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+ | * [[होती अयाँ विसाल में क्या उस निगार पर / मेला राम 'वफ़ा']] | ||
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+ | * [[ज़बाने बे-ज़बानी से हदीसे-ग़म भी कहते हैं / मेला राम 'वफ़ा']] |
10:33, 19 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
मेल राम 'वफ़ा'
जन्म | 26 जनवरी 1895 |
---|---|
निधन | 19 सितम्बर 1980 |
उपनाम | वफ़ा |
जन्म स्थान | ग्राम दीपोके, सियालकोट (पाकिस्तान) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
सोज़े-वतन (1941), संगे-मील (1959)। | |
विविध | |
पंजाब के राज कवि, पत्रकार, शायर, कहानीकार एवं स्वतंत्रता सेनानी | |
जीवन परिचय | |
मेला राम 'वफ़ा'/ परिचय |
रचना संग्रह
ग़ज़लें
- तिरी क़ातिल अदा ने मार डाला / मेला राम 'वफ़ा'
- कब फ़राग़त थी ग़म-ए-सुब्ह-ओ-मसा से मुझ को / मेला राम 'वफ़ा'
- कहना ही मिरा क्या है कि मैं कुछ नहीं कहता / मेला राम 'वफ़ा
- ज़िंदगी ख़ाक में भी थी तिरे दीवाने से / मेला राम 'वफ़ा'
- दिया रश्क आशुफ़्ता-हालों ने मारा / मेला राम 'वफ़ा'
- साअतों की नहीं बात लम्हों की है / मेला राम 'वफ़ा'
- सुब्ह होता है शाम होता है / मेला राम 'वफ़ा'
- बजा हो गया हां बजा हो गया / मेला राम 'वफ़ा'
- कहना ही मिरा क्या है कि मैं कुछ नहीं कहता / मेला राम 'वफ़ा
- वो कहते हैं यकीं लाना पड़ेगा / मेला राम 'वफ़ा'
- ग़मे-इश्क़ आज़ारे-जाँ हो गया / मेला राम 'वफ़ा'
- दिया रश्क आशुफ़्ता-हालों ने मारा / मेला राम 'वफ़ा'
- बेगाना-वार हम से यगाना बदल गया / मेला राम 'वफ़ा'
- सब्र मुश्किल था मोहब्बत का असर होने तक / मेला राम 'वफ़ा'
- बस अब मैं रात दिन की ये अज़ीयत सह नहीं सकता / मेला राम 'वफ़ा'
- पूछें वो काश हाल दिल-ए-बे-क़रार का / मेला राम 'वफ़ा'
- गाह इधर देखना गाह उधर देखना / मेला राम 'वफ़ा'
- कैसा पुर-आशोब है दौरे-क़मर आज कल / मेला राम 'वफ़ा'
- सरमायाए-सुकूं दिले-उम्मीदवार का / मेला राम 'वफ़ा'
- जी पर भी हम ने जब्र किया इख़्तियार तक / मेला राम 'वफ़ा'
- तुमको भी है गिला फ़लके-दूँ-शआर का / मेला राम 'वफ़ा'
- तिरी क़ातिल अदा ने मार डाला / मेला राम 'वफ़ा'
- उट्ठा है सूए दश्त से बादल ग़ुबार का / मेला राम 'वफ़ा'
- मैं और तेरा शिकवा-ए-ज़ौरो-सितम ग़लत / मेला राम 'वफ़ा'
- कभी हम भी ऐ दिल थे स्याने बहुत / मेला राम 'वफ़ा'
- क़लक़ आ गया इज़्तिराब आ गया / मेला राम 'वफ़ा'
- टीपे-ग़म का सोज़े-जिगर का अज़ाब / मेला राम 'वफ़ा'
- हाँ ग़ैरते-ख़ुर्शीद हैं और रश्क़े-क़मर आप / मेला राम 'वफ़ा'
- कुछ न कुछ होगा मिरी मुश्किल का हल फ़ुर्क़त की रात / मेला राम 'वफ़ा'
- ख़ाक होता ग़म ग़लत ऐ रश्क़े गुल फ़ुर्क़त की रात / मेला राम 'वफ़ा'
- यह तू ने क्या सितम ऐ चश्मे-अश्कबार किया / मेला राम 'वफ़ा'
- अरमान मुद्दतों में निकलता है दीद का / मेला राम 'वफ़ा'
- होती अयाँ विसाल में क्या उस निगार पर / मेला राम 'वफ़ा'
- दिल कमाले-शौक़ से है बे-क़रार इत्तिहाद / मेला राम 'वफ़ा'
- चली तफरीक़ की ऐसी हवा रंगे चमन बिगड़ा / मेला राम 'वफ़ा'
- कूए-अदू में रखिये ज़रा होशे-नक़्शे-पा / मेला राम 'वफ़ा'
- पामाले-आसमां हूँ कि उठते नहीं क़दम / मेला राम 'वफ़ा'
- उन से उम्मीदे-करम रख ऐ दिले-नाशाद कम / मेला राम 'वफ़ा'
- ज़बाने बे-ज़बानी से हदीसे-ग़म भी कहते हैं / मेला राम 'वफ़ा'