सिया सचदेव
जन्म | 06 अगस्त 1970 |
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जन्म स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
सिया सचदेव / परिचय |
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- यह तुम से किस ने कहा है कोई ख़ता ही न हो / सिया सचदेव
- रात दिन बस मेरा यह हाल रहा / सिया सचदेव
- अब जो बिखरे तो फिजाओं में सिमट जाएंगे / सिया सचदेव
- क्यों वह ताक़त के नशे में चूर है / सिया सचदेव
- ज़िंदगी इस तरह बिताना है / सिया सचदेव
- ऐसे इन्सां कम ही मिलते हैं हमें संसार में / सिया सचदेव
- जो सीने में धड़कता दिल न होता / सिया सचदेव
- फ़ख्र से इस जुर्म का इकरार होना चाहिए / सिया सचदेव
- सामने आँखों के सारे दिन सुहाने आ गए / सिया सचदेव
- उफ़ मैं इतना भी कर नहीं पाई / सिया सचदेव
- प्रार्थना / सिया सचदेव
- मैं हिफाज़त से तेरा दर्दो अलम रखती हूँ / सिया सचदेव
- दिल को क्यों करते हो छोटा / सिया सचदेव
- इन तुजुर्बो ने ये सिखाया है / सिया सचदेव
- मेरे दिल को कभी इक पल न भूले से क़रार आये / सिया सचदेव
- ज़माना कब कहाँ कैसा मिलेगा / सिया सचदेव
- आज मेरा दिल न जाने, इतना क्यूँ उदास है / सिया सचदेव
- दिल हैं पोशीदा बहोत मिसमार हैं / सिया सचदेव
- प्यार का मौसम जहाँ को भा गया / सिया सचदेव
- छुप छुप के ज़माने से आँखों को भिगोते हैं / सिया सचदेव
- माना बेरंग ज़िन्दगानी है / सिया सचदेव
- रोज़ शब होते ही उसके घर को महकाती हूँ मैं / सिया सचदेव
- ले दे के इस हयात में बस एक काम हो / सिया सचदेव
- ऐ ख़ुदा बस इक मेरा गमख्वार तू / सिया सचदेव
- सब को मीठे बोल सुनाती रहती हूँ / सिया सचदेव
- सोच लीजिए इन 'नाज़-ओ-अदा' से पहले / सिया सचदेव
- कब हमें उनकी इनायत चाहिए / सिया सचदेव
- पहले अपने दिल को दीवाना कहूं / सिया सचदेव
- ग़मों को भूल जाना आ गया है / सिया सचदेव
- जरा-सी बात पे इतने वबाल करता है / सिया सचदेव
- तुम ने मुझे लिखा था जो ख़त के जवाब में / सिया सचदेव
- कब तलक आखिर रहेगी बे-ज़ुबानी आपकी / सिया सचदेव
- तू ही ख्व़ाब तू ही ख़याल है / सिया सचदेव
- जिनके घर हैं वो ही घर जायेगे / सिया सचदेव
- माँ तू साथ हैं मेरे तुझे मेरे हर ग़म की खबर है / सिया सचदेव
- दूर जा कर दूर कब हो पायेगा / सिया सचदेव
- क्या मिला क्या ना मिला, चलता रहा / सिया सचदेव
- ये जो तुम मुझ पे ज़ुल्म ढाते हो / सिया सचदेव
- देख कर तुझको दफअतन निकली / सिया सचदेव
- हकीकत है कोई कहानी नहीं है / सिया सचदेव
- ढूंढिए लाख मगर दोस्त कहाँ मिलते हैं / सिया सचदेव
- उसके हर ज़ुल्म को किस्मत का लिखा कहते हैं / सिया सचदेव
- किताबे जीस्त में ज़हमत के बाब इतने हैं / सिया सचदेव
- यही कह रहे हैं सभी अज्म वाले / सिया सचदेव
- बात होगी तो रू-ब-रू होगी / सिया सचदेव
- प्यार में पहले तो इनकार से डर लगता है / सिया सचदेव
- धुंआ बन बन के उठते हैं हमारे ख्वाब सीने से / सिया सचदेव
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