आहत हैं वन
रचनाकार | कुमार रवींद्र |
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प्रकाशक | पराग प्रकाशन, दिल्ली । |
वर्ष | 1984 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | नवगीत |
विधा | मुक्तछंद |
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ISBN | |
विविध |
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- ये सृजन-क्षण (कवि का कथ्य) / कुमार रवींद्र
- आए फिर दिन / कुमार रवींद्र
- कैलेंडर में धूप / कुमार रवींद्र
- एक जापानी सुबह / कुमार रवींद्र
- यह अनोखी शाम / कुमार रवींद्र
- धूप की गिलहरी / कुमार रवींद्र
- पुष्पों की नई कथा / कुमार रवींद्र
- टँगे हुए जाल / कुमार रवींद्र
- आहत हैं वन. / कुमार रवींद्र
- बीमार ऋतु के आँकड़े / कुमार रवींद्र
- कैसे कोंपल कहें / कुमार रवींद्र
- घर तक थर्राते हैं / कुमार रवींद्र
- जाड़े की धूप / कुमार रवींद्र
- नींद कैसे हो / कुमार रवींद्र
- बीच में डरे हुए हम / कुमार रवींद्र
- जल गहरे नापते मछेरे / कुमार रवींद्र
- दिन ढले कंगूरों पर / कुमार रवींद्र
- थके-हारे जल बेचारे / कुमार रवींद्र
- टूट गिरी धूप की मुंडेर / कुमार रवींद्र
- शेष रहे हिलते रूमाल / कुमार रवींद्र
- है पूछती गूँगी लहर / कुमार रवींद्र
- किले बियाबान / कुमार रवींद्र
- साँझ गई सीपियाँ बटोर / कुमार रवींद्र
- चिड़चिड़ी हवाएँ / कुमार रवींद्र
- नित डुले चँवरवा / कुमार रवींद्र
- हैं बाऊजी बूढ़े / कुमार रवींद्र
- बँधे हुए घाटों पर / कुमार रवींद्र
- सोच रहे नाज़ुक मृगछौने / कुमार रवींद्र
- गाँव खो आए / कुमार रवींद्र
- उलझ गए धागे / कुमार रवींद्र
- शंख हुए सीप / कुमार रवींद्र
- क्रूर महलों के ढाँचे / कुमार रवींद्र
- संवादों के पाताली डेरे / कुमार रवींद्र
- चौखट शहराई / कुमार रवींद्र
- महानगरी राजधानी / कुमार रवींद्र
- पेड़ सड़कों के किनारे / कुमार रवींद्र
- अँधे हुए किनारे / कुमार रवींद्र
- बिखर गए ठाँव / कुमार रवींद्र
- टूटती कठौती / कुमार रवींद्र
- नीम-पीपल पुश्तैनी / कुमार रवींद्र
- आदमक़द बौने / कुमार रवींद्र
- गाँव है वीरान / कुमार रवींद्र
- अँधी ठकुरौती / कुमार रवींद्र
- क़िस्सा है मशहूर / कुमार रवींद्र
- घिसे हुए चेहरों पर / कुमार रवींद्र
- घाटी में अँधकार है / कुमार रवींद्र
- गहराते पानी का दर्द / कुमार रवींद्र
- 'डिस्को' के गाँव / कुमार रवींद्र
- बदले माहौल में / कुमार रवींद्र
- देवता कैसे भजें / कुमार रवींद्र
- आग हुई सेज / कुमार रवींद्र
- नंगे घुटनों से ढँका / कुमार रवींद्र
- पीपल है ठूँठ / कुमार रवींद्र
- शहर अँधेरे में / कुमार रवींद्र
- राजाजी नंगे हैं / कुमार रवींद्र
- काँप रहे सिंहद्वार / कुमार रवींद्र
- चिड़ी के हैं बादशाह / कुमार रवींद्र
- यज्ञ गए चूक / कुमार रवींद्र
- बुढ़ा रहे गाँव / कुमार रवींद्र
- सम्राट हैं जमूरे / कुमार रवींद्र
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