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* '''[[सूर सुखसागर / सूरदास]]'''  | * '''[[सूर सुखसागर / सूरदास]]'''  | ||
| − | * सूरसागर / सूरदास  | + | * '''[http://kavitakosh.org/kk/otherapps/ebooks/?b=1o4EUreAOP_WLL_1IHkP--ooe2DNChtMX सूरसागर / सूरदास]'''  | 
* सूरसारावली / सूरदास  | * सूरसारावली / सूरदास  | ||
* साहित्य लहरी / सूरदास  | * साहित्य लहरी / सूरदास  | ||
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20:06, 16 मई 2021 के समय का अवतरण
सूरदास

| जन्म | 1478 | 
|---|---|
| निधन | 1573 | 
| जन्म स्थान | ग्राम सिही, फ़रीदाबाद, हरियाणा, भारत | 
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| विविध | |
| ब्रज भाषा के महाकवि। "सूरसागर" सूरदास की सभी ज्ञात रचनाओं का संकलन है जिसमें इनकी लगभग 5000 रचनाएँ संकलित हैं। | |
| जीवन परिचय | |
| सूरदास / परिचय | |
प्रमुख संग्रह
- श्रीकृष्णबाल माधुरी / सूरदास
 - सूर सुखसागर / सूरदास
 - सूरसागर / सूरदास
 - सूरसारावली / सूरदास
 - साहित्य लहरी / सूरदास
 - नल-दमयन्ती / सूरदास
 - ब्याहलो / सूरदास
 
सूरदास के भजन
- देखे मैं छबी आज अति बिचित्र हरिकी / सूरदास
 - श्रीराधा मोहनजीको रूप निहारो / सूरदास
 - राधे कृष्ण कहो मेरे प्यारे / सूरदास
 - नंद दुवारे एक जोगी आयो / सूरदास
 - देख देख एक बाला जोगी / सूरदास
 - बासरी बजाय आज रंगसो मुरारी / सूरदास
 - जागो पीतम प्यारा लाल / सूरदास
 - ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी / सूरदास
 - नेक चलो नंदरानी उहां लगी / सूरदास
 - देखो माई हलधर गिरधर जोरी / सूरदास
 - नेननमें लागि रहै गोपाळ / सूरदास
 - दरसन बिना तरसत मोरी अखियां / सूरदास
 - सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी / सूरदास
 - हमसे छल कीनो काना नेनवा लगायके / सूरदास
 - जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो / सूरदास
 - मधुरीसी बेन बजायके / सूरदास
 - काहू जोगीकी नजर लागी है / सूरदास
 - शाम नृपती मुरली भई रानी / सूरदास
 - मुरली कुंजनीनी कुंजनी बाजती / सूरदास
 - तुमको कमलनयन कबी गलत / सूरदास
 - रसिक सीर भो हेरी लगावत / सूरदास
 - फुलनको महल फुलनकी सज्या / सूरदास
 - कायकूं बहार परी / सूरदास
 - सुदामजीको देखत श्याम हसे / सूरदास
 - महाराज भवानी ब्रह्म भुवनकी रानी / सूरदास
 - हरि जनकू हरिनाम बडो धन / सूरदास
 - ऐसे संतनकी सेवा / सूरदास
 - जयजय नारायण ब्रह्मपरायण / सूरदास
 - जनम सब बातनमें बित गयोरे / सूरदास
 - देखो ऐसो हरी सुभाव / सूरदास
 - सब दिन गये विषयके हेत / सूरदास
 - मन तोये भुले भक्ति बिसारी / सूरदास
 - बेर बेर नही आवे अवसर / सूरदास
 - केत्ते गये जखमार भजनबिना / सूरदास
 - क्यौरे निंदभर सोया मुसाफर / सूरदास
 - जय जय श्री बालमुकुंदा / सूरदास
