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देव
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जन्म | 1673 |
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निधन | 1768 |
जन्म स्थान | कुसमरा, इटावा |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
देव / परिचय |
- दूलह को देखत हिए / देव
- खरी दुपहरी भरी हरी हरी कुंज मँजु / देव
- बारिध बिरह बड़ी बारिधि की बड़वागि / देव
- वा चकई को भयो चित चीतो चितौत चँहु दिसि चाय सों नाँची / देव
- आवन सुन्यो है मनभावन को भावती ने / देव
- आँगन बैठी सुन्यो पिय आवन चित झरोखन मे लख्यो परै / देव
- प्रेम चरचा है अरचा है कुल नेमन रचा है / देव
- मँद महा मोहक मधुर सुर सुनियत / देव
- प्यारे तरु नीजन विपिन तरुनी जन ह्वै / देव
- मुरली सुनत बाम काम-जुर लीन भई / देव
- बरुनी बघँबर मैँ गूदरी पलक दोऊ / देव
- बोयो बस बिरद मैँ बोरी भई बरजत / देव
- कोऊ कहौ कुलटा कुलनि अकुलानि कहौ / देव
- मँजुल मँजरी पँजरी सी ह्वै मनोज के ओज सम्हारत चीरन / देव
- मँद हास चँद्रिका को मँदिर बदन चँद / देव
- लाज के निगड़ गड़दार अड़दार चँहु / देव
- नासिका ऊपर भौँहन के मधि / देव
- घाँघरो घनेरो लाँबी लटैँ लटे लाँक पर / देव
- जगमगे जोबन जराऊ तरिवन कान / देव
- जोबन के रँग भरी ईँगुर से अँगनि पै / देव
- साँवरी सुघर नारी महा सुकुमारी सोहै / देव
- लागत समीर लँक लहकै समूल अँग / देव
- आई बरसाने ते बुलाय वृषभानु सुता / देव
- माखन सो मन दूध सो जोबन है दधि ते अधिकै उर ईठी / देव
- कुँजन के कोरे मनु केलिरस बोरे लाल / देव
- देव जियै जब पूछौ तौ प्रेम को पार कहूँ लहि आवत नाहीँ / देव
- धार मैँ धाय धँसी निरधार ह्वै जाय फँसी उकसी न अँधेरी / देव
- मूरति जो मनमोहन की मनमोहनी के थिर ह्वै थिरकी सी / देव
- इन्दिरा के मन्दिर से सुंदर बदन वे / देव
- गोरी गरबीली उठी ऊँघत चकात गात / देव
- पीत रँग सारी गोरे अँग मिलि गई देव / देव
- कुन्दन से अँग नवयौवन सुरँग उतै / देव
- सुधाकर से मुख बानि सुधा मुसकानि सुधा दरसै रदपाँति / देव
- सहर सहर सोँधो सीतल समीर डोलै / देव
- रूपे के महल धूपे अगर उदार द्वार / देव
- माथे महावर पाँय को देखि महावर पाय सुढार ढुरीये / देव
- प्रेम समुद्र परयो गहिरे अभिमान के फेन रह्यो गहि रे मन / देव
- भेष भये विष भावै न भूषन भूख न भोजन की कछु ईछी / देव
- लाल बिना बिरहाकुल बाल बियोग की ज्वाल भई झुरि झूरी / देव
- / देव
- / देव
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