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* [[मसर्रतों को ये अहले-हवस न खो देते / मजरूह सुल्तानपुरी]]
 
* [[मसर्रतों को ये अहले-हवस न खो देते / मजरूह सुल्तानपुरी]]
 
* [[पहले सौ बार इधर और उधर देखा है / मजरूह सुल्तानपुरी]]
 
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आ ही जाएगी सहर मतला-ए-इम्काँ तो खुला
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आह-ए-जाँ-सोज़ की महरूमी-ए-तासीर न देख
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अब अहल-ए-दर्द ये जीने का एहतिमाम करें
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डरा के मौज ओ तलातुम से हम-नशीनों को
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दुश्मन की दोस्ती है अब अहल-ए-वतन के साथ
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गो रात मेरी सुब्ह की महरम तो नहीं है
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हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह
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हम को जुनूँ क्या सिखलाते हो हम थे परेशाँ तुम से ज़्यादा
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हमें शुऊर-ए-जुनूँ है कि जिस चमन में रहे
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जब हुआ इरफ़ाँ तो ग़म आराम-ए-जाँ बनता गया
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जला के मशअल-ए-जाँ हम जुनूँ-सिफ़ात चले
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जलवा-ए-गुल का सबब दीदा-ए-तर है कि नहीं
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ख़ंजर की तरह बू-ए-सुमन तेज़ बहुत है
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मसर्रतों को ये अहल-ए-हवस न खो देते
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मुझे सहल हो गईं मंज़िलें वो हवा के रुख़ भी बदल गए
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निगाह-ए-साक़ी-ए-ना-मेहर-बाँ ये क्या जाने
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सिखाएँ दस्त-ए-तलब को अदा-ए-बे-बाकी
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सू-ए-मक़तल कि पए सैर-ए-चमन जाते हैं
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तक़दीर का शिकवा बे-मानी जीना ही तुझे मंज़ूर नहीं
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ये रुके रुके से आँसू ये दबी दबी सी आहें
 
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23:15, 24 मई 2013 का अवतरण

मजरूह सुल्तानपुरी
Majrooh.jpg
जन्म 01 अक्तूबर 1919
निधन 24 मई 2000
उपनाम मजरूह
जन्म स्थान सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
--
विविध
1964 में "दोस्ती" फ़िल्म के गीतों के लिये फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित।
जीवन परिचय
मजरूह सुल्तानपुरी / परिचय
कविता कोश पता
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प्रतिनिधि रचनाएँ <sort order="asc" class="ul">

आ ही जाएगी सहर मतला-ए-इम्काँ तो खुला आह-ए-जाँ-सोज़ की महरूमी-ए-तासीर न देख अब अहल-ए-दर्द ये जीने का एहतिमाम करें डरा के मौज ओ तलातुम से हम-नशीनों को दुश्मन की दोस्ती है अब अहल-ए-वतन के साथ गो रात मेरी सुब्ह की महरम तो नहीं है हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह हम को जुनूँ क्या सिखलाते हो हम थे परेशाँ तुम से ज़्यादा हमें शुऊर-ए-जुनूँ है कि जिस चमन में रहे जब हुआ इरफ़ाँ तो ग़म आराम-ए-जाँ बनता गया जला के मशअल-ए-जाँ हम जुनूँ-सिफ़ात चले जलवा-ए-गुल का सबब दीदा-ए-तर है कि नहीं ख़ंजर की तरह बू-ए-सुमन तेज़ बहुत है मसर्रतों को ये अहल-ए-हवस न खो देते मुझे सहल हो गईं मंज़िलें वो हवा के रुख़ भी बदल गए निगाह-ए-साक़ी-ए-ना-मेहर-बाँ ये क्या जाने सिखाएँ दस्त-ए-तलब को अदा-ए-बे-बाकी सू-ए-मक़तल कि पए सैर-ए-चमन जाते हैं तक़दीर का शिकवा बे-मानी जीना ही तुझे मंज़ूर नहीं वो तो गया ये दीदा-ए-ख़ूँ-बार देखिए ये रुके रुके से आँसू ये दबी दबी सी आहें </sort>

फ़िल्मों के लिए लिखे गीत <sort order="asc" class="ul">

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