रेत पर उंगली चली है
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रचनाकार | कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास' |
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प्रकाशक | समदर्शी प्रकाशन, मेरठ |
वर्ष | 2021 |
भाषा | हिंदी |
विषय | शायरी |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 131 |
ISBN | 978-93-91508-68-5 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- श्वेताम्बरे झनकारिये वीणा प्रभा विस्तार हो / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- सखा़वत की घड़ी जब-जब सुहानी लौट आती है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- दिन सलोने आ गये हैं आबशारों ने कहा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ख़ुशी से तर-ब-तर करने वो महकाने चमन आई / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ऐ दिले नादां दिला मत याद कमताली के दिन / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- नब्ज़ की कितनी बढ़ी रफ़्तार लिख दूँ / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- आये अगर मेहमान दीवाली के दिन / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मत रोना पढ़, कौल हमारे तोड़े किस दुश्वारी ने / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- टिकी पल भर किसी मुश्क़िल को शाने पर नहीं देखा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- आपका पेशा तिजारत आप क्या जानें / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- नाम लेकर उसका हर मुश्क़िल से टकराता हूँ मैं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- खु़शबू चमन में अपनी वो दौलत लुटा गई / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बेचैन को भी चैन पलभर में दिला देता है वो / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कीजिये सम्मान आया दिन दशहरे का / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ख़ौफ़ था दिल में, कि मुश्क़िल मेरी तलाश में है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- न मख़्मूरी कराती है, न मग़रूरी कराती है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हल निकलते बात से हैं, बात होने दीजिये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- दे न उलझन ऐसी मालिक जिसका निपटारा न हो / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- गुलों पर फेर कर सुर्ख़ी चमन दहका गया कोई / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- पुर्जे-पुर्जे बिखर गया होगा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हम ज़बाँ खोलते खोलते रह गये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बहकना ख़ामखां हर बात पर अच्छा नहीं लगता / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कोई तोहमत न आए पेश उनकी मेजबानी पर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- अपना जल्वा फिर दिखाने आ गये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- साज़िशन जब तख़्त से तौहीने नक़्कादी हुई / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- आग धधकी है फ़लक तक कहकशां ख़तरे में है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- क्या पता था दे रही दस्तक सुहानी भोर है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- नये मौसम के आते ही पुराना भूल जाता है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- तय है गर्दन भले क़लम होगी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ग़ज़ब की रंगत गुलों मे ताजा चमन में रौनक कमाल की है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- दिल में अपने इक दिये सी लौ जलाकर देखिये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कैसा चलन ये आज ज़माने में चल गया / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- महफिल में उठ चुका है ये मसला कई दफ़े / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- सुरूर उनकी आँखों में आया नहीं है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- गाँव की हलचल पिता जी थे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- लोग बेचैन हैं, बेकल हैं, ख़ुदा ख़ैर करे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- जितनी सुलझाऊँ पहेली ये उलझती क्यूँ है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- तमाम उम्र गई बीत तब ये जाना है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- सिर्फ़ मंजिल याद रखिये भूल छाले जाइये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- पिता ही है जो बच्चों को कभी रोने नहीं देता / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- आ नहीं सकती है लग़्िजश चाहकर ईमान में / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ज़िन्दगी बेसूद लगती दिल के रिश्तों के बग़ैर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कर दे मौला पूरी रोज़ेदार की मंशा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- दुश्मनों में बेक़रारी है तो है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- उनके हर फ़रमान के दस्तूर होने तक / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- क्यूँ चाहते हैं आप सच से सामना न हो / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हुई उम्मीद सारी ख़त्म जो वाज़िब थी अपनों से / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- रफ़़ूगर हर तरह के ताने बाने ढूँढ़ लेते हैं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- सबने समझा था ये सूरज तीरगी पी जायगा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मजबूर उतने गाँव से घर बेच कर चले / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- दिल में अपने कोई भी शिक़वा गिला रख कर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- उलझने, रूख़ से उदासी, बेदख़ल कर देखिये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- न शोहरत के, न दौलत के, दिखा सपने न जन्नत के / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ज़रूरी मुल्क़ की खा़तिर अभी ईसार की बातें / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- रू-ब-रू होने को सारी खा़मियाँ बेचैन हैं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मिलना करें हुज़़ूर गवारा कभी-कभी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- प्यार का इक जलाकर दिया आपने / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- एहतियातन दौरे हाज़िर में उबलिये और मत / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मिट जायेगी खराश ज़रा सब्र कीजिये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ये कैसे-कैसे मसअले हैं सामने आने लगे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हिस्से का अपने कर्ज़ चुकाकर निकल गया / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मालिक ने जो नहीं दिया उस पर न खीजिये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- इक नज़र बालिग़ से सीरत भी परखना चाहिये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हक़ मुहब्बत का हमें कुछ यूँ अदा करना पड़ा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हर नज़र देख रही रद्दो बदल बोलेगी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- चौंकिये ज़ालिम कोई जब ज़ुल्म ढ़ाना छोड़ दे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- भटके अगर ज़मीन पर अख़्तर तलाशते / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कीजिये कुछ ज़लज़ला आने से पहले / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- चेतना के स्वर मधुर झंकारना अच्छा लगा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बला से लाठियाँ टूटीं मगर कुनबा नहीं टूटा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- फ़क़त बैठे हैं उसके ही सहारे, वो बदल देगा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हुआ सरकार का गिरवी कहीं पर मुस्कुराना क्या / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- लख़्तगी के ताने बाने खुल रहे हैं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- नमन सकल ब्रह्माण्ड कर रहा, बोल रहा जय राम की / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- गाँव बहका और उलझा जातिवादी मसअला तो / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- भूल गये हम सबके आगे रोना और तड़पना अब / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ख़त पुराने आशिक़ी के ताक़ पर से उड़ गये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- उडे़ हैं होश सभी के जनाब क्या होगा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- झूमी न दिल की सब्ज़परी और फिर कभी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बेहतर है मैं करूँ न कोई तब्सिरा अभी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- उससे यारी का भरम ताउम्र पल सकता नहीं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कुछ न हो पायेगा मौसम के गुज़रने पर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- सिर्फ़ कहते ही रहे ख़ुद को मदारी उम्र भर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हर क़दम अपना सम्भल कर आप रखते क्यों नहीं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- इलाही तूने बख़्शा ये मुझे इनआम सावन में / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- रात काली उसने सुरमे सी मसल कर रख दिया / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ज़र्फ़ पर कितना ही शातिर वक़्त ने हमला किया / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- वैसे जादू हर बशर पर उसका चल पाता नहीं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ज़माने को तू लाख दुश्मन बना ले / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ऐब दुश्मन के वो दुनिया से छुपा लेता है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बस्ती फँसी बखूब नये मसअलों में है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मकरो फ़रेब झूठ से उकता चुके हैं हम / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- आहत मन ने यूँ न किसी को है बहलाने की कोशिश की / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ख़त खुलासा कर न पाया आपका भेजा हुआ / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कैसे लिख दें भाईचारा आप में भरपूर है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- फिर साथ दे न पाई है तकदीर आपकी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- पता है सबको सच्चाई की कुव्वत और होती है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- गले लगने की मंज़ूरी अगर इक बार दे देंगे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हुये हैं दर्ज़ तवारीख में हम कल बनकर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हो गया मजबूर शातिर तिलमिलाने पर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- अंधेरा दिन में गहराने लगा है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'