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मीर तक़ी 'मीर'
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मीर तक़ी 'मीर'
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जन्म | 1723 |
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निधन | 20 सितम्बर 1810 |
उपनाम | मीर |
जन्म स्थान | आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
ज़िक्र-ए-मीर (आत्मकथा), कुल्लीयते-मीर (उर्दु रचनाओं के छह दीवानों का संग्रह), कुल्लीयते-फ़ारसी (फ़ारसी रचनाओं का संग्रह), फ़ैज़-ए-मीर (पाँच कहानियों का संग्रह), नुकत-उस-शूरा (फ़ारसी ज़बान में लिखी तत्कालीन उर्दु रचनाकारों की जीवनियाँ) | |
विविध | |
उर्दु के महानतम शायरों में से एक। उर्दु भाषा स्वरूप को संवारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। मूल नाम मोहम्मद तक़ी। "शायरी के ख़ुदा" के तौर पर मीर को याद किया जाता है। | |
जीवन परिचय | |
मीर तक़ी 'मीर' / परिचय | |
कविता कोश पता | |
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रचनाएँ
- आए हैं मीर मुँह को बनाए / मीर तक़ी 'मीर'
- कहा मैंने / मीर तक़ी 'मीर'
- बेखुदी ले गयी / मीर तक़ी 'मीर'
- अपने तड़पने की / मीर तक़ी 'मीर'
- हस्ती अपनी होबाब की सी है / मीर तक़ी 'मीर'
- फ़कीराना आए सदा कर चले / मीर तक़ी 'मीर'
- बेखुदी कहाँ ले गई हमको / मीर तक़ी 'मीर'
- अश्क आंखों में कब नहीं आता / मीर तक़ी 'मीर'
- गम रहा जब तक कि दम में दम रहा / मीर तक़ी 'मीर'
- देख तो दिल कि जाँ से उठता है / मीर तक़ी 'मीर'
- दिल-ऐ-पुर_खूँ की इक गुलाबी से/ मीर तक़ी 'मीर'
- था मुस्तेआर हुस्न से उसके जो नूर था / मीर तक़ी 'मीर'
- इधर से अब्र उठकर जो गया है / मीर तक़ी 'मीर'
- जीते-जी कूचा-ऐ-दिलदार से जाया न गया / मीर तक़ी 'मीर'
- जो इस शोर से 'मीर' रोता रहेगा / मीर तक़ी 'मीर'
- इब्तिदा-ऐ-इश्क है रोता है क्या / मीर तक़ी 'मीर'
- पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है / मीर तक़ी 'मीर'
- उलटी हो गई सब तदबीरें, कुछ न दवा ने काम किया / मीर तक़ी 'मीर'
- न सोचा न समझा न सीखा न जाना / मीर तक़ी 'मीर'
- दिल की बात कही नहीं जाती, चुप के रहना ठाना है / मीर तक़ी 'मीर'
- दम-ए-सुबह बज़्म-ए-ख़ुश जहाँ शब-ए-ग़म / मीर तक़ी 'मीर'
- गुल को महबूब में क़यास किया / मीर तक़ी 'मीर'
- होती है अगर्चे कहने से यारों पराई बात / मीर तक़ी 'मीर'
- इस अहद में इलाही मोहब्बत को क्या हुआ / मीर तक़ी 'मीर'
- जो तू ही सनम हम से बेज़ार होगा / मीर तक़ी 'मीर'
- काबे में जाँबलब थे हम दूरी-ए-बुताँ से / मीर तक़ी 'मीर'
- मानिंद-ए-शमा मजलिस-ए-शब अश्कबार पाया / मीर तक़ी 'मीर'
- मिलो इन दिनों हमसे इक रात जानी / मीर तक़ी 'मीर'
- मुँह तका ही करे है जिस-तिस का / मीर तक़ी 'मीर'
- शब को वो पीए शराब निकला / मीर तक़ी 'मीर'
