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ख़्वाहिश / राम नाथ बेख़बर
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ख़्वाहिश
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रचनाकार | राम नाथ बेख़बर |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- हाय! ये कैसी सदी है बेख़बर / राम नाथ बेख़बर
- अँधेरी रात की छाती पर मूँग दलते रहे / राम नाथ बेख़बर
- किसी के हक़ में कोई फ़ैसला सही देकर / राम नाथ बेख़बर
- चाहत ज़मीन की थी मगर खाइयाँ मिलीं / राम नाथ बेख़बर
- नाव थी टूटी मगर पतवार से लड़ता रहा / राम नाथ बेख़बर
- मालूम नहीं कब से मैं दर ढूँढ रहा हूँ / राम नाथ बेख़बर
- तमाम गर्दिशों की आँखों में खटकते हुए / राम नाथ बेख़बर
- जिसके जिगर के ख़ून से है घर बना हुआ / राम नाथ बेख़बर
- ज़मीं को खा रही है आसमान की ख़्वाहिश / राम नाथ बेख़बर
- जब कहीं भी कोई फ़ैसला कीजिए / राम नाथ बेख़बर
- कहाँ ये और किसी रास्ते से गुज़रेगा / राम नाथ बेख़बर
- बारहा ख़ुद से पूछता हूँ मैं / राम नाथ बेख़बर
- वक़्त के साथ ढल गए होते / राम नाथ बेख़बर
- अगर इधर से नहीं तो उधर से आएगी / राम नाथ बेख़बर
- किसी भी हाल में भूखा मुझे सोने नहीं देती / राम नाथ बेख़बर
- हर तरफ़ भूख-प्यास की नदियाँ / राम नाथ बेख़बर
- न जाने ये कैसी निगोड़ी सदी है / राम नाथ बेख़बर
- ख़्वाब आँखों में ज़रा हटके सजाने होंगे / राम नाथ बेख़बर
- साथ सुखों के बैठा हूँ / राम नाथ बेख़बर
- सितारे उनके इशारों पर चलने लगते हैं / राम नाथ बेख़बर
- धूप ही धूप मुझको भाती है / राम नाथ बेख़बर