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"क्या हो गया कबीरों को / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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* [[भ्रमर को मिला जब सुमन का निमंत्रन / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[भ्रमर को मिला जब सुमन का निमंत्रन / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[तुम अगर बेकरार हो जाते / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[तुम अगर बेकरार हो जाते / शेरजंग गर्ग]]
* [[दूर बौठा हूँ हर हकीकत से / शेरजंग गर्ग]]
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* [[दूर बैठा हूँ हर हक़ीक़त से / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[अब तो कहने के लिए शेष कोई बात नहीं / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[अब तो कहने के लिए शेष कोई बात नहीं / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[फूलो की बेकरार निगाको के आसपास / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[फूलो की बेकरार निगाको के आसपास / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[सपनो की धूमिल छाया का आकार न भूलूंगा हरगिज़ / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[सपनो की धूमिल छाया का आकार न भूलूंगा हरगिज़ / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[न देखो पीर उर की पर अधर की प्यास तो देखो / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[न देखो पीर उर की पर अधर की प्यास तो देखो / शेरजंग गर्ग]]

06:15, 18 सितम्बर 2010 का अवतरण


क्या हो गया कबीरों को
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रचनाकार शेरजंग गर्ग
प्रकाशक
वर्ष
भाषा हिन्दी
विषय
विधा
पृष्ठ
ISBN
विविध
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