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19:49, 15 अगस्त 2008 का अवतरण
मीराबाई, मीरा
जन्म | 1498 |
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निधन | 1547 |
उपनाम | |
जन्म स्थान | मेरता, राजस्थान, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
-- | |
विविध | |
मीराबाई की अधिकांश रचनाएँ उनके कृष्ण प्रेम से ओत-प्रोत हैं। | |
जीवन परिचय | |
मीराबाई / परिचय |
- बादल देख डरी / मीराबाई
- पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो / मीराबाई
- पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे / मीराबाई
- श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो / मीराबाई
- तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार / मीराबाई
- बरसै बदरिया सावन की / मीराबाई
- हेरी म्हा दरद दिवाणौ / मीराबाई
- मन रे पासि हरि के चरन / मीराबाई
- प्रभु कब रे मिलोगे / मीराबाई
- तुम बिन नैण दुखारा / मीराबाई
- हरो जन की भीर / मीराबाई
- म्हारो अरजी / मीराबाई
- मेरो दरद न जाणै कोय / मीराबाई
- राखौ कृपानिधान / मीराबाई
- कोई कहियौ रे / मीराबाई
- दूखण लागे नैन / मीराबाई
- कल नाहिं पड़त जिस / मीराबाई
- आय मिलौ मोहि / मीराबाई
- लोक-लाज तजि नाची / मीराबाई
- मैं बैरागण हूंगी / मीराबाई
- बसो मोरे नैनन में / मीराबाई
- मोरे ललन / मीराबाई
- चितवौ जी मोरी ओर / मीराबाई
- प्राण अधार / मीराबाई
- दूसरो न कोई / मीराबाई
- म्हारे घर / मीराबाई
- मैं अरज करूँ / मीराबाई
- प्रभु, कबरे मिलोगे / मीराबाई
- मीरा दासी जनम जनम की / मीराबाई
- आली रे! / मीराबाई
- प्रभु गिरधर नागर / मीराबाई
- राख अपनी सरण / मीराबाई
- आज्यो म्हारे देस / मीराबाई
- कीजो प्रीत खरी / मीराबाई
- मीरा के प्रभु गिरधर नागर / मीराबाई
- शरण गही प्रभु तेरी / मीराबाई
- प्रभु किरपा कीजौ / मीराबाई
- सखी री / मीराबाई
- पपैया रे! / मीराबाई
- होरी खेलत हैं गिरधारी / मीराबाई
- साजन घर आया हो / मीराबाई
- चाकर राखो जी / मीराबाई
- सांचो प्रीतम / मीराबाई
- सुभ है आज घरी / मीराबाई
- म्हारो कांई करसी / मीराबाई
- राम रतन धन पायो / मीराबाई
- भजन बिना नरफीको / मीराबाई
- तुमरे दरस बिन बावरी / मीराबाई
- भजो रे मन गोविन्दा / मीराबाई
- लाज राखो महाराज / मीराबाई
- म्हारो प्रणाम / मीराबाई
- मीरा की विनती छै जी / मीराबाई
- माई री! / मीराबाई
- राम-नाम-रस पीजै / मीराबाई
- मेरो मन राम-हि-राम रटै / मीराबाई
- हरि बिन कूण गती मेरी / मीराबाई
- मीरा को प्रभु साँची दासी बनाओ / मीराबाई
- सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी / मीराबाई
- प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय / मीराबाई
- अब तो निभायाँ सरेगी, बांह गहेकी लाज / मीराबाई
- स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान / मीराबाई
- राम मिलण रो घणो उमावो, नित उठ जोऊं बाटड़ियाँ / मीराबाई
- गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय / मीराबाई
- नातो नामको जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय / मीराबाई
- माई म्हारी हरिजी न बूझी बात / मीराबाई
- दरस बिनु दूखण लागे नैन / मीराबाई
- सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी / मीराबाई
- प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय / मीराबाई
- है मेरो मनमोहना, आयो नहीं सखी री / मीराबाई
- मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली / मीराबाई
- पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस / मीराबाई