 - निरधनको धनि राम / सूरदास
 - अद्भुत एक अनुपम बाग / सूरदास
 - तबमें जानकीनाथ कहो / सूरदास
 - कमलापती भगवान / सूरदास
 - उधो मनकी मनमें रही / सूरदास
 - नारी दूरत बयाना रतनारे / सूरदास
 - अति सूख सुरत किये / सूरदास
 - रैन जागी पिया संग / सूरदास
 - खेलिया आंगनमें छगन मगन / सूरदास
 - काना कुबजा संग रिझोरे / सूरदास
 - कोण गती ब्रिजनाथ / सूरदास
 - चोरी मोरी गेंदया / सूरदास
 
प्रतिनिधि रचनाएँ
- भजन / सूरदास
 - मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे / सूरदास
 - प्रीति करि काहु सुख न लह्यो / सूरदास
 - भाव भगति है जाकें / सूरदास
 - सूरदास के पद
 - भोरहि सहचरि कातर दिठि/ सूरदास
 - ऊधौ, कर्मन की गति न्यारी/ सूरदास
 - निसिदिन बरसत नैन हमारे। / सूरदास
 - चरन कमल बंदौ हरिराई / सूरदास
 - तिहारो दरस मोहे भावे / सूरदास
 - दृढ इन चरण कैरो भरोसो / सूरदास
 - मधुकर! स्याम हमारे चोर / सूरदास
 - अंखियां हरि–दरसन की प्यासी / सूरदास
 - बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं / सूरदास
 - प्रीति करि काहू सुख न लह्यो / सूरदास
 - चरन कमल बंदौ हरि राई / सूरदास
 - अबिगत गति कछु कहति न आवै / सूरदास
 - प्रभु, मेरे औगुन न विचारौ / सूरदास
 - प्रभु, हौं सब पतितन कौ राजा / सूरदास
 - अब कै माधव, मोहिं उधारि / सूरदास
 - मोहिं प्रभु, तुमसों होड़ परी / सूरदास
 - अब हों नाच्यौ बहुत गोपाल / सूरदास
 - कब तुम मोसो पतित उधारो / सूरदास
 - अपन जान मैं बहुत करी / सूरदास
 - आछो गात अकारथ गार्यो / सूरदास
 - सोइ रसना जो हरिगुन गावै / सूरदास
 - माधवजू, जो जन तैं बिगरै / सूरदास
 - कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज / सूरदास
 - सरन गये को को न उबार्यो / सूरदास
 - जौलौ सत्य स्वरूप न सूझत / सूरदास
 - तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान / सूरदास
 - धोखैं ही धोखैं डहकायौ / सूरदास
 - कहावत ऐसे दानी दानि / सूरदास
 - मेरो मन अनत कहां सचु पावै / सूरदास
 - प्रभु, मेरे औगुन चित न धरौ / सूरदास
 - है हरि नाम कौ आधार / सूरदास
 - रे मन, राम सों करि हेत / सूरदास
 - मो सम कौन कुटिल खल कामी / सूरदास
 - जापर दीनानाथ ढरै / सूरदास
 - मन तोसों कोटिक बार कहीं / सूरदास
 - भजु मन चरन संकट-हरन / सूरदास
 - खेलत नंद-आंगन गोविन्द / सूरदास
 - मेरी माई, हठी बालगोबिन्दा / सूरदास
 - जसोदा, तेरो भलो हियो है माई / सूरदास
 - आई छाक बुलाये स्याम / सूरदास
 - जसुमति दौरि लिये हरि कनियां / सूरदास
 - जौ बिधिना अपबस करि पाऊं / सूरदास
 - नैन भये बोहित के काग / सूरदास
 - नटवर वेष काछे स्याम / सूरदास
 - वृच्छन से मत ले / सूरदास
 - मुरली गति बिपरीत कराई / सूरदास
 - संदेसो दैवकी सों कहियौ / सूरदास
 - मेरो कान्ह कमलदललोचन / सूरदास
 - कहियौ, नंद कठोर भये / सूरदास
