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सूरदास
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सूरदास
जन्म | 1483 |
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निधन | 1573 |
जन्म स्थान | ग्राम सिही, फ़रीदाबाद, हरियाणा, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
ब्रज भाषा के महाकवि। "सूरसागर" सूरदास की सभी ज्ञात रचनाओं का संकलन है जिसमें इनकी लगभग 5000 रचनाएँ संकलित हैं। | |
जीवन परिचय | |
सूरदास / परिचय |
प्रमुख संग्रह
- श्रीकृष्णबाल माधुरी / सूरदास
- सूर सुखसागर / सूरदास
- सूरसागर / सूरदास
- सूरसारावली / सूरदास
- साहित्य लहरी / सूरदास
- नल-दमयन्ती / सूरदास
- ब्याहलो / सूरदास
सूरदास के भजन
- देखे मैं छबी आज अति बिचित्र हरिकी / सूरदास
- श्रीराधा मोहनजीको रूप निहारो / सूरदास
- राधे कृष्ण कहो मेरे प्यारे / सूरदास
- नंद दुवारे एक जोगी आयो / सूरदास
- देख देख एक बाला जोगी / सूरदास
- बासरी बजाय आज रंगसो मुरारी / सूरदास
- जागो पीतम प्यारा लाल / सूरदास
- ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी / सूरदास
- नेक चलो नंदरानी उहां लगी / सूरदास
- देखो माई हलधर गिरधर जोरी / सूरदास
- नेननमें लागि रहै गोपाळ / सूरदास
- दरसन बिना तरसत मोरी अखियां / सूरदास
- सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी / सूरदास
- हमसे छल कीनो काना नेनवा लगायके / सूरदास
- जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो / सूरदास
- मधुरीसी बेन बजायके / सूरदास
- काहू जोगीकी नजर लागी है / सूरदास
- शाम नृपती मुरली भई रानी / सूरदास
- मुरली कुंजनीनी कुंजनी बाजती / सूरदास
- तुमको कमलनयन कबी गलत / सूरदास
- रसिक सीर भो हेरी लगावत / सूरदास
- फुलनको महल फुलनकी सज्या / सूरदास
- कायकूं बहार परी / सूरदास
- सुदामजीको देखत श्याम हसे / सूरदास
- महाराज भवानी ब्रह्म भुवनकी रानी / सूरदास
- हरि जनकू हरिनाम बडो धन / सूरदास
- ऐसे संतनकी सेवा / सूरदास
- जयजय नारायण ब्रह्मपरायण / सूरदास
- जनम सब बातनमें बित गयोरे / सूरदास
- देखो ऐसो हरी सुभाव / सूरदास
- सब दिन गये विषयके हेत / सूरदास
- मन तोये भुले भक्ति बिसारी / सूरदास
- बेर बेर नही आवे अवसर / सूरदास
- केत्ते गये जखमार भजनबिना / सूरदास
- क्यौरे निंदभर सोया मुसाफर / सूरदास
- जय जय श्री बालमुकुंदा / सूरदास
- निरधनको धनि राम / सूरदास
- अद्भुत एक अनुपम बाग / सूरदास
- तबमें जानकीनाथ कहो / सूरदास
- कमलापती भगवान / सूरदास
- उधो मनकी मनमें रही / सूरदास
- नारी दूरत बयाना रतनारे / सूरदास
- अति सूख सुरत किये / सूरदास
- रैन जागी पिया संग / सूरदास
- खेलिया आंगनमें छगन मगन / सूरदास
- काना कुबजा संग रिझोरे / सूरदास
- कोण गती ब्रिजनाथ / सूरदास
- चोरी मोरी गेंदया / सूरदास
प्रतिनिधि रचनाएँ
- भजन / सूरदास
- मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे / सूरदास
- प्रीति करि काहु सुख न लह्यो / सूरदास
- भाव भगति है जाकें / सूरदास
- सूरदास के पद
- भोरहि सहचरि कातर दिठि/ सूरदास
- ऊधौ, कर्मन की गति न्यारी/ सूरदास
- निसिदिन बरसत नैन हमारे। / सूरदास
- चरन कमल बंदौ हरिराई / सूरदास
- तिहारो दरस मोहे भावे / सूरदास
- दृढ इन चरण कैरो भरोसो / सूरदास
- मधुकर! स्याम हमारे चोर / सूरदास
- अंखियां हरि–दरसन की प्यासी / सूरदास
- बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं / सूरदास
- प्रीति करि काहू सुख न लह्यो / सूरदास
- चरन कमल बंदौ हरि राई / सूरदास
- अबिगत गति कछु कहति न आवै / सूरदास
