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प्रेम नारायण 'पंकिल' से जुड़े हुए पृष्ठ
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देखें (पिछले 50 | अगले 50) (20 | 50 | 100 | 250 | 500)- पूछा था “हे प्रियतम! कैसे तुम अगणित स्वर गढ़ लेते हो / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- पूछा था, “क्यों करता ऐसा प्रियतम! अमिताभ अंशुमाली / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- था कहा कभीं “हे प्राणेश्वरि! मत पूछो कैसे जीता हॅ / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- प्रेयसि-विरहित होता न तल्प मम मधु-धन होता अल्प नहीं” / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- निर्मोही कैसे हुए प्राण! किस भाँति बिसार दिया ममता / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- उमड़े अम्बर में प्रिय! आषाढ़ी घन बैठी रोती हूँ मैं / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- तुम मृदुल सुमन से कभीं हमारे प्रियतम! पाटल चिबुक छुये / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- नयनों से पिघल-पिघल कज्जल कर रहा कपोलों को श्यामल / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- जाने हमको क्या हुआ आज इतना व्याकुल है मेरा मन / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- गिरि मौन, धरित्री मौन, मौन नभ अनुपम मौन सुमन-श्वाँसे / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- वह दिन न भूलता पूछ रहे “कैसे आया यह परिवर्तन / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते “अब होती मुदित देख निर्जन में पृथु उरु उर-वर्धन / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते थे “कैसे हुआ घटित चुपके शैशव-यौवन संगम / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- पूछते ”कौन सी प्रबल प्रीति का हो प्रवाह दो बता प्रिये / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- पूछते ”कामिनी-कर-झंकृत किस वीणा की झंकार प्रिये / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- मेरी प्रति चेष्टाओं के स्रष्टा, द्रष्टा, भोक्ता, प्राण! सुनो / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते “था चिपक रहा भींगा पट काया से कर होड़ प्रिये! / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- “जाते थे उभर आर्द्र अम्बर से पीन पयोधर पीत प्रिये! / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- पूछा, “उस सुमन-मुकुल के हित क्यों रही नहीं अनुकूल प्रिये / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- “जोहते रह गये विकच कुसुम पर तुमने हे वृषभानु-लली! / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- शत बार विनय है इस अभागिनी के पुर में मत चन्द्र उगो / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते थे, “सुन्दरि! गंधानिल-तव अंचल-कोर कुसुम्बी ले / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- यह करूण विनय है प्राणनाथ! उस दिन अवश्य तुम आ जाना / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- जब मेरे निखरे कंचन-तन में प्रिय! भूकम्प समा जाये / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- सुधि करो प्राण! छू-छूकर मेरा मृदु तन शीतल चन्द्रोपम / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते तुम, “जब जलक्रीडन करती प्रेमद सुन्दरि कोटि गुना / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- जो रत्नमालिका से निबद्ध थी बीच-बीच में कुसुम-खचित / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते थे ”तेरे युगल नयन ज्यों जलक्रीड़ा करती मछली / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- चंचल मयूर-चन्द्रिका भाल मेरे मानस-सर के मराल / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कैसे विस्मृत हो गया तुम्हें प्रिय! केलि-कुंज कालिन्दी-तट / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- सुधि करो कहा था, ”जहाँ चरण रखती पंकज खिल जाते हैं / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- सरिता-तट की निशि-केलि-कथा पूछा था भाव-विभोर कभीं / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- “तुमको कितनी ही बार निहारा”, कहते थे, “लोचन-पुतरी / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते, “माधवी-लता-सी सखि! गदराई जाती सिहर-सिहर / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- आ जा हे प्राणों के राजा! अब याद तुम्हारी गाढ़ हुई / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- था कहा “तुम्हारी स्मृति ने ही नृप किया रहा मैं वनवासी! / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- तुम ही तो कहते थे, “सहता हूँ अगणित कटु आघात प्रिये! / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- ढॅंक सकी न उरज-कुम्भ को कंचुकि अलक-गुँथी माला बिखरी / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कब से तेरा पथ जोह रही हूँ सजल बिछा पलकें प्रियतम / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- छू सकती केश-कलाप नहीं कर सकती नव जूड़ा-बन्धन / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- मखमली वसन से ढँक दूँगी प्राणेश! सदन का वातायन / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- था कहा प्राण! तुमने मुझसे, “ढल रही यामिनी ढला करे / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते थे प्राण! “अखिल जग में गुंजित दुख-द्वन्द्व और ही है / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कहते, “रंजित करतीं जग को अमिता शरदेन्दु कलायें हैं / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- कंटकित हो गयी स्निग्ध सेज डॅंस रहा सर्पिणी-सदृश सदन / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- आ जा व्रजपति के परम दुलारे! माखन तुम्हें खिलाऊँगी / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- आशा ले घूम रही पगली अब आओगे, अब आओगे / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- उर मेरा मेरे मनभावन! यह नित्य तुम्हारा ही घर है / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- बस एक तुम्हारे सिवा श्याम! है अन्य किसी की चाह नहीं / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)
- काँपते पाणि में उठा लिया प्रिय तुमने फिर रस-भरित चषक / प्रेम नारायण 'पंकिल' (← कड़ियाँ)