 - नीके रहियौ जसुमति मैया / सूरदास
 - जोग ठगौरी ब्रज न बिकहै / सूरदास
 - ऊधो, होहु इहां तैं न्यारे / सूरदास
 - फिर फिर कहा सिखावत बात / सूरदास
 - उधो, मन नाहीं दस बीस / सूरदास
 - अंखियां हरि-दरसन की भूखी / सूरदास
 - ऊधो, हम लायक सिख दीजै / सूरदास
 - ऊधो, मन माने की बात / सूरदास
 - निरगुन कौन देश कौ बासी / सूरदास
 - कहियौ जसुमति की आसीस / सूरदास
 - कहां लौं कहिए ब्रज की बात / सूरदास
 - ऊधो, मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं / सूरदास
 - तबतें बहुरि न कोऊ आयौ / सूरदास
 - अब या तनुहिं राखि कहा कीजै / सूरदास
 - नाथ, अनाथन की सुधि लीजै / सूरदास
 - ऐसैं मोहिं और कौन पहिंचानै / सूरदास
 - हरि, तुम क्यों न हमारैं आये / सूरदास
 - जो पै हरिहिंन शस्त्र गहाऊं / सूरदास
 - मो परतिग्या रहै कि जाउ / सूरदास
 - वा पटपीत की फहरानि / सूरदास
 - हरि हरि हरि सुमिरन करौ / सूरदास
 - रानी तेरो चिरजीयो गोपाल / सूरदास
 - मोहन केसे हो तुम दानी / सूरदास
 - व्रजमंडल आनंद भयो / सूरदास
 - राखी बांधत जसोदा मैया / सूरदास
 - व्रजमंडल आनंद भयो / सूरदास
 - सकल सुख के कारन / सूरदास
 - बृथा सु जन्म गंवैहैं / सूरदास
 - मेटि सकै नहिं कोइ / सूरदास
 - हम भगतनि के भगत हमारे / सूरदास
 - जागिए ब्रजराज कुंवर / सूरदास
 - उपमा हरि तनु देखि लजानी / सूरदास
 - सबसे ऊँची प्रेम सगाई / सूरदास
 - माधव कत तोर करब बड़ाई / सूरदास
 - कहां लौं बरनौं सुंदरताई / सूरदास
 - बदन मनोहर गात / सूरदास
 - हमारे प्रभु, औगुन चित न धरौ / सूरदास
 - राखौ लाज मुरारी / सूरदास
 - रतन-सौं जनम गँवायौ / सूरदास
 - अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल / सूरदास
 - जनम अकारथ खोइसि / सूरदास
 - रे मन मूरख, जनम गँवायौ / सूरदास
 - अजहूँ चेति अचेत / सूरदास
 - आनि सँजोग परै / सूरदास
 - दियौ अभय पद ठाऊँ / सूरदास
 - मन धन-धाम धरे / सूरदास
 - आजु हौं एक एक करि टरिहौं / सूरदास
 - तजौ मन, हरि-बिमुखनि को संग / सूरदास
 - ऎसी प्रीति की बलि जाऊं / सूरदास
 - जसोदा हरि पालनैं झुलावै / सूरदास
 - सोभित कर नवनीत लिए / सूरदास
 - आजु मैं गाई चरावन जैहों / सूरदास
 - गिरि जनि गिरै स्याम के कर तैं / सूरदास
 - ऊधौ,तुम हो अति बड़भागी / सूरदास
 - हमारे हरि हारिल की लकरी / सूरदास
 - हरि हैं राजनीति पढि आए / सूरदास
 - मन की मन ही माँझ रही / सूरदास
 - अब मैं जानी देह बुढ़ानी / सूरदास
 - जौं आजु हरिहिं न अस्त्र गहाऊँ / सूरदास
 - रे मन कृष्ण नाम कहि लीजै / सूरदास
 - प्रात समय नवकुंज महल / सूरदास
 - औरन सों खेले धमार / सूरदास
 - जागिये ब्रजराज कुंवर / सूरदास
 - ऐसो पूत देवकी जायो / सूरदास
 - चिरजीयो होरी को रसिया चिरजीयो / सूरदास
 - राधे जू आज बन्यो है वसंत / सूरदास
 - मलार मठा खींच को लोंदा / सूरदास
