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समय संवाद करना चाहता है / रोशन लाल 'रौशन'
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समय संवाद करना चाहता है
रचनाकार | रोशन लाल 'रौशन' |
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प्रकाशक | |
वर्ष | २०१० |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़लें |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
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- कोई बुश है कोई ओबामा है / रोशन लाल 'रौशन'
- एक अंधी हवस का शिकार आदमी / रोशन लाल 'रौशन'
- नहीं जानता था कि यूँ घात होगी / रोशन लाल 'रौशन'
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- हवसकारों की बस्ती का हर इक मंजर निराला है / रोशन लाल 'रौशन'
- रूप का सोना न धन की प्यास है / रोशन लाल 'रौशन'
- हर कदम आजमाये गये / रोशन लाल 'रौशन'
- शोषकों के बदन दबाते हैं / रोशन लाल 'रौशन'
- सोचो तो औसान नदारद / रोशन लाल 'रौशन'
- शब्द का भरम टूटे / रोशन लाल 'रौशन'
- आँखों में वीरानी है / रोशन लाल 'रौशन'
- हम पराए तो नहीं बात ये सोची होती / रोशन लाल 'रौशन'
- किससे नाता किससे यारी / रोशन लाल 'रौशन'
- आपके आदेश सारे एक भाई की तरह / रोशन लाल 'रौशन'
- साक्ष्य सभी खोकर भी बोले / रोशन लाल 'रौशन'
- सच के आगे जनाब क्या करते / रोशन लाल 'रौशन'
- काम पैसे से क्या नहीं होता / रोशन लाल 'रौशन'
- दिन की रात की तानाशाही / रोशन लाल 'रौशन'
- ज़िन्दगी ता-सहर नहीं आई / रोशन लाल 'रौशन'
- ग़ैर कह कर मुझे पुकारेगा / रोशन लाल 'रौशन'
- झूठ को सच बना रहे हैं लोग / रोशन लाल 'रौशन'
- रुह जब बे लिबास होती है / रोशन लाल 'रौशन'
- कट गया ऐतबार घुटनों तक / रोशन लाल 'रौशन'
- ज़िन्दगी का भला करेगा क्या / रोशन लाल 'रौशन'
- प्याज़ में बेसन सान मियाँ / रोशन लाल 'रौशन'
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- मैं अपनी चेतना के पाँव बाँधूँ / रोशन लाल 'रौशन'
- कोई अच्छे शेर सुनाता / रोशन लाल 'रौशन'
- धूप जब कोहसार पर आई / रोशन लाल 'रौशन'
- पेट का दोज़ख़ भरना है / रोशन लाल 'रौशन'
- किस पेड़ का है किस पात का है / रोशन लाल 'रौशन'