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थिरकती है तृष्णा / ओम पुरोहित ‘कागद’
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थिरकती है तृष्णा
रचनाकार | ओम पुरोहित ‘कागद’ |
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प्रकाशक | बोधि प्रकाशन,सान्गासेतु रोड, सान्गानेर, जयपुर |
वर्ष | २००५ |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | मुक्त छन्द |
पृष्ठ | ८० |
ISBN | ८१-८७६९७-७८-४ |
विविध | कविता |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
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(अकाल चित्र-कविता संग्रह)
अकाल चित्र
- चौपाल अकेली / ओम पुरोहित ‘कागद’
- जूण भर चून / ओम पुरोहित ‘कागद’
- अब के बरस / ओम पुरोहित ‘कागद’
- जूण / ओम पुरोहित ‘कागद’
- गिलहरी / ओम पुरोहित ‘कागद’
- मौत का सन्नाटा / ओम पुरोहित ‘कागद’
- मिले तो सही / ओम पुरोहित ‘कागद’
- यही बची है / ओम पुरोहित ‘कागद’
- जानता है नत्थू काका / ओम पुरोहित ‘कागद’
- मौत से पहले / ओम पुरोहित ‘कागद’
- ढूंढ़ता है / ओम पुरोहित ‘कागद’
- कहीं तो बचे जीवन / ओम पुरोहित ‘कागद’
- तपस्वी रूंख / ओम पुरोहित ‘कागद’
- झूंपे में/ ओम पुरोहित ‘कागद’
- उस चित्र को / ओम पुरोहित ‘कागद’
- क्या होती है बिरखा / ओम पुरोहित ‘कागद’
- पूछती है बेकलू / ओम पुरोहित ‘कागद’
- नहीं जन्मेंगे / ओम पुरोहित ‘कागद’
- झूंपे ही नहीं / ओम पुरोहित ‘कागद’
- बिफरती रेत में / ओम पुरोहित ‘कागद’
- यूं बरसती है बिरखा / ओम पुरोहित ‘कागद’
- पपीहा थार में / ओम पुरोहित ‘कागद’
- राजधानी में / ओम पुरोहित ‘कागद’
- सुखिया / ओम पुरोहित ‘कागद’
- छापता है पग-चिह्न / ओम पुरोहित ‘कागद’
- कहीं नहीं है खेतरपाल / ओम पुरोहित ‘कागद’
- बूढ़ा नथमल / ओम पुरोहित ‘कागद’
- भूख है यहां भी / ओम पुरोहित ‘कागद’
- ज्यों झांकता है डाकिया / ओम पुरोहित ‘कागद’
- बेचारी चाकी / ओम पुरोहित ‘कागद’
- गांव में अकाल / ओम पुरोहित ‘कागद’
- मगना नहीं करे गुहार / ओम पुरोहित ‘कागद’
- बची रह सके आस / ओम पुरोहित ‘कागद’
रेत के स्वर
- रेत के स्वर / ओम पुरोहित ‘कागद’
- थिरकती है तृष्णा / ओम पुरोहित ‘कागद’
- मेरा मन / ओम पुरोहित ‘कागद’
- पांचवें तत्व का नाम / ओम पुरोहित ‘कागद’
- क्यों भटकती है / ओम पुरोहित ‘कागद’
- मत हो अधीर / ओम पुरोहित ‘कागद’
- फिर से जल / ओम पुरोहित ‘कागद’
- रेत की पीर / ओम पुरोहित ‘कागद’
- कौन है वो / ओम पुरोहित ‘कागद’
- इस लिए डोलती हूं / ओम पुरोहित ‘कागद’
- जीवेष्णा है यहां / ओम पुरोहित ‘कागद’
- सोयी है संजो कर आंसू / ओम पुरोहित ‘कागद’
- तोड़ना चाहते हैं मौन / ओम पुरोहित ‘कागद’
- सो गया हूं / ओम पुरोहित ‘कागद’
- मुझे होना होता है / ओम पुरोहित ‘कागद’
- ओ भटके प्रीतम मेघ / ओम पुरोहित ‘कागद’
- फलेंगे रसाल / ओम पुरोहित ‘कागद’
- हरा कर देगी / ओम पुरोहित ‘कागद’
- यह तो नहीं है त्राण / ओम पुरोहित ‘कागद’
- तू तो जान / ओम पुरोहित ‘कागद’
- लिख देता है जल / ओम पुरोहित ‘कागद’
- थार के समन्दर में / ओम पुरोहित ‘कागद’
- जूनी मटकी / ओम पुरोहित ‘कागद’
- रेत की पीड़ा / ओम पुरोहित ‘कागद’
बरसो जल
- बरसो जल / ओम पुरोहित ‘कागद’
- जल तुम / ओम पुरोहित ‘कागद’
- देह में रम ले / ओम पुरोहित ‘कागद’
- तेरी चाह में / ओम पुरोहित ‘कागद’
- तू बड़ा निष्ठुर होता है / ओम पुरोहित ‘कागद’
- छू भर जाना / ओम पुरोहित ‘कागद’
- प्रतीक्षा तेरी / ओम पुरोहित ‘कागद’
- न टूटे सुगन / ओम पुरोहित ‘कागद’
- बरसो रेत में / ओम पुरोहित ‘कागद’
- ओ दम्भी पानी! / ओम पुरोहित ‘कागद’
पुरानी रचानाएं अक्रम
- मिले तो सही / ओम पुरोहित ‘कागद’
- यही बची है / ओम पुरोहित ‘कागद’
- जानता है नत्थू काका / ओम पुरोहित ‘कागद’
- मौत से पहले / ओम पुरोहित ‘कागद’
- ढूँढ़ता है / ओम पुरोहित ‘कागद’
- चौपाल अकेली / ओम पुरोहित ‘कागद’
- जूण भर चूण / ओम पुरोहित ‘कागद’
- जूण / ओम पुरोहित ‘कागद’
- गिलहरी / ओम पुरोहित ‘कागद’
- मौत का सन्नाटा / ओम पुरोहित ‘कागद’
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