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+ | * [[अजीब लोग हैं कैसा कमाल करते हैं / राकेश जोशी]] |
18:28, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
राकेश जोशी
© कॉपीराइट: राकेश जोशी। कविता कोश के पास संकलन की अनुमति है। इन रचनाओं का प्रयोग राकेश जोशी की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता।
जन्म | 20 जून 1970 |
---|---|
जन्म स्थान | गुगली, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
राकेश जोशी / परिचय |
ग़ज़ल संग्रह
- पत्थरों के शहर में / राकेश जोशी
ग़ज़लें
- आज फिर से भूख की और रोटियों की बात हो / राकेश जोशी
- जैसे-जैसे बच्चे पढ़ना सीख रहे हैं / राकेश जोशी
- जो ख़बर अच्छी बहुत है आसमानों के लिए / राकेश जोशी
- नगर की जनता अब भी भूखी-प्यासी है / राकेश जोशी
- अब उजालों से कोई आता नहीं है / राकेश जोशी
- जब हकीक़त सामने है क्यों फ़साने पर लिखूँ / राकेश जोशी
- जिस दिन अंधेरों से कहीं मैं मिलके आता हूँ / राकेश जोशी
- हर तरफ भारी तबाही हो गई है / राकेश जोशी
- जो दिया तुमने वो सब सहना पड़ा / राकेश जोशी
- डीज़ल ने आग लगाई है, फिर भी ज़िंदा हूँ / राकेश जोशी
- सपने केवल उन लोगों के सच होते हैं / राकेश जोशी
- हर तरफ गहरी नदी है, क्या करें / राकेश जोशी
- इस धरती पर कुछ लोगों को मर जाने से डर लगता है / राकेश जोशी
- जो भी बात न पूरी समझा / राकेश जोशी
- जो इस कोने में आओ तुम कभी क़व्वालियां लेकर / राकेश जोशी
- बादल गरजे तो डरते हैं नए-पुराने सारे लोग / राकेश जोशी
- दुनिया में ईमान नहीं है / राकेश जोशी
- कैसे-कैसे सपने दिल में पाले लोग / राकेश जोशी
- बंद सारी खिड़कियाँ हैं, सो रही हैं / राकेश जोशी
- कैसे-कैसे लोग शहर में रहते हैं / राकेश जोशी
- अगर लिखना मना है तो क़लम का कारख़ाना क्यों / राकेश जोशी
- दीवारों से कान लगाकर बैठे हो / राकेश जोशी
- इन ग़रीबों के लिए घर कब बनेंगे / राकेश जोशी
- तेरी दावत में गर खाना नहीं था / राकेश जोशी
- आपने गिरवी रखे जो खेत वह बंजर तो दें / राकेश जोशी
- छेनी और हथौड़ा लेकर मूरत नई बनाऊं तो / राकेश जोशी
- ख़ंजर को ख़ंजर कहना है / राकेश जोशी
- सच कहो, क्या कभी ये इंतज़ाम बदलेगा / राकेश जोशी
- कल ज़मीं पर आज-से दंगल नहीं थे / राकेश जोशी
- या मकानों का सफ़र अच्छा रहा / राकेश जोशी
- ज़िंदगी भर आदमी को आजमाता कौन है / राकेश जोशी
- महल है, साधुओं का ये तो डेरा हो नहीं सकता / राकेश जोशी
- बंदर खेतों को बंजर कर जाते हैं / राकेश जोशी
- कोई पानी नहीं रखता, कोई दाना नहीं रखता / राकेश जोशी
- ख़ज़ाने की हमें दौलत भले सारी दिखा देगा / राकेश जोशी
- मंज़िलों का निशान बाक़ी है / राकेश जोशी
- फिर से हाथों में तुम्हारे हल तो हो / राकेश जोशी
- इन ग़रीबों ने कभी भी घर नहीं देखे / राकेश जोशी
- अगर अच्छा नहीं है / राकेश जोशी
- अजीब लोग हैं कैसा कमाल करते हैं / राकेश जोशी