जीवन-मृतक का अंग / कबीर ]]
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* [[सम्रथाई का अंग / कबीर ]]
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* [[उपदेश का अंग / कबीर ]]
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* [[कौन ठगवा नगरिया लूटल हो / कबीर ]]
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* [[मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया / कबीर ]]
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* [[अंखियां तो छाई परी / कबीर ]]
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* [[माया महा ठगनी हम जानी / कबीर ]]
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* [[सुपने में सांइ मिले / कबीर ]]
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* [[मोको कहां ढूँढे रे बन्दे / कबीर ]]
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* [[अवधूता युगन युगन हम योगी / कबीर ]]
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* [[साधो ये मुरदों का गांव / कबीर ]]
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* [[मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा / कबीर ]]
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* [[निरंजन धन तुम्हरा दरबार/ कबीर ]]
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* [[ऋतु फागुन नियरानी हो / कबीर]]
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{{भक्तिकालीन रचनाकार}}

10:40, 27 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण

कबीर
www.kavitakosh.org/kabir
Kabir.gif
जन्म 1398
निधन 1518
उपनाम कबीरा
जन्म स्थान लहरतारा, काशी, उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
बीजक, कबीर ग्रंथावली, कबीर रचनावली, साखी ग्रंथ, अनुराग सागर
विविध
कबीर की रचनाओं में अनेक भाषाओँ के शब्द मिलते हैं यथा - अरबी, फारसी, भोजपुरी, पंजाबी, बुन्देलखंडी, ब्रज, खड़ीबोली आदि के शब्द मिलते हैं इसलिए इनकी भाषा को 'पंचमेल खिचड़ी' या 'सधुक्कड़ी' भाषा कहा जाता है
जीवन परिचय
कबीर / परिचय
कविता कोश पता
www.kavitakosh.org/kabir

प्रमुख ग्रंथ / संकलन

कबीर के दोहे

कबीर के भजन

अंगिका रचनाएँ

उलटबाँसी / संझा भाखा निरगुन

कुछ रचनाएँ

भक्तिकालीन रचनाकार
ज्ञानाश्रयी शाखा  कबीररैदासमलूकदासदादू दयालगुरु नानकदेवसुंदरदासधनी धरमदास
प्रेमाश्रयी शाखा  कुतबनमंझनमलिक मोहम्मद जायसीउसमानशेख नबीकासिमशाहनूर मुहम्मद
रामाश्रयी शाखा  तुलसीदासअग्रदासप्राणचंद चौहानहृदयराम
कृष्णाश्रयी शाखा  वल्लभाचार्यहितहरिवंशगदाधर भट्टमीराबाईहरिदाससूरदास मदनमोहनश्रीभट्टहरिराम व्यासरसखानध्रुवदास
अन्य कवि  छीहललालचदासकृपारामनरहरि बंदीजननरोत्तमदासआलमटोडरमलबीरबलगँगमनोहर कविबलभद्र मिश्रजमालकेशवदासहोलरायरहीमकादिरमुबारकबनारसीदाससेनापतिपुहकर कविसुँदरलाल कवि