भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भीड़ में सबसे अलग / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 74: पंक्ति 74:
 
* [[घर के अंदर रही,घर के बाहर रही/ जहीर कुरैशी]]
 
* [[घर के अंदर रही,घर के बाहर रही/ जहीर कुरैशी]]
 
* [[यादें निकल के घर से न जाने किधर गईं / जहीर कुरैशी]]
 
* [[यादें निकल के घर से न जाने किधर गईं / जहीर कुरैशी]]
* [[औघड़ पर्वत के उलझे केशों में रस्ते ढूँढ लिए/ जहीर कुरैशी]
+
* [[औघड़ पर्वत के उलझे केशों में रस्ते ढूँढ लिए/ जहीर कुरैशी]]
 
* [[कल्पना जिनकी यत्नहीन रही/ जहीर कुरैशी]]
 
* [[कल्पना जिनकी यत्नहीन रही/ जहीर कुरैशी]]
 
* [[युद्ध करना कठिन हो गया/ जहीर कुरैशी]]
 
* [[युद्ध करना कठिन हो गया/ जहीर कुरैशी]]
 
* [[पीड़ा से रिश्ता पक्का कर जाता है/ जहीर कुरैशी]]
 
* [[पीड़ा से रिश्ता पक्का कर जाता है/ जहीर कुरैशी]]

13:59, 21 सितम्बर 2008 का अवतरण


भीड़ में सबसे अलग
Bheed mein sabse alag.jpg
रचनाकार जहीर कुरैशी
प्रकाशक मेधा बुक्स, एक्स-11, नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032
वर्ष 2003
भाषा हिन्दी
विषय ग़ज़ल संग्रह
विधा ग़ज़ल
पृष्ठ 112
ISBN 81-8166-008-O
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।