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तय करो किस ओर हो / बल्ली सिंह चीमा
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तय करो किस ओर हो
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रचनाकार | बल्ली सिंह चीमा |
---|---|
प्रकाशक | जन संस्कइति मंच, द्वारा- इंतखाब, मल्लीताल, नैनीताल- 263 001 |
वर्ष | 1998, प्रथम संस्करण । |
भाषा | हिन्दी |
विषय | गीत और ग़ज़ल |
विधा | हिन्दी ग़ज़ल |
पृष्ठ | 78 |
ISBN | |
विविध |
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ग़ज़लें
- झोपड़ों से उठ रही आवाज़ है मेरी ग़ज़ल / बल्ली सिंह चीमा
- सब दुःखों को लील ले जो वो दवा पैदा करें / बल्ली सिंह चीमा
- डूबते वक़्त भी तिनके का सहारा है मुझे / बल्ली सिंह चीमा
- पीकर मेरा पसीना ये होने लगी हसीन / बल्ली सिंह चीमा
- यूँ तो मैं तूफ़ान से डरता रहा / बल्ली सिंह चीमा
- उस जगह कानून काला चल रहा है / बल्ली सिंह चीमा
- रूखी-सूखी खा के आधे पेट पर ज़िन्दा रहा / बल्ली सिंह चीमा
- गाँव शराबी कर दिया खुलकर बाँटे नोट / बल्ली सिंह चीमा
- जान बची लाखों पाए हैं / बल्ली सिंह चीमा
- सत्ता की गलियों तक पहुँची नारे बनकर गाँवों की बातें / बल्ली सिंह चीमा
- कुछ तो डरने लगे उनसे हम बेवज़ह / बल्ली सिंह चीमा
- ये किसको ख़बर थी कि ये बात होगी / बल्ली सिंह चीमा
- गाँव मेरा आजकल दहशतज़दा है दोस्तो / बल्ली सिंह चीमा
- कभी निराश हो आँखों को मूँदकर लेटे / बल्ली सिंह चीमा
- बकरियों में भी जान है लेकिन / बल्ली सिंह चीमा
- रंग-बिरंगा लगे जैसे बाज़ार-सा / बल्ली सिंह चीमा
- फ़क़त वोट समझे है हर आदमी को / बल्ली सिंह चीमा
- दूर क्यों हमसे उजाला इसकी भी चर्चा करो / बल्ली सिंह चीमा
- सूर्य मरने के ऐलान अपनी जगह / बल्ली सिंह चीमा
- बड़ा बेशर्म हमलावर है दुनिया हाँकने वाला / बल्ली सिंह चीमा
- संघर्षों की राह चलो तो सिर को कभी झुकाना मत / बल्ली सिंह चीमा
- शायरों का उस समय यारों होता है इम्तिहान / बल्ली सिंह चीमा
- मारा, लूटा, आग लगा दी वहशी डर के बारे में / बल्ली सिंह चीमा
- वो क्या जाने कौन बुरा है, कौन है अच्छा, आलम जी / बल्ली सिंह चीमा
- ख़ौफ़ दो रंग का मेरे गाँवों में है / बल्ली सिंह चीमा
- बर्फ़ से ढक गया है पहाड़ी नगर / बल्ली सिंह चीमा
- धूप से सर्दियों में ख़फ़ा कौन है / बल्ली सिंह चीमा
- मुद्दतों से राह पर आँखें बिछी हैं, आ कभी / बल्ली सिंह चीमा
- मूड उसका ख़राब है यारो / बल्ली सिंह चीमा
- फूल-सा जीवन था लेकिन ख़ार बनकर रह गया / बल्ली सिंह चीमा
- दुःख के जालों में उलझती जा रही है ज़िन्दगी / बल्ली सिंह चीमा
- बिगाड़ती है जो दिन-रात आदतें मेरी / बल्ली सिंह चीमा
- वो अगर बेरहम नहीं होता / बल्ली सिंह चीमा
- वो मिला था मुझे कुछ उजाले लिए / बल्ली सिंह चीमा
- तेरी आँखों के जंगल में खोया फिरे / बल्ली सिंह चीमा
- हमारी याद को चाहो तो ताक़ पर रखना / बल्ली सिंह चीमा
- नाम कोई पता न घर कोई / बल्ली सिंह चीमा
- उसने पतझड़ में कहा, मौसम सुहाना आ गया / बल्ली सिंह चीमा
- कहे है दिल कि कोई फ़ैसला तो कर, बल्ली / बल्ली सिंह चीमा
- कुछ शेर / बल्ली सिंह चीमा
गीत
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
- / बल्ली सिंह चीमा
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