भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उतना ही हरा भरा / वीरा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKRachna |रचनाकार=वीरा }} {{KKPustak |चित्र=-- |नाम=उतना ही हरा भरा |रचनाकार=वीरा |प्रक...)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=वीरा
 
|रचनाकार=वीरा
 
}}
 
}}
 
 
{{KKPustak
 
{{KKPustak
|चित्र=--
+
|चित्र=
 
|नाम=उतना ही हरा भरा  
 
|नाम=उतना ही हरा भरा  
 
|रचनाकार=[[वीरा]]
 
|रचनाकार=[[वीरा]]
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
 
|भाषा=हिन्दी
 
|भाषा=हिन्दी
 
|विषय=कविताएँ
 
|विषय=कविताएँ
|शैली=--
+
|शैली=
 
|पृष्ठ=92
 
|पृष्ठ=92
 
|ISBN=81-87302-56-9
 
|ISBN=81-87302-56-9
|विविध=--
+
|विविध=
 
}}
 
}}
 
 
'''सुबह की ओस उन पर भी
 
'''सुबह की ओस उन पर भी
 
* [[मछलियाँ / वीरा]]
 
* [[मछलियाँ / वीरा]]

23:36, 29 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

उतना ही हरा भरा
General Book.png
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार वीरा
प्रकाशक शिल्पायन, दिल्ली
वर्ष 2004
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
विधा
पृष्ठ 92
ISBN 81-87302-56-9
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

सुबह की ओस उन पर भी

दो कद्दावर मस्तक क्षितिज में जा मुस्कुराए

बच्चा हवाई जहाज देखता है

वह छू रहा है रोंयेदार कोमल सफ़ेद स्पर्श से