- साजन, सुध ज्यूं जाणो लीजै हो / मीराबाई
- हरि बिन ना सरै री माई / मीराबाई
- आओ मनमोहना जी जोऊं थांरी बाट / मीराबाई
- राम मिलण के काज सखी, मेरे आरति उर में जागी री / मीराबाई
- गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा / मीराबाई
- मैं हरि बिन क्यों जिऊं री माइ / मीराबाई
- तुम्हरे कारण सब छोड्या, अब मोहि क्यूं तरसावौ हौ / मीराबाई
- करुणा सुणो स्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी / मीराबाई
- पपइया रे, पिव की वाणि न बोल / मीराबाई
- पिया मोहि दरसण दीजै हो / मीराबाई
- सखी, मेरी नींद नसानी हो / मीराबाई
- म्हारी सुध ज्यूं जानो त्यूं लीजो / मीराबाई
- घर आंगण न सुहावै, पिया बिन मोहि न भावै / मीराबाई
- साजन घर आओनी मीठा बोला / मीराबाई
- म्हारे जनम-मरण साथी थांने नहीं बिसरूं दिनराती / मीराबाई
- थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ / मीराबाई
- तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी / मीराबाई
- स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो / मीराबाई
- मेरे नैना निपट बंकट छबि अटके / मीराबाई
- या मोहन के रूप लुभानी / मीराबाई
- बड़े घर ताली लागी रे, म्हारां मन री उणारथ भागी रे / मीराबाई
- मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई / मीराबाई
- जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम / मीराबाई
- सहेलियां साजन घर आया हो / मीराबाई
- पियाजी म्हारे नैणां आगे रहज्यो जी / मीराबाई
- म्हारा ओलगिया घर आया जी / मीराबाई
- हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को / मीराबाई
- म्हांरे घर होता जाज्यो राज / मीराबाई
- आओ सहेल्हां रली करां है पर घर गवण निवारि / मीराबाई
- जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं / मीराबाई
- हरी मेरे जीवन प्रान अधार / मीराबाई
- आली , सांवरे की दृष्टि मानो, प्रेम की कटारी है / मीराबाई
- छोड़ मत जाज्यो जी महाराज / मीराबाई
- सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हांरो कांई कर लेसी / मीराबाई
- बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं / मीराबाई
- राणाजी, म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं / मीराबाई
- राम नाम मेरे मन बसियो, रसियो राम रिझाऊं ए माय / मीराबाई
- राणाजी, थे क्यांने राखो म्हांसूं बैर / मीराबाई
- राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां / मीराबाई
- आली, म्हांने लागे वृन्दावन नीको / मीराबाई
- या ब्रज में कछु देख्यो री टोना / मीराबाई
- चालो मन गंगा जमुना तीर / मीराबाई
- मैं गिरधर रंग-राती, सैयां मैं / मीराबाई
- फागुन के दिन चार होली खेल मना रे / मीराबाई
- सखी री लाज बैरण भई / मीराबाई
- कुण बांचे पाती, बिना प्रभु कुण बांचे पाती / मीराबाई
- मीरा मगन भई हरि के गुण गाय / मीराबाई
- भज ले रे मन, गोपाल-गुना / मीराबाई
- चालो अगमके देस कास देखत डरै / मीराबाई
- नहिं एसो जनम बारंबार / मीराबाई
- रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै / मीराबाई
- लेतां लेतां रामनाम रे, लोकड़ियां तो लाजो मरै छे / मीराबाई
- लागी मोहिं नाम-खुमारी हो / मीराबाई
- री, मेरे पार निकस गया सतगुर मार्या तीर / मीराबाई
- मोहि लागी लगन गुरुचरणन की / मीराबाई
- देखत राम हंसे सुदामाकूं देखत राम हंसे / मीराबाई
- सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार / मीराबाई
- मुखडानी माया लागी रे / मीराबाई
- अब तौ हरी नाम लौ लागी / मीराबाई
- घर आवो जी सजन मिठ बोला / मीराबाई