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संगे-मील / मेला राम 'वफ़ा'
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संगे-मील
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रचनाकार | मेला राम 'वफ़ा' |
---|---|
प्रकाशक | दर्पण पुब्लिकेशन्स, |
वर्ष | 2011 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | शायरी |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 160 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- ऐ फ़रंगी / मेला राम 'वफ़ा'
- इस्लाहे-सुख़न / मेला राम 'वफ़ा'
- वफ़ा साहिब की आखिरी ग़ज़ल / मेला राम 'वफ़ा'
- टाइम्ज़ ऑफ पं. मेला राम वफ़ा / राजेन्द्र नाथ रहबर / मेला राम 'वफ़ा'
- ऐ कि हर दिल पर है अज़मत नक़्श तेरे नाम की / मेला राम 'वफ़ा'
- सुब्ह होता है शाम होता है / मेला राम 'वफ़ा'
- बजा हो गया हां बजा हो गया / मेला राम 'वफ़ा'
- कहना ही मिरा क्या है कि मैं कुछ नहीं कहता / मेला राम 'वफ़ा
- वो कहते हैं यकीं लाना पड़ेगा / मेला राम 'वफ़ा'
- ग़मे-इश्क़ आज़ारे-जाँ हो गया / मेला राम 'वफ़ा'
- दिया रश्क आशुफ़्ता-हालों ने मारा / मेला राम 'वफ़ा'
- बेगाना-वार हम से यगाना बदल गया / मेला राम 'वफ़ा'
- सब्र मुश्किल था मोहब्बत का असर होने तक / मेला राम 'वफ़ा'
- बस अब मैं रात दिन की ये अज़ीयत सह नहीं सकता / मेला राम 'वफ़ा'
- पूछें वो काश हाल दिल-ए-बे-क़रार का / मेला राम 'वफ़ा'
- गाह इधर देखना गाह उधर देखना / मेला राम 'वफ़ा'
- कैसा पुर-आशोब है दौरे-क़मर आज कल / मेला राम 'वफ़ा'
- सरमायाए-सुकूं दिले-उम्मीदवार का / मेला राम 'वफ़ा'
- जी पर भी हम ने जब्र किया इख़्तियार तक / मेला राम 'वफ़ा'
- तुमको भी है गिला फ़लके-दूँ-शआर का / मेला राम 'वफ़ा'
- तिरी क़ातिल अदा ने मार डाला / मेला राम 'वफ़ा'
- उट्ठा है सूए दश्त से बादल ग़ुबार का / मेला राम 'वफ़ा'
- मैं और तेरा शिकवा-ए-ज़ौरो-सितम ग़लत / मेला राम 'वफ़ा'
- कभी हम भी ऐ दिल थे स्याने बहुत / मेला राम 'वफ़ा'
- क़लक़ आ गया इज़्तिराब आ गया / मेला राम 'वफ़ा'
- टीपे-ग़म का सोज़े-जिगर का अज़ाब / मेला राम 'वफ़ा'
- हाँ ग़ैरते-ख़ुर्शीद हैं और रश्क़े-क़मर आप / मेला राम 'वफ़ा'
- कुछ न कुछ होगा मिरी मुश्किल का हल फ़ुर्क़त की रात / मेला राम 'वफ़ा'
- ख़ाक होता ग़म ग़लत ऐ रश्क़े गुल फ़ुर्क़त की रात / मेला राम 'वफ़ा'
- यह तू ने क्या सितम ऐ चश्मे-अश्कबार किया / मेला राम 'वफ़ा'
- अरमान मुद्दतों में निकलता है दीद का / मेला राम 'वफ़ा'
- होती अयाँ विसाल में क्या उस निगार पर / मेला राम 'वफ़ा'
- दिल कमाले-शौक़ से है बे-क़रार इत्तिहाद / मेला राम 'वफ़ा'
- चली तफरीक़ की ऐसी हवा रंगे चमन बिगड़ा / मेला राम 'वफ़ा'
- कूए-अदू में रखिये ज़रा होशे-नक़्शे-पा / मेला राम 'वफ़ा'
- पामाले-आसमां हूँ कि उठते नहीं क़दम / मेला राम 'वफ़ा'
