अंधेरे में देखना
रचनाकार | प्रताप सहगल |
---|---|
प्रकाशक | अभिरुचि प्रकाशन, विश्वासनगर, शाहदरा, दिल्ली-110032 |
वर्ष | 1994 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 94 |
ISBN | |
विविध | कवि का चौथा कविता संग्रह |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
नये सिरे से
सुनो अखबार !
अंधेरा और आदमी
बूचड़खाना
प्रतिच्छाया
- फ़र्क / प्रताप सहगल
- आज़ादी का सिर / प्रताप सहगल
- आक्टोपस और पेड़ / प्रताप सहगल
- आकाश-चित्र / प्रताप सहगल
- बंधुआ / प्रताप सहगल
- देह-भाषा / प्रताप सहगल
- आनेवाली सदी की प्रतीक्षा में / प्रताप सहगल
- चक्की पीसे / प्रताप सहगल
- बच्चे की भाषा में / प्रताप सहगल
- अपनी खोज / प्रताप सहगल
- चार जोड़ी आंखें / प्रताप सहगल
- आओ, दोस्त! / प्रताप सहगल
- अपूर्व / प्रताप सहगल
- स्वप्नजीवी / प्रताप सहगल
- एक फूल से बातचीत / प्रताप सहगल
- इस साल / प्रताप सहगल
- जीवन / प्रताप सहगल
- पहचान / प्रताप सहगल
- मैं, तुम और वह / प्रताप सहगल
- चरैवेति चरैवेति... / प्रताप सहगल
- राजपथ बनाम जनपथ / प्रताप सहगल
- रामआसरे, आग और हम / प्रताप सहगल
- समझौता / प्रताप सहगल
- रंग-राग / प्रताप सहगल
- एक शक्ल / प्रताप सहगल
- जंगली आदमी कब्र / प्रताप सहगल
- प्रजातन्त्र की आंख से / प्रताप सहगल
- सागर / प्रताप सहगल