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"कविता के विरुद्ध / योगेंद्र कृष्णा" के अवतरणों में अंतर
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कविता के विरुद्ध
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रचनाकार | योगेंद्र कृष्णा |
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प्रकाशक | बोधि प्रकाशन, एफ़-77, सेक्टर 9, रोड नं 11, करतारपुरा इंदस्ट्रियल एरिया, बाइस गोदाम, जयपुर : 302006, भारत |
वर्ष | 2016 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 100 |
ISBN | 978-93-86253-16-3 |
विविध | मूल्य 100 रु |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
अनुक्रम
- कविता के विरुद्ध (कवियों बुद्धिजीवियों के विरुद्ध एक शासनादेश) / योगेंद्र कृष्णा
- खाली आदमी और खाली चीज़ें / योगेंद्र कृष्णा
- कोई भी ऐश्वर्य / योगेंद्र कृष्णा
- हत्यारे जब मसीहा होते हैं / योगेंद्र कृष्णा
- हत्यारे जब गांधी होते हैं / योगेंद्र कृष्णा
- समांतर आभासी दुनियाएं / योगेंद्र कृष्णा
- इस कठिन दौर में / योगेंद्र कृष्णा
- चाय के बहाने / योगेंद्र कृष्णा
- भूख और नींद / योगेंद्र कृष्णा
- जीने का सामान / योगेंद्र कृष्णा
- केवल कुछ शब्द / योगेंद्र कृष्णा
- धुंध / योगेंद्र कृष्णा
- नदियां जो कहती हैं / योगेंद्र कृष्णा
- यायावर / योगेंद्र कृष्णा
- लौटना है हमें / योगेंद्र कृष्णा
- सभ्यता का आतंक / योगेंद्र कृष्णा
- जंगल और पहाड़ होना चाहता हूं / योगेंद्र कृष्णा
- बंद होती खिड़कियां / योगेंद्र कृष्णा
- खाली जगहें / योगेंद्र कृष्णा
- खिड़की के उस पार / योगेंद्र कृष्णा
- सुख की ये चिन्दियां / योगेंद्र कृष्णा
- रौशनी का रुखसत होना / योगेंद्र कृष्णा
- और भी है घास / योगेंद्र कृष्णा
- पृथ्वी का आकाश / योगेंद्र कृष्णा
- शब्दों की कारीगरी / योगेंद्र कृष्णा
- शायद पता हो मधुमक्खियों को / योगेंद्र कृष्णा
- उजाले से डर जाओगे / योगेंद्र कृष्णा
- रीढ़ / योगेंद्र कृष्णा
- चुप्पियां जब बोलती हैं / योगेंद्र कृष्णा
- अगर तुम / योगेंद्र कृष्णा
- हवाओं पर सवार / योगेंद्र कृष्णा
- श्मशान में मां / योगेंद्र कृष्णा
- सहगामिनी परछाइयां / योगेंद्र कृष्णा
- देह से गुजरती हुई / योगेंद्र कृष्णा
- शेष रह गया हूं / योगेंद्र कृष्णा
- छूट गया वहां वहां / योगेंद्र कृष्णा
- होने न होने के बीच / योगेंद्र कृष्णा
- कैसी यह रात है / योगेंद्र कृष्णा
- मुर्दा पाया गया हूं / योगेंद्र कृष्णा
- जब भी मिले / योगेंद्र कृष्णा
- मैं ढूंढता रहा / योगेंद्र कृष्णा
- सच का ओर-छोर / योगेंद्र कृष्णा
- पता होता है परिंदों को / योगेंद्र कृष्णा
- ग़ैब की भाषा / योगेंद्र कृष्णा
- मेरे हिस्से की दोपहर / योगेंद्र कृष्णा
- ठिठक जाता हूं / योगेंद्र कृष्णा
- निष्कंप धरती का विश्वास / योगेंद्र कृष्णा
- निर्विकल्प खामोशियां / योगेंद्र कृष्णा
- दफ़्तर से विदाई / योगेंद्र कृष्णा
- जीत सकता हूं मैं / योगेंद्र कृष्णा
- सच का मंज़र / योगेंद्र कृष्णा
- अतिक्रमण / योगेंद्र कृष्णा
- अंधेरी मेहराबें / योगेंद्र कृष्णा
- तुम्हारा होना / योगेंद्र कृष्णा