- उन से उम्मीदे-करम रख ऐ दिले-नाशाद कम / मेला राम 'वफ़ा'
- ज़बाने बे-ज़बानी से हदीसे-ग़म भी कहते हैं / मेला राम 'वफ़ा'
- पैदलों में हम न असवारों में हैं / मेला राम 'वफ़ा'
- मा'नी-तराज़ियाँ हैं रंगीं-बयानियाँ हैं / मेला राम 'वफ़ा'
- ख़ुशा जलवाए नौबहारे-वतन / मेला राम 'वफ़ा'
- देखती आँखों ने देखा है शबिस्तानों में / मेला राम 'वफ़ा'
- सुन लें जो मस्ते- मए-ऐश हैं एवानों में / मेला राम 'वफ़ा'
- सुनें हंस हंस के जिन को सुनने वाले और होते हैं / मेला राम 'वफ़ा'
- किसी दर्द-मंद की हूँ सदा किसी दिल-जले की पुकार हूँ / मेला राम 'वफ़ा'
- मौत इलाज-ए-ग़म तो है मौत का आना सहल नहीं / मेला राम 'वफ़ा'
- तबीयत को मरगूब अब कुछ नहीं / मेला राम 'वफ़ा'
- कौन कहता है कि मर जाने से कुछ हासिल नहीं / मेला राम 'वफ़ा'
- ग़म-दीदा हूँ, अलम-ज़दा हूँ, सोगवार हूँ / मेला राम 'वफ़ा'
- कब फ़राग़त थी ग़म-ए-सुब्ह-ओ-मसा से मुझ को / मेला राम 'वफ़ा'
- खाते हैं वो ग़ैरों की क़सम और ज़ियादा / मेला राम 'वफ़ा'
- तुम्हारी निगह दिल को बहला गई / मेला राम 'वफ़ा'
- ग़रीबों को बर्बाद करते रहे / मेला राम 'वफ़ा'
- गया तौबा का मौसम जोशे-मस्ती की बाहर आई / मेला राम 'वफ़ा'
- चंगो-रबाब से न मये-ख़ुशगवार से / मेला राम 'वफ़ा'
- दयार-ए-हुस्न में पाबंदी-ए-रस्म-ए-वफ़ा कम है / मेला राम 'वफ़ा'
- आंख से देखा है क्या कुछ बयां क्या कीजिए / मेला राम 'वफ़ा'
- बड़ा बे-दाद-गर वो मह-जबीं है / मेला राम 'वफ़ा'
- नालों में है असर मगर फ़र्क़ असर असर में है / मेला राम 'वफ़ा'
- न देखा जायेगा क्या बेबसी में जान पर मुझ से / मेला राम 'वफ़ा'
- जोबन टपक रहा है गुलो-बर्गो-बार से / मेला राम 'वफ़ा'
- ज़िंदगी ख़ाक में भी थी तिरे दीवाने से / मेला राम 'वफ़ा'
- इल्तिफ़ात-ए-आम है वज्ह-ए-परेशानी मुझे / मेला राम 'वफ़ा'
- दिन जुदाई का दिया वस्ल की शब के बदले / मेला राम 'वफ़ा'
- जब बहार आई तो जंजीर-बपा रक्खा है / मेला राम 'वफ़ा'
- लब पर तबस्सुम आंख लजाई हुई सी है / मेला राम 'वफ़ा'
- जवानी में तबीअत ला-उबाली होती जाती है / मेला राम 'वफ़ा'
- ग़मे-हिज्र की इंतिहा हो गई है / मेला राम 'वफ़ा'
- महब्बत भी हुआ करती है दिल भी दिल से मिलता है / मेला राम 'वफ़ा'
- कभी उठता है दर्दे-दिल, कभी गश हम पे तारी है / मेला राम 'वफ़ा'
- हो तो हो सूरते-क़रार, ऐ दिले-बेक़रारी क्या / मेला राम 'वफ़ा'
- तिरे चलते हुए फ़िक़रे हैं या फौलाद के टुकड़े / मेला राम 'वफ़ा'
- हमारे दरपए-ईज़ा है चर्खे-बदश्आर अब भी / मेला राम 'वफ़ा'
- इलाही किस क़ियामत के मिरे नाले रसा निकले / मेला राम 'वफ़ा'
- कैसी हवाए-ग़म चमने-दिल में चल गई / मेला राम 'वफ़ा'
- हिज्र की भी रात बसर हो गई / मेला राम 'वफ़ा'
- मिरी फ़रयाद मम्नूने-असर मुश्किल से होती है / मेला राम 'वफ़ा'