दीपक मेघ हिंडोल
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रचनाकार | अमरेन्द्र |
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प्रकाशक | |
वर्ष | 2012 |
भाषा | |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 96 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- मेघ गरजा रात भर है / अमरेन्द्र
- और कितनी पीर पालूँ / अमरेन्द्र
- डीह से कैसे विसर लूँ / अमरेन्द्र
- खिलखिलाता था अभी मन / अमरेन्द्र
- नाच मेरे भाव छम-छम / अमरेन्द्र
- मैं न जानूं आह कैसी / अमरेन्द्र
- यह निशा, यह भोर क्या है / अमरेन्द्र
- चाँद गाओ गीत फिर से / अमरेन्द्र
- सृष्टि जिसकी ज्योति-छाया / अमरेन्द्र
- शक्ति की आधार देवी / अमरेन्द्र
- बिजलियाँ-घन गरज बरसे / अमरेन्द्र
- सुप्त मेरे प्राण जागो! / अमरेन्द्र
- मन उदासी तान आया / अमरेन्द्र
- मन वही फिर गीत गाए / अमरेन्द्र
- चुप्पियों के लगे झूले / अमरेन्द्र
- तीर पर ही नाव दहले / अमरेन्द्र
- जाग मेरे देश फिर से / अमरेन्द्र
- पूछना है क्या किसी से / अमरेन्द्र
- आज वन में कुहुक बोले / अमरेन्द्र
- चोट जितने हों, हरे हों / अमरेन्द्र
- दुःख जहाँ गहरा हुआ है / अमरेन्द्र
- देहरी-घर और आँगन / अमरेन्द्र
- सो भी जाओ गीत मेरे / अमरेन्द्र
- झर झरो पावस सजीले / अमरेन्द्र
- जो भी हो जैसा समर हो / अमरेन्द्र
- आधियों में शष्य-घर हूँ / अमरेन्द्र
- दुःख किसी से क्या कहूँ मैं / अमरेन्द्र
- आपबीती क्या सुनाएँ / अमरेन्द्र
- उड़ रहा मन मेघ बन कर / अमरेन्द्र
- चल कहीं पर, दूर बस लें / अमरेन्द्र
- तुम पुकारोगे जो मन से / अमरेन्द्र
- है दिये की रोशनी, पर / अमरेन्द्र
- आ गया फिर गीत ले कर / अमरेन्द्र
- वह रहा मेरा ही घर है / अमरेन्द्र
- सुख कहीं है, यह भरम है / अमरेन्द्र
- चाहता तो मन यही है / अमरेन्द्र
- कौन-सी यह बात मन में / अमरेन्द्र
- काँपता संसार, देवी / अमरेन्द्र
- गुनगुनी-सी धूप आई / अमरेन्द्र
- सब नहीं वह पीर जाने / अमरेन्द्र
- क्यों हमेशा मन डरा-सा / अमरेन्द्र
- कब तलक उत्सव मनाऊँ / अमरेन्द्र
- मधु पिए मधुमास आया / अमरेन्द्र
- फिर तुम्हारी याद आई / अमरेन्द्र
- तन नदी हो, मन नदी हो / अमरेन्द्र
- कौन भारत देश जैसा / अमरेन्द्र
- रात ही क्या, दिन उपासी / अमरेन्द्र
- आ गई कैसी सदी है / अमरेन्द्र
- यह अकेले का सफर है / अमरेन्द्र
- चाँद में कैसा गहन है / अमरेन्द्र
- भावना होगी कँवल-सी / अमरेन्द्र
- दिन हुए ऐसे नुकीले / अमरेन्द्र
- खिलखिला कर अब हँसो तुम / अमरेन्द्र
- फूल के दिन, दिन कली के / अमरेन्द्र
- बरगदों की छाँव बोले / अमरेन्द्र
- रात है तो क्या, चले चल / अमरेन्द्र
- स्वर बुनो मधुमय समय के / अमरेन्द्र
- तुम तृषा के नीर-पानी / अमरेन्द्र
- यह नहीं होगा मरूँ मैं / अमरेन्द्र
- बालियां, ये बेटियां हैं / अमरेन्द्र
- नींद नीले देश की तुम / अमरेन्द्र
- आ गयी नीली नदी फिर / अमरेन्द्र
- यह हिमानिल रात कम्पित / अमरेन्द्र
- कंठ कोकिल का भी थिर है / अमरेन्द्र
- तप रहा है चैत का मन / अमरेन्द्र
- जेठ लगता आज फागुन / अमरेन्द्र
- तप रहा है अब दिवस जो / अमरेन्द्र
- धूप बरसो, खूब बरसो / अमरेन्द्र
- पत्र का गिरना, हहरना / अमरेन्द्र
- काट लूँगा ये बचे दिन / अमरेन्द्र
- आ गया बेकार चल कर / अमरेन्द्र
- सोच, मत हो चित्त चंचल / अमरेन्द्र
- हो धरा यह शांत शीतल / अमरेन्द्र
- माँ, मुझे अपनी शरण दो / अमरेन्द्र
- छाया नर की दिखी प्रेत में / अमरेन्द्र
- लौट के आया गाँव-गाँव से / अमरेन्द्र
- यह मेरा घर नहीं है / अमरेन्द्र