भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सरगम साँसों की / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:12, 11 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKPustak |चित्र= |नाम= |रचनाकार=रंजना वर्मा |प्रकाशक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | रंजना वर्मा |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- माँ तुमको आज मनाना है / रंजना वर्मा
- विहग वृक्ष पर चहचहाने लगे हैं / रंजना वर्मा
- इक हकीकत थी फ़साना बन गयी / रंजना वर्मा
- रात की तारिका मुंह छिपाने लगी / रंजना वर्मा
- भूमि तज चाँद पर है चढ़ा जा रहा / रंजना वर्मा
- रखें हम सभी नित्य ही इसका ध्यान / रंजना वर्मा
- आज खुद से पशेमाँ हुए जा रहे / रंजना वर्मा
- हमें तुम न यों आजमाया करो / रंजना वर्मा
- बताया ही नहीं तुमको जहाँ के पार जाना है / रंजना वर्मा
- कन्या को आज बचाना है / रंजना वर्मा
- भज श्याम कन्हैया को दिन रात बुलाते हैं / रंजना वर्मा'
- तुम्हारा नाम जपता हर घड़ी ये दिल दिवाना है / रंजना वर्मा
- चढ़ी आज डोली बढ़े जा रही है / रंजना वर्मा
- सब लोग जमाने में आदर्श बताते हैं / रंजना वर्मा
- है ग्रहों पर कई यह चढ़ा जा रहा / रंजना वर्मा
- न यों बाँसुरी तुम बजाया करो / रंजना वर्मा
- जो रूठे उन्हें मनाना है / रंजना वर्मा
- तुम्हारे प्यार में मोहन हमारा मन दिवाना है / रंजना वर्मा
- है मात कृपा करिये हम शीश नवाते हैं / रंजना वर्मा
- साँसों का ताना बाना है / रंजना वर्मा
- नम जो आँखों में हरदम मुसकाया है / रंजना वर्मा
- मंजिल जीवन की पाना है / रंजना वर्मा
- अब लोग नफरतों का व्यापार कर रहे हैं / रंजना वर्मा
- बेदर्द यह गरीबी कितना हमें सताती / रंजना वर्मा
- न पूछो कौन अब किसकी निगाहों का निशाना है / रंजना वर्मा
- शारदे माँ को केवल नमन चाहिये / रंजना वर्मा
- प्यासे हृदय गगन पर ग़म के बादल छा जाते हैं / रंजना वर्मा
- अब तो बस अपनी ही ख़ातिर जीता यह संसार लगा / रंजना वर्मा
- श्याम का रात दिन स्मरण चाहिये / रंजना वर्मा
- कन्हैया न यूँ मुस्कुराया करो / रंजना वर्मा
- नित नये पन्थ का आकलन चाहिये / रंजना वर्मा
- अँधेरा यहाँ हर तरफ छा रहा है / रंजना वर्मा
- तुम्हारा नाम लेकर प्राण का संचार करना है / रंजना वर्मा
- द्वेष मद मोह का अब शमन कीजिये / रंजना वर्मा
- हो नित्य मन में भावना / रंजना वर्मा
- ज़िन्दगी भार है / रंजना वर्मा
- तम नाश हेतु दीप जलाते सदैव है / रंजना वर्मा
- वह जो बस बात ही बनाते हैं / रंजना वर्मा
- देश है अनुपम अनोखा यह हमारी जान है / रंजना वर्मा
- जिनके इंसानियत के नाते हैं / रंजना वर्मा