Last modified on 6 मई 2019, at 22:48

रचते गढ़ते / सुरेन्द्र स्निग्ध

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:48, 6 मई 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रचते गढ़ते
Rachte Gadhte Surendra Snigdh.jpg
रचनाकार सुरेन्द्र स्निग्ध
प्रकाशक किताब महल, 22-ए सरोज़नी नायडू मार्ग, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
वर्ष 2008
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
विधा मुक्त छन्द
पृष्ठ 94
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।


इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ

ब्रह्माण्ड को रचते गढ़ते थक गई है माँ

गहरी नींद सुलाता है तुम्हारा नाम

दिल्ली बहुत दुख देती है

तेरह जातिवादी (अ) कविताएँ