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मिट्टी बोलती है / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
मिट्टी बोलती है
रचनाकार | रमेश रंजक |
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प्रकाशक | अक्षर प्रकाशन, 2/36, अंसारी रोड, दरियागंज, दिल्ली-110006 दिल्ली । |
वर्ष | जून 1976, प्रथम संस्करण । |
भाषा | हिन्दी |
विषय | गीत |
विधा | नवगीत |
पृष्ठ | 87 |
ISBN | |
विविध | कविता कोश के लिए कवि रमेश रंजक का यह दुर्लभ संग्रह कवि रमेश तैलंग ने उपलब्ध कराया। |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
धूप ने कर्फ़्यू लगाया है
- एक दीगर मार / रमेश रंजक
- बाढ़ १९७५ / रमेश रंजक
- मिट्टी बोलती है (नवगीत) / रमेश रंजक
- देहरी के फूल / रमेश रंजक
- हिम्मत हिरासत में / रमेश रंजक
- दीपावली १९७५ / रमेश रंजक
- शरद् पूर्णिमा १९७५ / रमेश रंजक
- झील : दिल्ली / रमेश रंजक
- नींद है या डर ? / रमेश रंजक
- पीलिया आया / रमेश रंजक
- पतझड़ १९७६ / रमेश रंजक
- फ़सल के ओले / रमेश रंजक
- धूप ने कर्फ़्यू लगाया है / रमेश रंजक
- क्राँति की भाषा / रमेश रंजक
- पानी का दावा / रमेश रंजक
- शहद में घी / रमेश रंजक
- दिमागी मरुस्थल ! / रमेश रंजक
- चुप है सारा बाग़ / रमेश रंजक
- यह कैसी उजियाली / रमेश रंजक
- तुला राशि 1976 / रमेश रंजक
कहाँ है घर
- कहाँ है घर ? / रमेश रंजक
- आत्मा का ओज / रमेश रंजक
- मछली-सी परेशानी / रमेश रंजक
- नींद जब टूटी / रमेश रंजक
- ज़हन में बल्लम / रमेश रंजक
- सूरज के साथ / रमेश रंजक
- बीसवें अक्षांश में / रमेश रंजक
- हड्डियाँ चबाने / रमेश रंजक
कड़ी अनुभूतियों के स्वर
- वह भी आदमी है / रमेश रंजक
- बदन का नील / रमेश रंजक
- बीच की खाई / रमेश रंजक
- आग गूँगी नहीं मरती / रमेश रंजक
- कड़ी अनुभूतियों के स्वर / रमेश रंजक
- सम्मन गया है / रमेश रंजक
- तय किए सौ रास्ते / रमेश रंजक
- धुएँ को दीवार / रमेश रंजक
- और गहरा खुल / रमेश रंजक
- रमजानी ! दे पानी !! / रमेश रंजक
- अपनी ज़मीन का / रमेश रंजक
- अधिकार जीने का / रमेश रंजक
- प्रगतिधर्मा राग / रमेश रंजक
- द्वन्द्व की भाषा / रमेश रंजक
- सधे हाथों से / रमेश रंजक
- ईमान की चिनगी / रमेश रंजक
- ध्वज कमीज़ों के / रमेश रंजक
- मुझे क्या डर है / रमेश रंजक
शब्द जो हमने गढ़े हैं
- शब्दों को बच्चे सरीखा / रमेश रंजक
- जन के मन में / रमेश रंजक
- शब्द जो हमने गढ़े हैं / रमेश रंजक
- परिवर्तन का कोरस / रमेश रंजक
- पगडंडी की देह / रमेश रंजक
- पसीने का टीका / रमेश रंजक
- परिधि से बाहर / रमेश रंजक
- वृक्ष है छतनार / रमेश रंजक
- घाट-पत्थर ! / रमेश रंजक
- भाववाचक तस्करी / रमेश रंजक
तीन कविताएँ