- प्रभु, मेरे औगुन न विचारौ / सूरदास
- प्रभु, हौं सब पतितन कौ राजा / सूरदास
- अब कै माधव, मोहिं उधारि / सूरदास
- मोहिं प्रभु, तुमसों होड़ परी / सूरदास
- अब हों नाच्यौ बहुत गोपाल / सूरदास
- कब तुम मोसो पतित उधारो / सूरदास
- अपन जान मैं बहुत करी / सूरदास
- आछो गात अकारथ गार्यो / सूरदास
- सोइ रसना जो हरिगुन गावै / सूरदास
- माधवजू, जो जन तैं बिगरै / सूरदास
- कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज / सूरदास
- सरन गये को को न उबार्यो / सूरदास
- जौलौ सत्य स्वरूप न सूझत / सूरदास
- तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान / सूरदास
- धोखैं ही धोखैं डहकायौ / सूरदास
- कहावत ऐसे दानी दानि / सूरदास
- मेरो मन अनत कहां सचु पावै / सूरदास
- प्रभु, मेरे औगुन चित न धरौ / सूरदास
- है हरि नाम कौ आधार / सूरदास
- रे मन, राम सों करि हेत / सूरदास
- मो सम कौन कुटिल खल कामी / सूरदास
- जापर दीनानाथ ढरै / सूरदास
- मन तोसों कोटिक बार कहीं / सूरदास
- भजु मन चरन संकट-हरन / सूरदास
- खेलत नंद-आंगन गोविन्द / सूरदास
- मेरी माई, हठी बालगोबिन्दा / सूरदास
- जसोदा, तेरो भलो हियो है माई / सूरदास
- आई छाक बुलाये स्याम / सूरदास
- जसुमति दौरि लिये हरि कनियां / सूरदास
- जौ बिधिना अपबस करि पाऊं / सूरदास
- नैन भये बोहित के काग / सूरदास
- नटवर वेष काछे स्याम / सूरदास
- वृच्छन से मत ले / सूरदास
- मुरली गति बिपरीत कराई / सूरदास
- संदेसो दैवकी सों कहियौ / सूरदास
- मेरो कान्ह कमलदललोचन / सूरदास
- कहियौ, नंद कठोर भये / सूरदास
- नीके रहियौ जसुमति मैया / सूरदास
- जोग ठगौरी ब्रज न बिकहै / सूरदास
- ऊधो, होहु इहां तैं न्यारे / सूरदास
- फिर फिर कहा सिखावत बात / सूरदास
- उधो, मन नाहीं दस बीस / सूरदास
- अंखियां हरि-दरसन की भूखी / सूरदास
- ऊधो, हम लायक सिख दीजै / सूरदास
- ऊधो, मन माने की बात / सूरदास
- निरगुन कौन देश कौ बासी / सूरदास
- कहियौ जसुमति की आसीस / सूरदास
- कहां लौं कहिए ब्रज की बात / सूरदास
- ऊधो, मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं / सूरदास
- तबतें बहुरि न कोऊ आयौ / सूरदास
- अब या तनुहिं राखि कहा कीजै / सूरदास
- नाथ, अनाथन की सुधि लीजै / सूरदास
- ऐसैं मोहिं और कौन पहिंचानै / सूरदास
- हरि, तुम क्यों न हमारैं आये / सूरदास
- जो पै हरिहिंन शस्त्र गहाऊं / सूरदास
- मो परतिग्या रहै कि जाउ / सूरदास
- वा पटपीत की फहरानि / सूरदास
- हरि हरि हरि सुमिरन करौ / सूरदास
- रानी तेरो चिरजीयो गोपाल / सूरदास
- मोहन केसे हो तुम दानी / सूरदास
- व्रजमंडल आनंद भयो / सूरदास
- राखी बांधत जसोदा मैया / सूरदास
- व्रजमंडल आनंद भयो / सूरदास
- सकल सुख के कारन / सूरदास
- बृथा सु जन्म गंवैहैं / सूरदास
- मेटि सकै नहिं कोइ / सूरदास
- हम भगतनि के भगत हमारे / सूरदास
- जागिए ब्रजराज कुंवर / सूरदास
- उपमा हरि तनु देखि लजानी / सूरदास
- सबसे ऊँची प्रेम सगाई / सूरदास
- माधव कत तोर करब बड़ाई / सूरदास
- कहां लौं बरनौं सुंदरताई / सूरदास
- बदन मनोहर गात / सूरदास
- हमारे प्रभु, औगुन चित न धरौ / सूरदास
- राखौ लाज मुरारी / सूरदास
- रतन-सौं जनम गँवायौ / सूरदास
- अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल / सूरदास
- जनम अकारथ खोइसि / सूरदास
- रे मन मूरख, जनम गँवायौ / सूरदास
- अजहूँ चेति अचेत / सूरदास
- आनि सँजोग परै / सूरदास
- दियौ अभय पद ठाऊँ / सूरदास
- मन धन-धाम धरे / सूरदास
- आजु हौं एक एक करि टरिहौं / सूरदास
- तजौ मन, हरि-बिमुखनि को संग / सूरदास
