पहरा ईमान पर
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रचनाकार | बाबा बैद्यनाथ झा |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- एकबेर फेरू नजरि शरण हम आयल छी / बाबा बैद्यनाथ झा
- झगड़ा कियै बझल छै गामक सिमानपर / बाबा बैद्यनाथ झा
- समाजक रूप जँ झलकय तखन साकार अछि कविता / बाबा बैद्यनाथ झा
- ककरा कहबै आ के करतै एतऽ भरोसक बात / बाबा बैद्यनाथ झा
- तकला पर मोसकिलसँ भेटत एहि जगमे इन्सान / बाबा बैद्यनाथ झा
- बन्धुवर कोन बाट दुनियाँ जा रहल छै / बाबा बैद्यनाथ झा
- मोल राखय तखन जिनगी बनय क्यो त्यागी जखन / बाबा बैद्यनाथ झा
- कोन एहन हम काज करू जे लागय कोनो पाप नहि / बाबा बैद्यनाथ झा
- हमसभ विराजित छी जतऽ एहि जगहकेर बड़ नाम छै / बाबा बैद्यनाथ झा
- क्यो एकरा दियौक नहि टोक / बाबा बैद्यनाथ झा
- अस्तित्व बेचिकऽ अपन सभ घर सजा लियऽ / बाबा बैद्यनाथ झा
- पति परायणा महादेवि! ये कानब कियै ने बन्न करै छो / बाबा बैद्यनाथ झा
- हे यौ प्रियतम! बाजू कने कियै रूसल छी / बाबा बैद्यनाथ झा
- आयल बसन्त ने आयल कन्त भरल जुआनी गलल जा रहल छै / बाबा बैद्यनाथ झा
- जिनगी भरि हम कनैत रहलहुँ / बाबा बैद्यनाथ झा
- सपनामे अपन जीवन हम राति सजाबै छी / बाबा बैद्यनाथ झा
- देखि रहल अछि सभ कियो हमरा खेल एहन सरेआम भऽ गेलौं / बाबा बैद्यनाथ झा
- जे देवता सभक छल ओ चोर भऽ गेलै / बाबा बैद्यनाथ झा
- आकासे अछि फाटल साटल ने जा सकैए / बाबा बैद्यनाथ झा
- मुस्की ने आबि सकतै कहिथो ई ठोर पर / बाबा बैद्यनाथ झा
- छोडू अपन कपटकेँ आ उदार बनू भैया / बाबा बैद्यनाथ झा
- निर्दोष, निरीह लोकक कियै जान जा रहल छै / बाबा बैद्यनाथ झा
- कोना फहरैए आँचरक छोर सजनी / बाबा बैद्यनाथ झा
- सरस बसन्त रिझाबऽ लगलै / बाबा बैद्यनाथ झा
- सजि-धजिकऽ बाहर ने निकलू कऽ सोलहो शृंगार / बाबा बैद्यनाथ झा
- जँ कोनो दुःख मोनमे हो तँ दिल खोलि हमरा सदति बताबी / बाबा बैद्यनाथ झा
- नहि हम घरमे छी आ ने हम भागल छी / बाबा बैद्यनाथ झा
- ओ बादल खाली गरजै छै-तेँ पूरत जलकेर आस कोना / बाबा बैद्यनाथ झा
- भोर भागल जेना दूपहर देखि कऽ / बाबा बैद्यनाथ झा
- शकुनिकेर पासापर हारल अछि मान हमर / बाबा बैद्यनाथ झा