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16:54, 15 जून 2020 के समय का अवतरण
मन रो सरणाटो
रचनाकार | इरशाद अज़ीज़ |
---|---|
प्रकाशक | गायत्री प्रकाशन, बीकानेर |
वर्ष | 2019 |
भाषा | राजस्थानी |
विषय | |
विधा | मुक्त छंद |
पृष्ठ | 810 |
ISBN | 978-81-941073-0-8 |
विविध |
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बिरवो
- म्हैं मरुधर री जायी हूं / इरशाद अज़ीज़
- उडीक / इरशाद अज़ीज़
- अबोलो / इरशाद अज़ीज़
- कूड़ रा कागला / इरशाद अज़ीज़
- नीं करूं मुजरो / इरशाद अज़ीज़
- आंगणो / इरशाद अज़ीज़
- दोयां रा मन / इरशाद अज़ीज़
- अंधारै सूं / इरशाद अज़ीज़
- भाजती रात / इरशाद अज़ीज़
- आज तांई / इरशाद अज़ीज़
- हियै सूं निसरया है सबद / इरशाद अज़ीज़
- लागै है / इरशाद अज़ीज़
- सांसां रो सूत / इरशाद अज़ीज़
- ओळखाण / इरशाद अज़ीज़
- सूरज है / इरशाद अज़ीज़
- थूं जाणै है / इरशाद अज़ीज़
- आंख्यां / इरशाद अज़ीज़
- फगत म्हैं अेकलो / इरशाद अज़ीज़
- अंधारो / इरशाद अज़ीज़
- दिन रा घोबा / इरशाद अज़ीज़
- तीरम तीर / इरशाद अज़ीज़
- अंतस री हूंस / इरशाद अज़ीज़
- म्हारो सांवरियो / इरशाद अज़ीज़
- म्हारो भायलो / इरशाद अज़ीज़
- चौफेर थारो ईज रंग / इरशाद अज़ीज़
- इण रो कांई / इरशाद अज़ीज़
- सावण (अेक) / इरशाद अज़ीज़
- सावण (दोय) / इरशाद अज़ीज़
- सावण (तीन) / इरशाद अज़ीज़
- घणी अमोलक है / इरशाद अज़ीज़
- पण थूं / इरशाद अज़ीज़
- लोग / इरशाद अज़ीज़
- माटी री सौरम / इरशाद अज़ीज़
- दिल्ली (अेक) / इरशाद अज़ीज़
- दिल्ली (दो) / इरशाद अज़ीज़
- सूरज / इरशाद अज़ीज़
- म्हैं अर म्हारो हूणियो / इरशाद अज़ीज़
- पंचायती / इरशाद अज़ीज़
- थूं कर / इरशाद अज़ीज़
- हेत रा खेत / इरशाद अज़ीज़
- सांसां री सौरम / इरशाद अज़ीज़
- सूरज मुळकै / इरशाद अज़ीज़
- गांव / इरशाद अज़ीज़
- बळत / इरशाद अज़ीज़
- दाळ में काळो / इरशाद अज़ीज़
- मांय बैठयो चोर / इरशाद अज़ीज़
- कलम उठा / इरशाद अज़ीज़
- उठै हबीड़ा / इरशाद अज़ीज़
- नीं तो / इरशाद अज़ीज़
- बगत री नदी / इरशाद अज़ीज़
- तो सुण! / इरशाद अज़ीज़
- साच / इरशाद अज़ीज़
- समदर (अेक) / इरशाद अज़ीज़
- समदर (दोय) / इरशाद अज़ीज़
- उडीक! / इरशाद अज़ीज़
- सुपना / इरशाद अज़ीज़
- भाठो / इरशाद अज़ीज़
- सुण बात म्हारी / इरशाद अज़ीज़
- दीवो / इरशाद अज़ीज़
- अंधारै सूं आफळ / इरशाद अज़ीज़
- छोरी (अेक) / इरशाद अज़ीज़
- छोरी (दोय) / इरशाद अज़ीज़
- नदी / इरशाद अज़ीज़
- आपरी माटी / इरशाद अज़ीज़
- मां / इरशाद अज़ीज़
- माटी रो ढगळ / इरशाद अज़ीज़
- आखिर तद कांईं ? / इरशाद अज़ीज़
- कैवै कांई, करै कांई / इरशाद अज़ीज़
- थारो हुवणो / इरशाद अज़ीज़