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गुफ़्तगू अवाम से है / ज्ञान प्रकाश विवेक
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गुफ़्तगू अवाम से है
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रचनाकार | ज्ञान प्रकाश विवेक |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 103 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- वो किसी बात का चर्चा नहीं होने देता / ज्ञान प्रकाश विवेक
- हाथ फैलाने अंदाज़ सिखाता क्यूँ है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मेरा ख़याल है जादू कोई शरर में था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- कोई समझता नहीं दोस्त, बेबसी मेरी / ज्ञान प्रकाश विवेक
- उदासी दर्द हैरानी इधर भी है उधर भी है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- सभी को कीमती कपड़े पहन के आने हैं / ज्ञान प्रकाश विवेक
- दिल का क्या है वो किसी रूप में ढल जाएगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- किसी के दर्द में रो उठ्ठूँ कुछ ऐसी तर्जुमानी दे / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मुझसे अहबाब भी मिलते रहे अनबन रख के /ज्ञान प्रकाश विवेक
- कमरे को नई आबो-हवा क्यों नहीं देता / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मौसम मेरे शहर का चालाक हो गया था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मेरी चिन्ता न करो मैं तो सँभल जाऊँगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मालूम नहीं क्यूँ वो ज़माने से ख़फ़ा है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- उस परिन्दे ने लुटाया था ख़ज़ाना मुझको / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ऐसे कर्फ़्यू में भला कौन है आने वाला / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मैं वक़्त का अंदाज़े-बयाँ बेच रहा हूँ / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तमाम घर को बयाबाँ बना के रखता था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- दिन का था कभी डर तो कभी रात का डर था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- समय के साथ अब लड़ना-लड़ाना छोड़ दिया / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ज़िन्दगी की जंग में जाँबाज़ होना आ गया / ज्ञान प्रकाश विवेक
- सुर्ख़रू होकर अदब के साथ मर जाएँगे लोग / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मैं अपने हौसले को यक़ीनन बचाऊँगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ता-हद्दे-नज़र रेत की बेचैन नदी है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- जो गया डूब भला कैसे बताऊँ उसको / ज्ञान प्रकाश विवेक
- रस्ता इतना अच्छा था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तेज़ बारिश हो या हल्की डूब जाएँगे ज़रूर / ज्ञान प्रकाश विवेक
- पता नहीं कि वो किस ओर मोड़ देगा मुझे / ज्ञान प्रकाश विवेक
- करिश्मे ख़ूब मेरा जाँ-निसार करता था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- निभाई हैं फटे कंबल से रिश्तेदारियाँ हमने / ज्ञान प्रकाश विवेक
- बड़ा कठिन है सफ़र साथ चल सको तो चलो / ज्ञान प्रकाश विवेक
- कच्ची मिट्टी से लगन इतनी लगाता क्यों है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- किसी ज़ईफ़ शजर की उदास छाया है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- बुरे दिनों का आना-जाना लगा रहेगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- बे-मेहर हुक़्काम था सब कुछ उठा कर ले गया / ज्ञान प्रकाश विवेक
- नए मिज़ाज के माली ने तल्ख़ियाँ रख दीं / ज्ञान प्रकाश विवेक
- बात करता है इतने अहंकार की / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तु्म्हें ज़मीन मिली और आसमान मिला / ज्ञान प्रकाश विवेक
- भाई से भाई रूठा है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- पेड़ पर्वत परिंदे सभी प्रार्थना / ज्ञान प्रकाश विवेक
- गुज़िश्ता वक्त ने मेरे परों को तोड़ दिया / ज्ञान प्रकाश विवेक
- सब पुरानी निशानियाँ गुमसुम / ज्ञान प्रकाश विवेक
- हवा से छॊड़ अदावत कि दोस्ती का सोच / ज्ञान प्रकाश विवेक
- लफ़्ज़ झूठे अदाकारियाँ ख़ूब थीं / ज्ञान प्रकाश विवेक
- फ़्यूज़ बल्बों का मेला लगा है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- सब लोग साथ-साथ हैं तन्हा खड़ा हूँ मैं / ज्ञान प्रकाश विवेक
- दुख के सितम हज़ार मगर मुस्कुरा के देख / ज्ञान प्रकाश विवेक
- जो उसके हाथ से मैं टूट जाता / ज्ञान प्रकाश विवेक
- छटपटाता हुआ धरती पे पड़ा हूँ यारो / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ऐ मेरे जहान के देवता,ये तेरा वितान अजीब है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- काग़ज़ की कश्तियों में रखते हैं चाँदनी को / ज्ञान प्रकाश विवेक
- क्या पता किसकी निगहबानी में था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- गाँव इतना ज़्यादा बदल जाएगा मैंने सोचा न था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- घर से बाहर निकलती आवाज़ें / ज्ञान प्रकाश विवेक
- हवा को रोकना होता रहा बेकार पहले भी / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मेरे क़द से वो इतना डर रहा था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- आकाश भी अब उसको पराया-सा लगे है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- जुलूस आपने जब भी कभी निकाले हैं / ज्ञान प्रकाश विवेक
- उदास मौसमों को कहकहे सुनाते हो / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ज़िन्दा रहने का हुनर उसने सिखाया होगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- शहर के बीच जो दरिया दिखाई देता है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तेज़ चाकू कर लिए चमका के रख लीं लाठियाँ / ज्ञान प्रकाश विवेक
- जो गुम हुआ है वो छाता बहुत पुराना है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- दोस्तो, अब मुझे इस बात से डर लगता है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- इस तरह क़र्ज़ सारा अदा हो गया / ज्ञान प्रकाश विवेक
- नहीं जहाज़ तो फिर बादबान किसके लिए / ज्ञान प्रकाश विवेक
- अमीरे-शहर की हमने कई उपलब्धियाँ देखीं / ज्ञान प्रकाश विवेक
- वो इक दरख़्त है दोपहर में झुलसता हुआ / ज्ञान प्रकाश विवेक