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"अशोक रावत" के अवतरणों में अंतर
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* [[जब देखो तब हाथ में ख़ंजर रहता है, / अशोक रावत]] | * [[जब देखो तब हाथ में ख़ंजर रहता है, / अशोक रावत]] | ||
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+ | * [[भूल जाने कहाँ कौन सी हो गई / अशोक रावत]] | ||
+ | * [[इक तरफ जलता दिया था और उजाlले की सदा थी / अशोक रावत]] | ||
+ | * [[अगर ख़ामोश रह कर अश्क पीना आ गया होता / अशोक रावत]] |
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अशोक रावत
जन्म | 15 नवम्बर 1953 |
---|---|
जन्म स्थान | मथुरा, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
थोड़ा सा ईमान (ग़ज़ल संग्रह) | |
विविध | |
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की पत्रिका “साहित्य भारती” के ग़ज़ल विषेशांक का सम्पादन | |
जीवन परिचय | |
अशोक रावत / परिचय |
ग़ज़ल संग्रह
प्रतिनिधि ग़ज़लें
- जब देखो तब हाथ में ख़ंजर रहता है, / अशोक रावत
- वो समय वो ज़माना रहा ही नहीं / अशोक रावत
- ये तो है कि घर को हम बचा नहीं सके, / अशोक रावत
- संघर्षो की गाथा है, पीड़ा का गान नहीं / अशोक रावत
- ज़ुबां पर फूल होते हैं, ज़हन में ख़ार होते हैं, / अशोक रावत
- शिकायत ये कि मैं उसकी इबादत क्यों नहीं करता, / अशोक रावत
- इसलिये कि सीरत ही एक सी नहीं होती / अशोक रावत
- हमारी चेतना पर आँधियाँ हाबी न हो जायें / अशोक रावत
- डर मुझे भी लगा फ़ासला देखकर / अशोक रावत
- न ये तूफ़ान ही अपने कभी तेवर बदलते हैं / अशोक रावत
- सूरज करता ही क्यों है संकोच अँधेरों से / अशोक रावत
- बंदूकों से प्रश्न कभी हल होते हैं, / अशोक रावत
- रिश्ते हैं पर ठेस लगानेवाले हैं / अशोक रावत
- खुले आकाश में उड़ने की चाहत क्यों नहीं करते / अशोक रावत
- क्यों छोटी छोटी बातों पर चौपल बिठाई जाती है, / अशोक रावत
- हवाला इस तरह आया मेरा घर की कहानी में / अशोक रावत
- ख़ुद को जाने हम कैसे कैसे समझाते हैं / अशोक रावत
- हाँ अकेला हूँ मगर इतना नहीं, / अशोक रावत
- ये सच है इक मुद्दत से मैं अंधकार में हूँ / अशोक रावत
- सीरतों पर कौन इतना ध्यान देता है, / अशोक रावत
- भले ही उम्र भर कच्चे मकानों में रहे / अशोक रावत
- न गाँधी पर भरोसा है न गौतम पर भरोसा है / अशोक रावत
- हर शटर पर आज फिर ताले नज़र आये / अशोक रावत
- अदावत में तो उसकी आज भी अंतर नहीं आया / अशोक रावत
- निगाहों का उजाला ठोकरों से कम नहीं होता / अशोक रावत
- जो मिल जाए उसको अपनी शान बना लेते हैं / अशोक रावत
- कभी वो राह में बिखरे हुए पत्थर नहीं गिनते / अशोक रावत
- किसी के दर्द का जब तक कोई हिस्सा नहीं बनता / अशोक रावत
- बरसते हैं ज़ुबाँ से फूल दिल में ख़ार होते हैं / अशोक रावत
- अँधेरों की सभा में सर उठाना सीख जाते हैं / अशोक रावत
- न तुम बेज़ार होते हो, न हम बेज़ार होते हैं / अशोक रावत
- कभी चेहरा नहीं देखा मगर देखा सा लगता है / अशोक रावत
- दिन डूबेगा और अँधेरा भी होगा / अशोक रावत
- जो बादल आसमाँ के थे नदी के हो नहीं पाए / अशोक रावत
- मौसम से बातें करती खिड़की सा लगता है / अशोक रावत
- सभी मिट्टी हैं सोने का बना कोई नहीं होता / अशोक रावत
- अगर हम फायदे नुकसान को ही तोलते रहते / अशोक रावत
- चूँकि घर की बात थी अक्सर नहीं बोले / अशोक रावत
- न तो जीने की कोई राह निकली / अशोक रावत
- जमाने की तरह होते तो पत्थर दिल न हो जाते / अशोक रावत
- हमें ही जतन से जलाने भी होंगे / अशोक रावत
- जहाँ रौशनी के ठिकाने रहेंगे / अशोक रावत
- जब एक दीपक जल जाता है / अशोक रावत
- हँसते हँसते मेरी आँखें नम कर देते हैं / अशोक रावत
- हँस के सागर पार जब हम कर गए / अशोक रावत
- भला अपने कटोरे की मलाई कौन देता है / अशोक रावत
- पलटना मत कभी ये दिन बड़ी मुश्किल से मिलता है / अशोक रावत
- बारिश का मौसम बीत गया आकाश में पर बादल न हुए / अशोक रावत
- हमदर्द मेरे हर मौके पर, वादों को निभाना भूल गए / अशोक रावत
- बहुत चाहा कि आ जाए सलीका, पर नहीं आता / अशोक रावत
- हमको इस दुनिया में रहना ही नहीं आया / अशोक रावत
- भूल जाने कहाँ कौन सी हो गई / अशोक रावत
- इक तरफ जलता दिया था और उजाlले की सदा थी / अशोक रावत
- अगर ख़ामोश रह कर अश्क पीना आ गया होता / अशोक रावत