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घर-आँगन (रुबाइयाँ) / जाँ निसार अख़्तर से जुड़े हुए पृष्ठ
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नीचे दिये हुए पृष्ठ घर-आँगन (रुबाइयाँ) / जाँ निसार अख़्तर से जुडते हैं:
देखें (पिछले 50 | अगले 50) (20 | 50 | 100 | 250 | 500)- वो आयेंगे चादर तो बिछा दूँ कोरी / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- आहट मेरे कदमों की जो सुन पाई है / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- दुनिया की उन्हें लाज न गैरत है सखी / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- मन था भी तो लगता था पराया है सखी / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- नाराज़ अगर हो तो बिगड़ लो मुझ पर / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- वो शाम को घर लौट के आएँगे तो फिर / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- चाल और भी दिल-नशीन हो जाती है / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- तू देश के महके हुए आँचल में पली / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- सीने पे पड़ा हुआ ये दोहरा आँचल / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- कपड़ों को समेटे हुए उट्ठी है मगर / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- कहती है इतना न करो तुम इसरार / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- हर सुबह को गुंचे में बदल जाती है / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- गाती हुई हाथों में ये सिंगर की मशीन / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- नज़रों से मेरी खुद को बचाले कैसे / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- हर एक घड़ी शाक़ गुज़रती होगी / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- इक बार गले से उनके लगकर रो ले / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- पानी कभी दे रही है फुलवारी में / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- तेरे लिये बेताब हैं अरमाँ कैसे / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- आँगन में खिले गुलाब पर जा बैठी / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- अब तक वही बचने की सिमटने की अदा / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- दरवाजे की खोलने उठी है ज़ंजीर / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- क्यों हाथ जला, लाख छुपाए गोरी / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- चुप रह के हर इक घर की परेशानी को / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- जज़्बों की गिरह खोल रही हो जैसे / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- हर रस्मो-रिवायत को कुचल सकती हूँ / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- रहता है अजब हाल मेरा उनके साथ / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- वो ज़िद पे उतर आते हैं अक्सर औक़ात / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- इक रूप नया आप में पाती हूँ सखी / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- जब तुम नहीं होते तो जवानी मेरी / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- अच्छी है कभी-कभी की दूरी भी सखी / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- बाहर वो जहाँ भी काम करते होंगे / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- वो बढ़के जो बाँहों में उठा लेते हैं / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- मैं वो ही करूँ जो वो कहें वो चाहें / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- वो दूर सफ़र पे जब भी जाएँगे सखी / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- जब जाते हो कुछ भूल के आ जाते हो / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- आती है झिझक सी उनके आगे जाते / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- खुद हिल के वो क्या मजाल पानी पी लें / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- देखेंगे और जी में कुढ़ के रह जाएँगे / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)
- इक पल को निगाहों से तो ओझल हो जाऊँ / जाँ निसार अख़्तर (← कड़ियाँ)