 - ग्वालिन मेरी गेंद चुराई / सूरदास
 - देखो री हरि भोजन खात / सूरदास
 - अरी तुम कोन हो री बन में फूलवा बीनन हारी / सूरदास
 - राधा प्यारी कह्यो सखिन सों सांझी धरोरी माई / सूरदास
 - व्रजमंडल आनंद भयो प्रगटे श्री मोहन लाल / सूरदास
 - पवित्रा पहरत हे अनगिनती / सूरदास
 - पवित्रा श्री विट्ठलेश पहरावे / सूरदास
 - पवित्रा पहरे को दिन आयो / सूरदास
 - पहरे पवित्रा बैठे हिंडोरे दोऊ निरखत नेन सिराने / सूरदास
 - हों तो एक नई बात सुन आई / सूरदास
 - देखो माई ये बडभागी मोर / सूरदास
 - बोले माई गोवर्धन पर मुरवा / सूरदास
 - दोउ भैया मांगत मैया पें देरी मैया दधि माखन रोटी / सूरदास
 - छगन मगन प्यारे लाल कीजिये कलेवा / सूरदास
 - श्री वल्लभ भले बुरे दोउ तेरे / सूरदास
 - वृंदावन एक पलक जो रहिये / सूरदास
 - व्रज में हरि होरी मचाई / सूरदास
 - साची कहो मनमोहन मोसों तो खेलों तुम संग होरी / सूरदास
 - श्री यमुने पति दास के चिन्ह न्यारे / सूरदास
 - फल फलित होय फलरूप जाने / सूरदास
 - भक्त को सुगम श्री यमुने अगम ओरें / सूरदास
 - नाम महिमा ऐसी जु जानो / सूरदास
 - कन्हैया हालरू रे / सूरदास
 - हालरौ हलरावै माता / सूरदास
 - पालनैं गोपाल झुलावैं / सूरदास
 - पलना स्याम झुलावत जननी / सूरदास
 - कनक रति मनि पालनौ, गढ्यो काम सुतहार / सूरदास
 - तिहारो दरस मोहे भावे श्री यमुना जी / सूरदास
 - दृढ इन चरण कैरो भरोसो, दृढ इन चरणन कैरो / सूरदास
 - मैया कबहुं बढ़ैगी चोटी / सूरदास
 - मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो / सूरदास
 - मैया! मैं नहिं माखन खायो / सूरदास
 - हरि अपनैं आंगन कछु गावत / सूरदास
 - जो तुम सुनहु जसोदा गोरी / सूरदास
 - कहन लागे मोहन मैया मैया / सूरदास
 - खीझत जात माखन खात / सूरदास
 - चली ब्रज घर घरनि यह बात / सूरदास
 - आजु मैं गाइ चरावन जैहौं / सूरदास
 - माधवजू जो जन तैं बिगरै / सूरदास
 - रे मन राम सों करि हेत / सूरदास
 - प्रात समय उठि सोवत हरि कौ बदन उघारौ नंद / सूरदास
 - सांझ भई घर आवहु प्यारे / सूरदास
 - सखा सहित गये माखन-चोरी / सूरदास
 - मैया री मोहिं माखन भावै / सूरदास
 - गोपालहिं माखन खान दै / सूरदास
 - जसोदा कहाँ लौं कीजै कानि / सूरदास
 - कुंवर जल लोचन भरि भरि लैत / सूरदास
 - जसोदा तेरो भलो हियो है माई / सूरदास
 - यह सुनिकैं हलधर तहं धाये / सूरदास
 - निरखि स्याम हलधर मुसुकानैं / सूरदास
 - मैया हौं न चरैहों गाय / सूरदास
 - धनि यह वृन्दावन की रैनु / सूरदास
 
| अष्टछाप | ||
| महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित 8 भक्तिकालीन कवि, जिन्होंने अपने विभिन्न पदों एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया। और अधिक जानें... | ||
| अष्टछाप के कवि: सूरदास । नंददास । परमानंददास । कुम्भनदास । चतुर्भुजदास । छीतस्वामी । गोविन्दस्वामी | ||