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00:42, 1 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
राजिन्दर मनचंदा बानी
जन्म | नवम्बर, 1932 |
---|---|
निधन | 1981 |
उपनाम | बानी |
जन्म स्थान | मुल्तान, पाकिस्तान |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
हर्फ़-ए-मोएतबर(1972)हिसाब-ए-रंग(1976),शफ़क-शज़र(1982) | |
विविध | |
अर्थशास्त्र में एम०ए० करने के बाद एक स्कूल में पढ़ाते रहे। भारी आर्थिक दिक़्क़्तें रहीं। मित्रों और सम्बन्धियों से मतभेद। | |
जीवन परिचय | |
मनचंदा बानी / परिचय |
ग़ज़लें
- ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं था / मनचंदा बानी
- आज फिर रोने को जी हो जैसे / मनचंदा बानी
- क़दम ज़मीं पे न थे राह हम बदलते क्या / मनचंदा बानी
- हरी सुनहरी, ख़ाक उड़ाने वाला मैं / मनचंदा बानी
- चली डगर पर कभी न चलने वाला मैं / मनचंदा बानी
- कहाँ तलाश करूँ अब उफ़क़ कहानी का / मनचंदा बानी
- शफ़क़ शजर मोसमों के जेवर नए-नए से / मनचंदा बानी
- सिलसिला रौशन तजस्सुस का उधर मेरा भी है / मनचंदा बानी
- ग़ायब हर मंज़र मेरा / मनचंदा बानी
- पत्ता-पत्ता भरते शजर पर अब्र बरसता देखो तुम / मनचंदा बानी
- मुझसे इक-इक क़दम पर बिछड़ता हुआ कौन था / मनचंदा बानी
- ज़माँ मकाँ थे मेरे सामने बिखरते हुए / मनचंदा बानी
- मेरे बदन में पिघलता हुआ सा कुछ तो है / मनचंदा बानी
- आज इक लहर भी पानी में न थी / मनचंदा बानी
- चाँद की अव्वल किरन मंज़र-ब-मंज़र / मनचंदा बानी
- दिन को दफ़्तर में अकेला शब भरे घर / मनचंदा बानी
- फ़ज़ा के फिर आसमाँ भर थी / मनचंदा बानी
- घनी घनेरी रात में डरने वाला मैं / मनचंदा बानी
- हरी सुनहरी ख़ाक उड़ाने वाला मैं / मनचंदा बानी
- इक गुल-ए-तर भी शरर से निकला / मनचंदा बानी
- ख़ाक ओ ख़ून की वुसअतों से बा-ख़बर / मनचंदा बानी
- लिबास उस का अलामत की तरह था / मनचंदा बानी
- मैं चुप खड़ा था तअल्लुक़ में इख़्तिसार / मनचंदा बानी
- मेहराब न क़िंदील न असरार न तमसील / मनचंदा बानी
- मोड़ था कैसा तुझे था खोने वाला मैं / मनचंदा बानी
- न मंज़िलें थीं न कुछ दिल में था न / मनचंदा बानी
- पैहम मौज-ए-इमकानी में / मनचंदा बानी
- पी चुके थे ज़हर-ए-ग़म ख़स्ता-जाँ पड़े / मनचंदा बानी
- सदा-ए-दिल इबादत की तरह थी / मनचंदा बानी
- सैर-ए-शब-ए-ला-मकाँ और मैं / मनचंदा बानी
- शफ़क़ शजर मौसमों के ज़ेवर नए नए से / मनचंदा बानी
- तमाम रास्ता फूलों भरा है मेरे लिए / मनचंदा बानी
- ये ज़रा सा कुछ और एक दम-ए-बे-हिसाब / मनचंदा बानी