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शहराम सर्मदी
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शहराम सर्मदी
जन्म | 20 अक्टूबर 1975 |
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जन्म स्थान | अलीगढ़, उत्तरप्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
शहराम सर्मदी / परिचय |
ग़ज़लें
- इनायत है तिरी बस एक एहसान और इतना कर / शहराम सर्मदी
- इस सोच में ही मरहला-ए-शब गुज़र गया / शहराम सर्मदी
- ख़ला सा ठहरा हुआ है ये चार-सू कैसा / शहराम सर्मदी
- ग़ुबार-ए-दर्द में राह-ए-नजात ऐसा ही / शहराम सर्मदी
- जो इस बरस नहीं अगले बरस में दे दे तू / शहराम सर्मदी
- तो क्या तड़प न थी अब के मिरे पुकारे में / शहराम सर्मदी
- नदी थी कश्तियाँ थीं चाँदनी थी झरना था / शहराम सर्मदी
- नसीब-ए-चश्म में लिक्खा है गर पानी नहीं होना / शहराम सर्मदी
- नियाज़-मन्दों की भीड़ है इक / शहराम सर्मदी
- फ़ज़ा होती ग़ुबार-आलूदा सूरज डूबता होता / शहराम सर्मदी
- बदल जाएगा सब कुछ ये तमाशा भी नहीं होगा / शहराम सर्मदी
- ब-नाम-ए-इश्क़ इक एहसान सा अभी तक है / शहराम सर्मदी
- ब-राह-ए-रास्त नहीं फिर भी राब्ता सा है / शहराम सर्मदी
- बस सलीक़े से ज़रा बर्बाद होना है तुम्हें / शहराम सर्मदी
- मता-ए-पास-ए-वफ़ा खो नहीं सकूँगा मैं / शहराम सर्मदी
- मिरे सुख़न पे इक एहसान अब के साल तो कर / शहराम सर्मदी
- मुझे तस्लीम बे-चून-ओ-चुरा तू हक़-ब-जानिब था / शहराम सर्मदी
- मैं नहीं रोता हूँ अब ये आँख रोती है मुझे / शहराम सर्मदी
- याद की बस्ती का यूँ तो हर मकाँ ख़ाली हुआ / शहराम सर्मदी
- रगों में रात से ये ख़ून सा रवाँ है क्या / शहराम सर्मदी
- रह-ए-वफ़ा में रहे ये निशान-ए-ख़ातिर बस / शहराम सर्मदी
- वो एक लम्हा-ए-रफ़्ता भी क्या बुला लाया / शहराम सर्मदी
- समुंदर तिश्नगी वहशत रसाई चश्मा-ए-लब तक / शहराम सर्मदी
- सुन रखा था तजरबा लेकिन ये पहला था मिरा / शहराम सर्मदी
- हम अपने इश्क़ की बाबत कुछ एहतिमाल में हैं / शहराम सर्मदी
- हमारे ज़ेहन में ये बात भी नहीं आई / शहराम सर्मदी
- हुक्मराँ जब से हुईं बस्ती पे अफ़्वाहें वहाँ / शहराम सर्मदी
=नज़्में
- अपना अपना दुख / शहराम सर्मदी
- अभी मैं ये सोच ही रहा था / शहराम सर्मदी
- अहल-ए-दिल को बुला रहा हूँ / शहराम सर्मदी
- ऐसा हो कि ना-मौऊद हो / शहराम सर्मदी
- कल शाम / शहराम सर्मदी
- कार-ए-जहाँ दराज़ है / शहराम सर्मदी
- कार-ए-बेहूदा / शहराम सर्मदी
- किताब गुमराह कर रही है / शहराम सर्मदी
- ख़ला सा कहीं है / शहराम सर्मदी
- ख़ुदा से / शहराम सर्मदी
- तज्ज़िया / शहराम सर्मदी
- तुम अपनी सब्ज़ आँखें बन्द कर लो / शहराम सर्मदी
- पतंग उड़ाने से पहले / शहराम सर्मदी
- पहले इश्क़ की मौत पर / शहराम सर्मदी
- महसूर था / शहराम सर्मदी
- मुनकिर-ए-हक़ / शहराम सर्मदी
- मैं वापस आऊँगा / शहराम सर्मदी
- मौसम-ए-हिज्र में / शहराम सर्मदी
- लौह-ए-अय्याम / शहराम सर्मदी
- शिकस्त / शहराम सर्मदी
- हुवल-इश्क़ / शहराम सर्मदी