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शबनमी अहसास / ऋषिपाल धीमान ऋषि
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शबनमी अहसास
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रचनाकार | ऋषिपाल धीमान ऋषि |
---|---|
प्रकाशक | ऐवाने-ख्वाब, आगरा |
वर्ष | 1998 |
भाषा | हिंदी |
विषय | शायरी |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 52 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- घूंघट में अब न मुंह को छुपाना मेरी ग़ज़ल / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- मुझको छुए बिना ही ये तूफां गुज़र गया / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- पानी को बांधे रहते, तालाब के किनारे / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- प्यार का बदला हमेशा प्यार क्यों होता नहीं / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- कल फिर रहे थे जो यहां बे-आबरू जनाब / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- अगर हाल दुनिया का यों ही रहेगा / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- यों मेरे उसके बीच कोई फ़ासिला नहीं / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- जब इक गरीब शख्स का छप्पर उजड़ गया / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- ज़ख्मों को छीलकर न यों मरहम लगाइये / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- आदमी कब आदमी है तुम किसी से पूछ लो / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- छोड़ दूँ कैसे भला मैं ये निशानी प्यार की / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- ख्वाहिशों की बस्तियों में आज अपना घर लगे / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- इस तरह से भी सितम वो ढा रहे हैं / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- मुझको रोके थी अना और यार कुछ मग़रूर था / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- चाहिए मुझको दौलत नहीं / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- दाग़ दामन में लगा कर रख दिया / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- उठा है दर्द कोई, बर्क़ की अदा की तरह / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- ज़माने भर को खले मैं तुम्हारी बात करूँ / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- महफ़िल में उनके आर से हलचल सी हो गई / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- क्या हसीं घर का नज़ारा हो गया / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- चांद बन कर वो दरीचे में चमकते ही रहे / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- यूँ ही रात भर कोई बात कर / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- सबको सावन का महीना भा गया / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- जीवन में गति लाती है यह सड़कों की धूल / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- क्यों आसमां ये खुदखुशी करता नहीं / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- ज़िन्दगी से गया ज़िन्दगी का निशां / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- ये सच है रोज़ अश्क़ों का मौसम नहीं मिला / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- समझेगा कोई कैसे, असरार ज़िन्दगी के? / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- एक लम्हा आज सारी जिंदगी को खा गया / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- मेरे गुलशन को बहारों की जगह पतझर मिले / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- दुश्मनों से तो नहीं हारा वतन / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- देख कर दिल की कहानी आज कल / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- आंसुओं की न अब कतार मिले / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- हो गया खण्डित हरिक विश्वास है / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- सोचकर आंख नम हो गई / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- बात दिल की सुन लूं ज़रा / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- देख मेरे यार अब न हम सफ़र की बात कर / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- है नशे में या तबीअत ही तेरी नासाज़ है / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- हाथ में था जाम मेरे, फिर भी में प्यासा रहा / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- आंखें तरस रही हैं ये दीदार के लिए / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- तुम्हारे ज़ुल्मो-सितम का तो बस बहाना है / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- दिल मेरा आज ग़मे-यार की जागीर लगे / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- इक गांव है ख़याल में मेरे बना हुआ / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- उससे था जो फासला वो कम लगा / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- प्यार का अंजाम पूछो तो सही / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- हो फलीभूत तब प्रार्थना / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- स्वार्थ के बंधन तोड़ ज़माने / ऋषिपाल धीमान ऋषि
- पत्थर को लिए हाथ में वो तोल रहे हैं / ऋषिपाल धीमान ऋषि