ध्रुव गुप्त
www.kavitakosh.org/dhruvgupt
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| जन्म | 01 सितम्बर 1950 | 
|---|---|
| जन्म स्थान | गोपालगंज, बिहार | 
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| कहीं बिल्कुल पास तुम्हारे, जंगल जहां ख़त्म होता है, मौसम जो कभी नहीं आता (सभी कविता संग्रह); एक ज़रा सा आसमां, मौसम के बहाने, मुझमें कुछ है जो आईना सा है (सभी ग़ज़ल संग्रह) | |
| विविध | |
| भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी | |
| जीवन परिचय | |
| ध्रुव गुप्त / परिचय | |
| कविता कोश पता | |
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ध्रुव गुप्त की ग़ज़लें
- तनहा मंज़र हैं तो क्या / ध्रुव गुप्त
 - सारी नज़रों से दरकिनार हुआ / ध्रुव गुप्त
 - कर दिया मैंने दरकिनार मुझे / ध्रुव गुप्त
 - तूफां में क़ायम मकान है / ध्रुव गुप्त
 - चल खला में कहीं रहा जाए / ध्रुव गुप्त
 - कुछ हवा में हैं तल्खियां शायद / ध्रुव गुप्त
 - तू कभी ख़ुद के बराबर इधर नहीं आता / ध्रुव गुप्त
 - दामन अपना तार-तार है / ध्रुव गुप्त
 - गरचे सौ चोट हमने खाई है / ध्रुव गुप्त
 - मेरी आंखों में ये ख़ला क्या है / ध्रुव गुप्त
 - हर तरफ़ तेज आंधियां रखना / ध्रुव गुप्त
 - हद से गर बढ़ जाएंगे तो क्या करोगे / ध्रुव गुप्त
 - हम हाज़िर हैं हाथ उठाए / ध्रुव गुप्त
 - रोज़ थोड़ा पिघल रहा हूं मैं / ध्रुव गुप्त
 - यूं गर्दिशों का क़र्ज़ सफ़र में अदा हुआ / ध्रुव गुप्त
 - हवा-सा, धूप-सा, यादों के झोंके-सा उधर जाएं / ध्रुव गुप्त
 - अगरचे सख़्त सफ़र है, धुआं घना होगा / ध्रुव गुप्त
 - रंग सारे थे, हम नहीं थे वहां / ध्रुव गुप्त
 - हद से भी बढ़ जाएंगे तो क्या करोगे / ध्रुव गुप्त
 - बाहर रह या घर में रह / ध्रुव गुप्त
 - एक भटकी सदा सा रहता हूं / ध्रुव गुप्त
 - इस उमस में टूटकर बरसात, जैसे तुम यहीं हो / ध्रुव गुप्त
 - सब उलटा-सीधा करते हो / ध्रुव गुप्त
 - चांदनी छत पे हो तेरा ख़त सिरहाने / ध्रुव गुप्त
 - अब अपना ही दर खटकाकर देखेंगे / ध्रुव गुप्त
 - ज़मीं पर हम हैं, ऊपर आसमां है / ध्रुव गुप्त
 - रंजिशें, तल्खियां, गिला लेकर / ध्रुव गुप्त
 - ख़ामुशी की सदा सा रहता हूं / ध्रुव गुप्त
 - ख़ुद से बच के निकल गए होते / ध्रुव गुप्त
 - ज़रा सा दिल लगा कर लौट आए / ध्रुव गुप्त
 - ज़िंदगी कुछ हसीं दिखाई दे / ध्रुव गुप्त
 - हमको अपनी तरह बना देना / ध्रुव गुप्त
 - अब न फिर दीवानगी के दिन पुराने आएंगे / ध्रुव गुप्त
 - कुछ दहशत हर बार ख़रीदा / ध्रुव गुप्त
 - ज़िन्दगी क़र्ज़ अगर है तो यूं अदा भी न हो / ध्रुव गुप्त
 - बदन में जो शरारें हैं, रहेंगे / ध्रुव गुप्त
 - आधी बात है कहना उनसे, आधी बात छुपाना है / ध्रुव गुप्त
 - ज़रा शिक़स्तगी, थोड़ी उड़ान रहने दो / ध्रुव गुप्त
 - चांद कितना बुझा-बुझा सा है / ध्रुव गुप्त
 - नज़र की बात पहुंचेगी नज़र तक / ध्रुव गुप्त
 - फ़िज़ा में तल्खियां रही होंगी / ध्रुव गुप्त
 - दिल बंजर-बंजर लगता है / ध्रुव गुप्त
 - कभी आसमां, कभी नदी में, कभी शजर में रहता है / ध्रुव गुप्त
 - कोई जाता है, चला जाने दे / ध्रुव गुप्त
 - मेरा आगाज़ टलता जा रहा है / ध्रुव गुप्त
 - जब कोई अपना लगता है / ध्रुव गुप्त
 - फ़िक्रे-जानां गया, मलाल गए / ध्रुव गुप्त
 - कोई पहचान बाकी है न अब चेहरा बचा है / ध्रुव गुप्त