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- 17:20, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . मासूम गुल ने हँस के देखा तो तमाशा हो गया / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:20, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . आज मौसम ने शरारत फिर किया / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:20, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . सीपियों के नाम में सारा समंदर लिख गया / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:19, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . ज़िन्दगी प्यार है लेकिन जो आप समझें तो / डी. एम. मिश्र
- 17:19, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . जिंदगी थोड़ी है बंधन बहुत ज्यादा / डी. एम. मिश्र
- 17:16, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . दुनिया में अपनी खुश मुझे रहना पसन्द है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:15, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . मैं जहाँ जाता हूँ मेरे साथ जाती है ग़रीबी / डी. एम. मिश्र
- 17:15, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . मापदण्ड सब अलग-अलग हैं दुनिया बड़ी सयानी / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:15, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . लौटता है कहाँ नेता चुनाव के बाद / डी. एम. मिश्र
- 17:15, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . देर से जाना उसे वो आदमी मक्कार है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:15, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . भैया जी को देखो कितना हँसकर मिलते हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:15, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . भले जलसों में आकर के ज़बानें खूब चलती हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:14, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . वेा अच्छा आदमी था आ गया बातों में वो कैसे / डी. एम. मिश्र
- 17:13, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . वो आदमी बेकार है यह बात भी सही / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:12, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . बड़े होटल में जाकर चमचमाती शाम लिख लेना / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:12, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . लगा है मेला मगर सब यहाँ अकेले हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:12, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . दग़ाबाजों से धोखा और खाना क्या ज़रूरी है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:12, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . रूप बदलकर एक टाँग पर खड़ा मगर है / डी. एम. मिश्र
- 17:12, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . अगर जाँ दोस्त ही ले ले तो दुश्मन की ज़रूरत क्या / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:11, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-5) . . करो जो जी में आये कौन किसको रोकता है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:11, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . गंदगी धेाने में थोड़ा हाथ मैला हो गया / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:11, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . तू जाने या जाने तेरी क़िस्मत मेरे यार / डी. एम. मिश्र
- 17:11, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . सुनता नही फ़रियाद कोई हुक्मरान तक / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:11, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . ढूँढ रहा खोया अनुराग घर से बाहर तक / डी. एम. मिश्र
- 17:05, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . लाख काँटे हैं यहाँ पर फूल हैं, कलियाँ भी हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:05, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . जेा भी है जैसी भी है अपनी सँवारो ज़िंदगी / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:05, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-10) . . तेरे जाने पर भी तेरी याद न मन से जाती है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:05, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-11) . . हम भारत के भाग्य-विधाता मतदाता चिरकुट आबाद / डी. एम. मिश्र
- 17:04, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . बड़े-बड़े पर्वत, पहाड़ देखे हैं जो वीरान बने / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:04, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . दर्द में डूबा हुआ कोई ख़जाना तो हो / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:04, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . दिल जो घूमा करता था आवारा-सा / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:04, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . छल-फ़रेबों से निकलकर देखें / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:04, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . माना तेरे होठों पे खुशियों के तराने हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:04, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . गर जा रहे हैं आप तो कुछ कहके जाइये / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:04, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . साकी नही तो जाम क्या / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:04, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . तुम इतने खूसूरत हो कि बरबस आँख टिक जाये / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:03, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . जुल्म की दीवार उठ कर तोड़ दो / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:02, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . भटक रही है जो रूह मेरी कभी इस मकाँ, कभी उस मकाँ / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:02, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . बात को साफ कहो, सीधे कहो / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:02, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . ज़िंदगी में जब ग़मों का दायरा बढ़ने लगा / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:01, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . बैठ करके मौत की या तो प्रतीक्षा कीजिए / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:01, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . हवा में शोर हो तो रागिनी अच्छी नहीं लगती / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:01, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . हमने गर आसमाँ उठाया है / डी. एम. मिश्र
- 17:01, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-9) . . जामे ज़हर भी पी गया अश्कों में ढालकर / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:01, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . कहाँ मैं तलाशूँ मज़ा ज़िंदगी का / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:00, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-9) . . मिट गये देश के जो सृजन के लिए / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 16:41, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . किसे दिखाऊँ जख़्म हृदय का गहरा-गहरा है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 16:35, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . हमने भी आज कर लिये दर्शन शराब के / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 16:34, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . दुविधा पर जीवन है मस्ती पर चाँदनी / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 16:33, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-9) . . माना इक सुंदर शहर यहाँ / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
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