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- 15:13, 24 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-3) . . अब कहाँ जायें हमारे रास्ते हैं बन्द / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:32, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . तमाशाई बने रहना मुझे अच्छा नहीं लगता / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:32, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . दबे पाँवों से चलकर वक़्त हर लम्हा गुज़रता था / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:32, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . उड़ गये रंग हुए श्वेत हम / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:32, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . गुलाबों की नई क़िस्मों से वो खु़शबू नहीं आती / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:31, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-3) . . उधर हैं आधियाँ इधर चिराग़ जलता है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:31, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-10) . . बाग़ वही, बुलबुल भी वही मगर फ़साना बदल गया / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:31, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . इन गलियों में चले चलो, बस कुछ मत सोचो / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:31, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . नदी की धार मोड़ दो तो कोई बात बने / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:31, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . अब तो किसी भी बात पर चौंकता कोई नहीं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:31, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-10) . . केवल अपनी नहीं जगेसर सब की चिंता करता है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:29, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-9) . . फ़ज़ा वो भी समझता है, फ़ज़ा हम भी समझते हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:29, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . हमें बेटा नहीं बनिये की पूँजी मानता है वो / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:29, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . वही गगन भी छूता है जिसका ज़मीन से नाता है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:29, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-9) . . माँ हुई खुश तो मेरी तारीफ करने लग गयी / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:28, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-13) . . छोटा-सा नन्हा-सा बच्चा हाथ बढ़ाये छू ले चाँद / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:28, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . बहुत दिनों के बाद खिले दो फूल हमारे आँगन में / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:28, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . जाड़े की सुबहें थीं, घूप के गलीचे थे / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:28, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . ना अम्मा, ना बाबू, ना बचपन की खुशी हमारे पास / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:28, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . भावुकता के बिना शून्य जीवन लगता / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:28, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . बड़े होकर वो बच्चे ज़िंदगी भर लड़खड़ाते हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:27, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . गुज़र जाते हैं जो लम्हे वो केवल याद आते हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:27, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-3) . . हम ख़ादिमे गुलशन जब ठहरे हमें फ़िक्रे गुलिस्ताँ क्या करना / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:27, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . जा तुझे भी मिले खुशी कोई / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:27, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . और आगे क्या किया जाये बताओ रास्ता / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:27, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . अगर उदास है वो तो कोई मजबूरी है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:27, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . दुश्मने जाँ सामने हो तो ख़ता अच्छी लगे / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:27, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . ज़रा-सा मुस्कराये मुड़ गये इन्कार अच्छा है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:26, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . मुझे साथ अपने जो ले चले मुझे उस जहाँ की तलाश है / डी. एम. मिश्र
- 17:24, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . ज़िंदगी के सभी ग़म भुला दीजिए / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:24, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . थोड़ा-सा मुस्काने में क्यों इतनी देर लगा दी / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:24, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . हमने दिल जो दिया तो दिया कोई क़ीमत नहीं माँगते / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:24, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . मेरे साथ मेरे गुनाह थे और वो सितारों की रात थी / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:24, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-9) . . हुस्न है तो अदा कहाँ जाये / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:23, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . वेा हमको अच्छा लगता है हम उस पर प्यार लुटाते हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:23, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . शाख़ों से जो तोड़ लिया फूलों का मज़ा गया / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:23, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . दूर करो सब गिले व शिकवे अच्छी बात करो / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:23, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . इस मिट्टी को छूकर देखो गाँव दिखायी देगा / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:23, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-9) . . गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:23, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-9) . . मुझे तो आजकल अपनी ख़बर नहीं मिलती / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:23, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . ख़ैर मनाओ झोपड़ियों में बच्चे ज़्यादा हैं / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:22, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . धूल मिट्टी की चमक कागज पे रखकर देखता है / डी. एम. मिश्र
- 17:22, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . बादलों का एक टुकड़ा आसमाँ में खो गया / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:22, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . आसमान वो भले नहीं, पर मेरे सर की छतरी है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:21, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . क्या अच्छा, क्या बुरा सफ़र है चलना है / डी. एम. मिश्र
- 17:21, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . हँसो या ना हँसो मातम मुझे अच्छा नहीं लगता / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:20, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . अपने दरपन से लड़ गया कोई / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:20, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-6) . . अँधेरी सुंरगों में चलना कठिन है / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:20, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-7) . . अच्छा हुआ जो रंजो ग़म से दूर हो गया / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
- 17:20, 23 अगस्त 2017 (अंतर | इतिहास) . . (-8) . . आत्मा नीलाम करके कुछ भी पा लो / डी. एम. मिश्र (मौजूदा)
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