भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अभिनव अरुण
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:48, 6 सितम्बर 2020 का अवतरण
अभिनव अरुण
© कॉपीराइट: अभिनव अरुण। कविता कोश के पास संकलन की अनुमति है। इन रचनाओं का प्रयोग अभिनव अरुण की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता।
जन्म | 17 जनवरी 1971 |
---|---|
उपनाम | अभिनव अरुण |
जन्म स्थान | उत्तरौली, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
सच का परचम (ग़ज़ल संग्रह), बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं (ग़ज़ल संग्रह), मांद से बाहर (कविता संग्रह) | |
विविध | |
ग़ज़ल संग्रह "बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं" के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का "दुष्यंत कुमार पुरस्कार - २०१७" | |
जीवन परिचय | |
अभिनव अरुण / परिचय |
कविताएँ
- मांद से बाहर / अभिनव अरुण
- आदमखोर / अभिनव अरुण
- गिद्धों का समूह गान / अभिनव अरुण
- देखने में सुंदर लड़कियां / अभिनव अरुण
- नसीबन तेरे लिए / अभिनव अरुण
- राजपथ से परे / अभिनव अरुण
- जेनोसाइड / अभिनव अरुण
- वर्किंग लेडी वर्सेस श्रमेव जयते / अभिनव अरुण
- यूटोपिया / अभिनव अरुण
- पिंक-गुलाबी / अभिनव अरुण
- स्वाहा / अभिनव अरुण
- औरत / अभिनव अरुण
ग़ज़ल
- फिर ज़ुबानों पर इन्कलाब आए / अभिनव अरुण
- मुहब्बत में इबादत का यूँ मौक़ा ढूँढ लेते हैं / अभिनव अरुण
- न समझो आसमानी बोलता हूँ / अभिनव अरुण
- जो बद्दुआ भी उधर जाए तो दुआ ही लगे / अभिनव अरुण
- ज़मीं को लाख जोतो वो कभी शिकवा नहीं करती / अभिनव अरुण
- अँधेरी रात है किरणें सुबह की लाओ भी / अभिनव अरुण
- ग़ज़ल में चाहता हूँ इश्क़ है ख़ुदा लिख दूँ / अभिनव अरुण
- द्रौपदी नोच डाली गयी घर से सीता निकाली गयी / अभिनव अरुण
- है गांवों में भी विद्यालय जहां अक्सर नहीं आते / अभिनव अरुण
- चमन की ख़ुशबू गुलों की रंगत किसी की चाहत हमें नहीं है / अभिनव अरुण
- झूठ जब भी सर उठाये वार होना चाहिए / अभिनव अरुण
- तलवार की बातें करो छोडो मयान की / अभिनव अरुण
- हथेली पे कैक्टस उगाने से पहले / अभिनव अरुण
- कितने गड़बड़ झाले हैं / अभिनव अरुण
- ग़ज़ल मेरी में कोई छल नही है / अभिनव अरुण
- आकर्षक चमकीले लोग / अभिनव अरुण
- किताबें मानता हूँ रट गया है / अभिनव अरुण
- आग नहीं कुछ पानी भी दो / अभिनव अरुण
- कहूँ कैसे कि मेरे शहर में अखबार बिकता है / अभिनव अरुण
- आँधियाँ चल दीं आज़मानें सौ / अभिनव अरुण
- उसकी हद उसको बताऊंगा ज़रूर / अभिनव अरुण
- तुझको ऐ ज़िन्दगी, इक रोज़ मैं छल जाऊँगा / अभिनव अरुण
- बहुत दुश्वारियां हैं पर वहम आसानियों का है / अभिनव अरुण
- तुम मेरे दिल के मकीं हो इस ज़माने का है क्या / अभिनव अरुण
- साज़िशें नश्वर हुआ करतीं बताता आ गया / अभिनव अरुण
- फूल की ख़ुशबू को हम यूं भी लुटा देते हैं / अभिनव अरुण
- सच को अपनाने का जब ऐलान किया / अभिनव अरुण
- वर्ना अन्जान शहर लगता है / अभिनव अरुण
- बदन ख़ुशबू में लिपटा है मगर आँखों में पानी है / अभिनव अरुण
- सबकी नज़रों में सुनहरी भोर होनी चाहिए / अभिनव अरुण