- ऎसी प्रीति की बलि जाऊं / सूरदास
- जसोदा हरि पालनैं झुलावै / सूरदास
- सोभित कर नवनीत लिए / सूरदास
- आजु मैं गाई चरावन जैहों / सूरदास
- गिरि जनि गिरै स्याम के कर तैं / सूरदास
- ऊधौ,तुम हो अति बड़भागी / सूरदास
- हमारे हरि हारिल की लकरी / सूरदास
- हरि हैं राजनीति पढि आए / सूरदास
- मन की मन ही माँझ रही / सूरदास
- अब मैं जानी देह बुढ़ानी / सूरदास
- जौं आजु हरिहिं न अस्त्र गहाऊँ / सूरदास
- रे मन कृष्ण नाम कहि लीजै / सूरदास
- प्रात समय नवकुंज महल / सूरदास
- औरन सों खेले धमार / सूरदास
- जागिये ब्रजराज कुंवर / सूरदास
- ऐसो पूत देवकी जायो / सूरदास
- चिरजीयो होरी को रसिया चिरजीयो / सूरदास
- राधे जू आज बन्यो है वसंत / सूरदास
- मलार मठा खींच को लोंदा / सूरदास
- ग्वालिन मेरी गेंद चुराई / सूरदास
- देखो री हरि भोजन खात / सूरदास
- अरी तुम कोन हो री बन में फूलवा बीनन हारी / सूरदास
- राधा प्यारी कह्यो सखिन सों सांझी धरोरी माई / सूरदास
- व्रजमंडल आनंद भयो प्रगटे श्री मोहन लाल / सूरदास
- पवित्रा पहरत हे अनगिनती / सूरदास
- पवित्रा श्री विट्ठलेश पहरावे / सूरदास
- पवित्रा पहरे को दिन आयो / सूरदास
- पहरे पवित्रा बैठे हिंडोरे दोऊ निरखत नेन सिराने / सूरदास
- हों तो एक नई बात सुन आई / सूरदास
- देखो माई ये बडभागी मोर / सूरदास
- बोले माई गोवर्धन पर मुरवा / सूरदास
- दोउ भैया मांगत मैया पें देरी मैया दधि माखन रोटी / सूरदास
- छगन मगन प्यारे लाल कीजिये कलेवा / सूरदास
- श्री वल्लभ भले बुरे दोउ तेरे / सूरदास
- वृंदावन एक पलक जो रहिये / सूरदास
- व्रज में हरि होरी मचाई / सूरदास
- साची कहो मनमोहन मोसों तो खेलों तुम संग होरी / सूरदास
- श्री यमुने पति दास के चिन्ह न्यारे / सूरदास
- फल फलित होय फलरूप जाने / सूरदास
- भक्त को सुगम श्री यमुने अगम ओरें / सूरदास
- नाम महिमा ऐसी जु जानो / सूरदास
- कन्हैया हालरू रे / सूरदास
- हालरौ हलरावै माता / सूरदास
- पालनैं गोपाल झुलावैं / सूरदास
- पलना स्याम झुलावत जननी / सूरदास
- कनक रति मनि पालनौ, गढ्यो काम सुतहार / सूरदास
- तिहारो दरस मोहे भावे श्री यमुना जी / सूरदास
- दृढ इन चरण कैरो भरोसो, दृढ इन चरणन कैरो / सूरदास
- मैया कबहुं बढ़ैगी चोटी / सूरदास
- मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो / सूरदास
- मैया! मैं नहिं माखन खायो / सूरदास
- हरि अपनैं आंगन कछु गावत / सूरदास
- जो तुम सुनहु जसोदा गोरी / सूरदास
- कहन लागे मोहन मैया मैया / सूरदास
- खीझत जात माखन खात / सूरदास
- चली ब्रज घर घरनि यह बात / सूरदास
- आजु मैं गाइ चरावन जैहौं / सूरदास
- माधवजू जो जन तैं बिगरै / सूरदास
- रे मन राम सों करि हेत / सूरदास
- प्रात समय उठि सोवत हरि कौ बदन उघारौ नंद / सूरदास
- सांझ भई घर आवहु प्यारे / सूरदास
- सखा सहित गये माखन-चोरी / सूरदास
- मैया री मोहिं माखन भावै / सूरदास
- गोपालहिं माखन खान दै / सूरदास
- जसोदा कहाँ लौं कीजै कानि / सूरदास
- कुंवर जल लोचन भरि भरि लैत / सूरदास
- जसोदा तेरो भलो हियो है माई / सूरदास
- यह सुनिकैं हलधर तहं धाये / सूरदास
- निरखि स्याम हलधर मुसुकानैं / सूरदास
- मैया हौं न चरैहों गाय / सूरदास
- धनि यह वृन्दावन की रैनु / सूरदास
अष्टछाप | ||
महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित 8 भक्तिकालीन कवि, जिन्होंने अपने विभिन्न पदों एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया। और अधिक जानें... | ||
अष्टछाप के कवि: सूरदास । नंददास । परमानंददास । कुम्भनदास । चतुर्भुजदास । छीतस्वामी । गोविन्दस्वामी |