- तुम नहीं फ़ितना-साज़ सच साहब / मीर तक़ी 'मीर'
- क्या कहूँ तुम से मैं के क्या है इश्क़ / मीर तक़ी 'मीर'
- आँखों में जी मेरा है इधर यार देखना / मीर तक़ी 'मीर'
- सहर गह-ए-ईद में दौर-ए-सुबू था / मीर तक़ी 'मीर'
- जिस सर को ग़रूर आज है याँ ताजवरी का / मीर तक़ी 'मीर'
- महर की तुझसे तवक़्क़ो थी सितमगर निकला / मीर तक़ी 'मीर'
- बारहा गोर दिल झुका लाया / मीर तक़ी 'मीर'
- आ जायें हम नज़र जो कोई दम बहुत है याँ / मीर तक़ी 'मीर'
- बात क्या आदमी की बन आई / मीर तक़ी 'मीर'
- कोफ़्त से जान लब पर आई है / मीर तक़ी 'मीर'
- मेरे संग-ए-मज़ार पर फ़रहाद / मीर तक़ी 'मीर'
- ब-रंग-ए-बू-ए-गुल, इस बाग़ के हम आश्ना होते / मीर तक़ी 'मीर'
- मीर दरिया है, सुने शेर ज़बानी उस की / मीर तक़ी 'मीर'
- यार बिन तल्ख़ ज़िंदगनी थी / मीर तक़ी 'मीर'
- शिकवा करूँ मैं कब तक उस अपने मेहरबाँ का / मीर तक़ी 'मीर'
- अब जो इक हसरत-ए-जवानी है / मीर तक़ी 'मीर'
- शेर के पर्दे में मैं ने ग़म सुनाया है बहुत / मीर तक़ी 'मीर'
- चलते हो तो चमन को चलिये / मीर तक़ी 'मीर'
- दुश्मनी हमसे की ज़माने ने / मीर तक़ी 'मीर'
- यारो मुझे मुआफ़ करो मैं नशे में हूँ / मीर तक़ी 'मीर'
- दिल से शौक़-ए-रुख़-ए-निको न गया / मीर तक़ी 'मीर'
- आरज़ूएं हज़ार रखते हैं / मीर तक़ी 'मीर'
- रही नगुफ़्ता मेरे दिल में दास्ताँ मेरी / मीर तक़ी 'मीर'
- अंदोह से हुई न रिहाई तमाम शब / मीर तक़ी 'मीर'
- इश्क़ में जी को सब्र-ओ-ताब कहाँ / मीर तक़ी 'मीर'
- हम जानते तो इश्क न करते किसू के साथ / मीर तक़ी 'मीर'
- यही इश्क़ ही जी खपा जानता है / मीर तक़ी 'मीर'
- नाला जब गर्मकार होता है / मीर तक़ी 'मीर'
- उम्र भर हम रहे शराबी से / मीर तक़ी 'मीर'
- मसाइब और थे पर दिल का जाना / मीर तक़ी 'मीर'
- नहीं विश्वास जी गँवाने के / मीर तक़ी 'मीर'
- बेकली बेख़ुदी कुछ आज नहीं / मीर तक़ी 'मीर'
- क़द्र रखती न थी मता-ए-दिल / मीर तक़ी 'मीर'
- राहे-दूरे-इश्क़ से रोता है क्या / मीर तक़ी 'मीर'
- मामूर शराबों से कबाबों से है सब देर / मीर तक़ी 'मीर'
- मरते हैं हम तो आदम-ए-ख़ाकी की शान पर / मीर तक़ी 'मीर'
- कुछ करो फ़िक्र मुझ दीवाने की / मीर तक़ी 'मीर'
- हमारे आगे तेरा जब किसी ने नाम लिया / मीर तक़ी 'मीर'
- आ के सज्जाद / मीर तक़ी 'मीर'
- दिखाई दिये यूँ कि बेख़ुद किया / मीर तक़ी 'मीर'
- ज़ख्म झेले दाग़ भी खाए बोहत / मीर तक़ी 'मीर'
- न दिमाग है कि किसू से हम / मीर तक़ी 'मीर'
- हर जी का हयात है / मीर तक़ी 'मीर'
- चुनिन्दा अश्आर- भाग एक / मीर तक़ी 'मीर'
- चुनिन्दा अश्आर- भाग दो / मीर तक़ी 'मीर'
- चुनिन्दा अश्आर- भाग तीन / मीर तक़ी 'मीर'
- चुनिन्दा अश्आर- भाग चार / मीर तक़ी 'मीर'
- चुनिन्दा अश्आर- भाग पाँच / मीर तक़ी 'मीर'
- चाक करना है इसी ग़म से / मीर तक़ी 'मीर'
- गुल ब बुलबुल बहार में देखा / मीर तक़ी 'मीर'
- अए हम-सफ़र न आब्ले / मीर तक़ी 'मीर'