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14:07, 1 जुलाई 2010 का अवतरण
उस दुनिया की सैर के बाद
रचनाकार | सांवर दइया |
---|---|
प्रकाशक | नेगचार प्रकाशन, बीकानेर |
वर्ष | 1995 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | मुक्त छन्द |
पृष्ठ | 80 |
ISBN | |
विविध | काव्य |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- लील न लें / सांवर दइया
- हां वही सुख / सांवर दइया
- यह देह ही / सांवर दइया
- नए साल की सुबह : एक चित्र / सांवर दइया
- सपना सजों रहे / सांवर दइया
- अपने ही रचे को / सांवर दइया
- रचता हुआ मिटता / सांवर दइया
- रचा तो रहा / सांवर दइया
- सुनों मां / सांवर दइया
- यह जो बच रहा है / सांवर दइया
- सच बता………… / सांवर दइया
- तब और अब / सांवर दइया
- हरेपन का इतिहास / सांवर दइया
- हो नहीं सकती / सांवर दइया
- हरिया उठता है / सांवर दइया
- खरोंचें कभी पोंछी नहीं जाती / सांवर दइया
- ठूंठ जो ठहरा / सांवर दइया
- हर छुअन के बाद / सांवर दइया
- अपना-अपना वर्तमान / सांवर दइया
- वहीं नहीं लेकिन / सांवर दइया
- गुनगुनी धूप-सी / सांवर दइया
- उभरने लगा है / सांवर दइया
- मेरे होने से / सांवर दइया
- हां, वे ही शब्द / सांवर दइया
- और खिल उठेंगे / सांवर दइया
- चलने का अर्थ / सांवर दइया
- पोती की स्म्रति में / सांवर दइया
- स्म्रति गंध सूत्र / सांवर दइया
- हवा / सांवर दइया
- मेरी रची दुनिया मुझसे / सांवर दइया
- जीवन क सच / सांवर दइया
- पहचन खो गई / सांवर दइया
- मजाक बहुत मंहगा पडता है / सांवर दइया
- ऐसा तो दम / सांवर दइया
- जीने के लिए / सांवर दइया
- नदी के नाम / सांवर दइया
- पत्थर जानता है / सांवर दइया
- पानी ही न रहा / सांवर दइया
- खबर करना मुझे / सांवर दइया
- ऊपर उठने पर ही / सांवर दइया
- आंख के तिल में / सांवर दइया
- खिंच आता है / सांवर दइया
- तिल तिल छीज रहा / सांवर दइया
- घर बनाया / सांवर दइया
- बदलती संज्ञा के देखते / सांवर दइया
- आई है / सांवर दइया
- होग नहीं / सांवर दइया
- अपना रास्ता / सांवर दइया
- हे राम ! / सांवर दइया
- तल में रखें है मोती / सांवर दइया
- विलोम रति / सांवर दइया
- विश्वास / सांवर दइया
- सुबह के सगुन / सांवर दइया
- चहती-फुदकती चिड़या / सांवर दइया
- कोई बाड़ नहीं / सांवर दइया
- अपने ही नाम / सांवर दइया
- इस बार / सांवर दइया
- भीतर तक छिलता रहा / सांवर दइया
- तपते टीलों पर / सांवर दइया
- हिनहिनाता घोड़ा / सांवर दइया
- चाकू की नोक पर / सांवर दइया
- उस दुनिया की सैर के बाद (कविता) / सांवर दइया