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तारा सिंह
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कविताएँ
- अगर फूल-काँटे में फरक हम समझते / तारा सिंह
- आ रहा है गाँधी फिर से / तारा सिंह
- अभी मरने की बात कहाँ / तारा सिंह
- दहाड़ उठता है, विवश माँ का हृदय / तारा सिंह
- जितना मुझसे हो सका, उतना मैंने किया / तारा सिंह
- औरत हूँ, ताकतवर भी,कमजोर भी / तारा सिंह
- द्यूत क्रीड़ा-गृह है, सजा हुआ / तारा सिंह
- प्रेम रोग / तारा सिंह
- आओ हम धरा को स्वर्ग बना लें / तारा सिंह
- रात काटती प्रहरी -सा / तारा सिंह
- प्रियतम बिन जीऊँ कैसे / तारा सिंह
- ऐ सुन ! मतवाली घटा / तारा सिंह
- फूलों को फूल ही रहने दें / तारा सिंह
- जिंदगी, एक दरिया है / तारा सिंह
- जीवन, तू अविरल बहता रहे / तारा सिंह
- माँ, मुझे चांद ला दो / तारा सिंह
- क्या तुम इतना नहीं जानते हो ? / तारा सिंह
- यह कैसा त्योहार / तारा सिंह
- दीप्ति ही तुम्हारी सौन्दयता है / तारा सिंह
- विरक्ति के भार से जिंदगी जब थक जाती है / तारा सिंह
- मेरा प्रियतम आया है बावन साल बाद / तारा सिंह
- यह जग विस्मय से हुआ है निर्मित / तारा सिंह
- अब परिरंभ मुकुल में रहता हूँ बंदी अलि-सा / तारा सिंह
- माँ की ममता / तारा सिंह
- जब से चक्षु मिलन हुआ तुमसे / तारा सिंह
- आँख उनसे मिली तो सजल हो गई / तारा सिंह
- मेरी आँखों में किरदार नजर आता है / तारा सिंह
- भीड़ भरी सड़कें सूनी - सी लगती है / तारा सिंह
- यहाँ एक कण भी सजल आशा का नहीं / तारा सिंह
- मुझे मेरा गाँव याद आ गया / तारा सिंह
- देव विभूति से मनुष्यत्व का यह / तारा सिंह
- जीवन सफ़र का यह कौन सा मोड़ आया / तारा सिंह
- एक पल भी सृष्टि का दुलार नहीं / तारा सिंह
- उर्मि का पाथार कैसे करेगा पार, प्रिये / तारा सिंह
- इसे न मैं बेचती, न ही लगाती उधार / तारा सिंह
- काँटों से सेवित है मानवता / तारा सिंह
- परिधि–परिधि में घूमता हूँ मैं / तारा सिंह
- समझ न सका नियति नटी / तारा सिंह
- होली / तारा सिंह
- अरमां है, तुम्हारे दर्दे गम की / तारा सिंह
- कैसे कह दूँ, जिसे दिल में / तारा सिंह
- मुसलमान कहता मैं उसका हूँ / तारा सिंह
- मैं काला तो हूँ, आप जितना / तारा सिंह
- मोहब्बत के जज़्बे / तारा सिंह
- मोहब्बत में अश्क़ की कीमत / तारा सिंह
- सड़कें ख़ून से लाल हुईं / तारा सिंह
- हृदय मिले तो मिलते / तारा सिंह
- महासेतु है नारी / तारा सिंह
- देवों के सिर,विजयध्वज फ़हराऊँगा / तारा सिंह
- चिंता करता हूँ मैं जितना / तारा सिंह
- जब तक तुम सुख सीमा बने रहे / तारा सिंह
- मैं भी देखूँगी, क्या है उस पार / तारा सिंह
- मेरे जीवन निशि का कभी नहीं हो भोर / तारा सिंह
- स्निग्धा बिछलती थी मेरे अंग से / तारा सिंह
- मुझे अपने दुख संग जीने दो / तारा सिंह
- मानव! तुम सबसे सुंदर / तारा सिंह
- महासेतु है नारी / तारा सिंह
- पुनर्जन्म / तारा सिंह
- परिवर्तन / तारा सिंह
- तुम कौन हो / तारा सिंह
- मदन मोहन मालवीय / तारा सिंह
- क्या दूँ मैं उपहार / तारा सिंह
- तुम अमर, मैं नश्वर / तारा सिंह
- डोल रहा जीवन प्रशांत / तारा सिंह
- जीवन संध्या के सूने तट पर / तारा सिंह