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रेत पर उंगली चली है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
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रेत पर उंगली चली है
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रचनाकार | कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास' |
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प्रकाशक | वी.पी. पब्लिशर्स, कानपुर |
वर्ष | 2017 |
भाषा | हिंदी |
विषय | शायरी |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 128 |
ISBN | 978 83 84397 20 7 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- सजदे में सिर के साथ दिल भी है झुका करिवर-बदन / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- रंग बदला, रूप बदला, रुख़ बदलना आ गया / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- सदाक़त के उसूलों का अगर पाबन्द हो जाये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बे-अमल शाह के सारे वादे हुए / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- नई ज़मीन नया आसमान रख देगा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- काम कोई ठीक अब होता नहीं हमसे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बताओ ज़ुल्म कितने और दिन हम पर घना होगा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- जुर्म पर उनके हमें सज़ा हो गई / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मत समझिये मुल्क कायम है भरम पर आपके / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ये ख़त पाकर इसी ख़त के बहाने तुम चले आना / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- उसको हर हाल में तकलीफ उठानी होगी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मानना चाहे न कोई भी नसीहत आज कल / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हमीं मिसाले-वफ़ा बूए-गुल चमन में रहे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मन मुताबिक इस ज़माने के अदाकारी न हो पाई / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ताज़गी, ज़िंदादिली, रौनक, नज़ाकत आपकी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- याचना है दास की दर्शन मधुर होते प्रभो / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- सत्र नियमित पूर्ण होने पर परीक्षा लीजिये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- इस बार तलातुम में पतवार कई टूटे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मैं अपने ज़ख़्म दिखलाने नहीं आया / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बाज़ फ़ितरत से आया नहीं बाज़ फिर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कर न अफ़सोस फ़ाक़ाकशी के लिए / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- अगर हो देखना इस मुल्क में फिर से जवां उर्दू / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- चुनौती ग़म के दरिया की उतर कर नाप लेते हैं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- झूम कर गिरते समय कहते हैं लहराया बहुत / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बेअसर हर कामयाबी की दुआ होती रही / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- वो बदले वक़्त के तेवर से रत्ती भर न डरता है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- वो खफ़ा हमसे नज़र आने लगे है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- पहने नये लिबास, नज़र आ रही ग़ज़ल / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मुसल्सल शक्ल रिश्तों की बदलती जा रही है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बहार आई गुलों को शाख़ पर इतराना चाहिए / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- संशय भरा जिनमें रहा उनके हृदय पाहन हुए / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बढ़ गये आगे कदम डर छोड़ हर अंजाम का / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- अब न जनता मुल्क की दिलगीर होनी चाहिए / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- दर्दे-सर बेशुमार मत लेना / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- लिख नहीं सकते खड़ी है रेत की दीवार कैसे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- रोक कोई न , आ कर चले जाइयेगा / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हर बार ढूंढी खामियां उसके नसीब की / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- अर्ज़ है जानो-दिल पुर-सुकूं कीजिये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- इक दिन मिली हक़ीक़तन वो दफ़अतन मुझे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ख़बर बिजली गिराने की घटा छाई अगर देती / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- आप कहते हैं चलो दरबार की बातें करें / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- शान है रुतबा है रानाई अभी मौजूद है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- दिल है कुछ बे-क़रार आ जाओ / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- रंग हावी बज़्म में था आसमानी शान से / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कोई दिल छू सका सिलसिला ही नहीं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हैं रंग भरे जाने कितने रंगदार बगीचे में / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- पंछी उड़ा उदास हो कर अनमना हुजूर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- चुपके चुपके बहार गुज़री है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- होशो-हवास गुम हैं इस बात पर हमारे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कभी कहना नहीं ये खाइयां हैं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- इक पल में हंसा देता इक पल में रुला पानी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- समझा के किया आपने अहसान बहुत / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- इस तरह सच के मुंह पर जो ताले पड़ेंगे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- सुनहरे भोर का मौसम करो तैयार ले जाओ / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- छिनते बेवक़्त न रोटी के सहारे अपने / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कौन सा जादू चला हैरत में हर अय्यार था / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मुसीबत में जब कोई ग़म-ख़्वार आये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- अचानक जब गिरे बिजली, झुलस खेती गई होगी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- फिर उस वादे के बदले इक नया वादा मिला / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हाथ आकर फिसल गई ख़ुशबू / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- उड़ रहे प्यार के चीथड़े हैं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- देखा न तलुवों से लहू बहता चढ़ान पर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- आप की हर इक अदा क़ातिल नज़र मालूम है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- धुंधली न रंगत हो सकी कायम अभी तक शान है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मुस्कुराओ, गीत गाओ आ गया सूरज मकर पर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- अब खत्म हो दूरी सनम / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कहनी ग़ज़ल हो पंख फुला कर ग़ज़ल कहो / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- आंखों से उनकी जब समंदर बोलते हैं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- जैसे जैसे वो मेरे दिल में उतरते जाएंगे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- खींच ली खाल बाल की होगी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- जुआ है ये , मुनाफा बढ़ भी सकता है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- चाहता हूँ सब सफल हों साधनायें आपकी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- रहम कर मालिक नया फरमान भेज दे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- फ़ज़ा में ख़ुशबू बिखर गई है चमन में छाई बहार देखो / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- काट ही लेंगे तुझे ये वक़्त पाकर देख ले / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- नाराज खुद को एक दिन शायद ज़रूर मैं करूँ / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- शिकायत मैं कभी अपने मुक़द्दर से नहीं करता / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- लगाम कुछ तो लगाओ ज़बान के ऊपर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- इक रब के भरोसे ही फ़क़त उम्र गुज़ारी हमने / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- नम्र निवेदन विस्मृत करिये बातें मान-अपमान की / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- सफ़र पर दोस्त होना कल रवाना आज रहने दो / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- बिगड़ा हुआ नसीब बनाऊं तो किस तरह / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- जब से मित्रों रेल मतवाली बहुत महँगी हुई / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- भूल से इक बार हमसे हक़-बयानी हो गई / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ताप त्रय का यदि महो-दधि लांघना है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- कैसे कह दें ग़म हमारे वो बटाएंगे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- भरा फसलों से घर आंगन, सजा दरबार दीवाली / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- दूसरों का ग़म गले अपने लगाता कौन है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- लियाक़त रब सभी को ये समझने की नहीं देता / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- घबरा न मेरे दिल तू ग़म से, हालात को रंग बदलने दे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- फिर सुना चौपाल में झगड़ा हुआ है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- हर प्रश्न उलझाते रहोगे कब तलक / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- घर बना, तोड़ कर फिर बनाने लगे / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- थोड़ी खुशियां भी तलाशो और मन चोखा करो / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- ठहरा हुआ दिखूं भले ठहरा नहीं हूँ मैं / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- किसने चुभोये जिस्म में नश्तर कहां कहां / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- वो इंसां जिससे दानिस्ता कोई गलती नहीं होती / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- विषैली झाड़ियां राहों से कटवाना ज़रूरी था / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- दिख रही जो आज ये हालत नहीं थी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- आसमां तक उड़ रहा रंगों गुलाल होली है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- फिर बही तुम्हारे आँचल से, मादक मन भावन गंध प्रिये / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
- मुक्तक / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'