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जानै जौ कि जानै जाता / कैलाश झा 'किंकर'
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जानै जौ कि जानै जाता
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रचनाकार | कैलाश झा 'किंकर' |
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प्रकाशक | उत्कर्ष प्रकाशन |
वर्ष | 2017 |
भाषा | अंगिका |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- देश लेेॅ कहिया लड़भो भैया / कैलाश झा ‘किंकर’
- मास्टर / कैलाश झा ‘किंकर’
- जानै जौ कि जानै जाता / कैलाश झा ‘किंकर’
- एकरोॅ नै छौं कोनो निदान / कैलाश झा ‘किंकर’
- झूठ कहै दुनियाँ खराब छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- बाकी सबकुछ ठीक-ठाक छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- हम्मर बेटा छै बकलेल / कैलाश झा ‘किंकर’
- देश प्रेम / कैलाश झा ‘किंकर’
- अफसर शाही / कैलाश झा ‘किंकर’
- कबतक हमरा ठगतें रहभो / कैलाश झा ‘किंकर’
- जब-जब आँधी उठते रहलै / कैलाश झा ‘किंकर’
- प्यार सेॅ जिन्दगी मुस्कुराबै सखी / कैलाश झा ‘किंकर’
- दहेज केॅ सबाल छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- कुच्छू हमरा फुरते नै छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- तोरोॅ है प्रेम हमर प्राण छिकै / कैलाश झा ‘किंकर’
- तोरोॅ किस्सा हमर कहानी सेॅ / कैलाश झा ‘किंकर’
- ज्ञान केरोॅ उन्मेष कहाँ छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- राज के बात राजधानी मेॅ / कैलाश झा ‘किंकर’
- नैहरा सूझै छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- जे होय छै से बढ़िये होय छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- हमर दरिद्री के बाला छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- मुकरी / कैलाश झा ‘किंकर’
- मुकरी-2 / कैलाश झा ‘किंकर’
- मुकरी-3 / कैलाश झा ‘किंकर’
- मुकरी-4 / कैलाश झा ‘किंकर’
- मुकरी-5 / कैलाश झा ‘किंकर’
- होश तेॅ कम्मे जोश अधिक छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- हाइकू कविताएँ / कैलाश झा ‘किंकर’
- बाढ़ (कवित्त) / कैलाश झा ‘किंकर’
- कोशी केॅ धार मेॅ / कैलाश झा ‘किंकर’
- दोहा दशक / कैलाश झा ‘किंकर’
- बाबा ! चिट्ठी लिखै छी / कैलाश झा ‘किंकर’
- ओकरा कोय सनकैने छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- बिहारी मजदूरोॅ के पलायन / कैलाश झा ‘किंकर’
- देश हमरोॅ छिकै तेॅ रहतै के / कैलाश झा ‘किंकर’
- फोडोॅ नै / कैलाश झा ‘किंकर’
- जत्ते चलै चलैने जा / कैलाश झा ‘किंकर’