ज़ियारत
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | अनु जसरोटिया |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- महफ़िल में हैं तेरी यादें तन्हाई में तेरी सोचें / अनु जसरोटिया
- एक भी गुल पर कहीं नाम-ओ-निशाँ मेरा नहीं / अनु जसरोटिया
- यूँ उमड़ने को तो हर रोज़ ही उमड़ा बादल / अनु जसरोटिया
- तरक्क़ी के शिख़र पर जा के भारत मुस्कुराता है / अनु जसरोटिया
- ये बरखा रुत ये बरसातें हमें अच्छी नहीं लगतीं / अनु जसरोटिया
- पिंजरों में सदा क़ैद न रहते हैं परिन्दे / अनु जसरोटिया
- हर एक मँज़िले-दुश्वार से गुज़रते हैं / अनु जसरोटिया
- रुक जाए सरे-राह वो मज़दूर नहीं है / अनु जसरोटिया
- क्या रात सुहानी है क्या ख़ूब नज़ारा है / अनु जसरोटिया
- ज़मीने-दिल लरज़ गई ग़ुबार भी उठा तो है / अनु जसरोटिया
- आहों की कहानी है अश्कों का फ़साना है / अनु जसरोटिया
- आ और आ के हाले-दिले-बेक़रार सुन / अनु जसरोटिया
- चाँद पर जा के अगर रहने लगेगी दुनिया / अनु जसरोटिया
- याद आई पुरानी सखियों की / अनु जसरोटिया
- मैं ने ख़ाकों में कई रंग भरे हैं अब तक / अनु जसरोटिया
- हट गुनगुनाये सवेरा हुआ / अनु जसरोटिया
- हम ने कब तुझ को चाहा नहीं है / अनु जसरोटिया
- ख़ुश्क सहराओं को सब्ज़ा कौन दे / अनु जसरोटिया
- जब जब अत्याचार हुआ है / अनु जसरोटिया
- दिले-शिकस्ता को फिर कोई ख्वाब मत देना / अनु जसरोटिया
- जोगिया पैरहन में रहते हैं / अनु जसरोटिया
- तेरे होंटों का गीत बन जाऊँ / अनु जसरोटिया
- मीर-ओ-ग़ालिब को पढ़ा तो राज़ हम कुछ पा गये / अनु जसरोटिया
- बात लाओगे अगर दिल की ज़ुबाँ पर / अनु जसरोटिया
- किसी रोज़ हम भी सँवर कर तो देखें / अनु जसरोटिया
- ज़ख्मे-दिल ताज़ा हुए, लौ दे उठीं तन्हाइयाँ / अनु जसरोटिया
- वो मद भरी आँखों में, डाले हुये काजल है / अनु जसरोटिया
- कैसी कैसी हस्तियाँ आख़िर ज़मीं में सो गयीं / अनु जसरोटिया
- दिन कोई ऐसा हो दुख के बोझ हल्के हो सकें / अनु जसरोटिया
- ग़ुँचा हँसा न हो, कली दिल की खिली न हो / अनु जसरोटिया
- ग़ुँचा हँसा न हो, कली दिल की खिली न हो / अनु जसरोटिया
- क़लमकारों की नगरी है कलाकारों की बस्ती है / अनु जसरोटिया
- तेरी दरगाह से मिलती जो इजाज़त तेरी / अनु जसरोटिया
- इक सहेली की तरह करती है मुझ से प्यार माँ / अनु जसरोटिया
- रंग जीवन में भरूंगी एक दिन / अनु जसरोटिया
- कोई रंगीं नज़ारा मिल गया है / अनु जसरोटिया
- एक दिन सब जहाँ से चल देंगे / अनु जसरोटिया
- कोई पंछी चहचहाया क्यूँ नहीं / अनु जसरोटिया