दरिया दरिया-साहिल साहिल
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रचनाकार | ज़ाहिद अबरोल |
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प्रकाशक | सभ्या प्रकाशन, डबल्यू एच,इंडस्ट्रिअल एरिया फ़ेज़-1,मायापुरी,नई दिल्ली-110064 |
वर्ष | 2014 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़ल संग्रह |
विधा | |
पृष्ठ | 156 |
ISBN | 978-93-83785-11-7 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- हम्द / ज़ाहिद अबरोल
- दरिया को पागल करने को अक्स-ए-समुन्दर काफ़ी था / ज़ाहिद अबरोल
- जब एहसास की झील में हमने दर्द का कंकर फेंका है / ज़ाहिद अबरोल
- सहरा से जंगल में आकर छाँव में घुलती जाए धूप / ज़ाहिद अबरोल
- सूरत-ए-शम'अ जले हैं लेकिन नाम मिला परवानों का / ज़ाहिद अबरोल
- शोर की बाहों में गीतों का जिस्म पिघलते देखा है / ज़ाहिद अबरोल
- कौन किसी की जान पे यारो आफ़त बन कर आता है / ज़ाहिद अबरोल
- वो पत्थर फेंके तो कहें सब बच्चा कोई बरहम है / ज़ाहिद अबरोल
- आँख झपकते ही साजन ने जीवन का मुख मोड़ दिया / ज़ाहिद अबरोल
- हर कोई इस सोच में गुम है कोई कहीं से आये तो / ज़ाहिद अबरोल
- पढ़ के तू जिन को अकेले में हँसा करता है / ज़ाहिद अबरोल
- इश्क़ का फूल तो सहरा में खिला करता है / ज़ाहिद अबरोल
- लफ़्ज़ फिसला तेरे होंठों से हवा में अटका / ज़ाहिद अबरोल
- खुल गई आँख फ़िरासत का खुला दरवाज़ा / ज़ाहिद अबरोल
- शादमानी में कभी दर्द से ढलते हुए रंग / ज़ाहिद अबरोल
- छोड़ जा साथ मगर मेरी दुआ तो ले जा / ज़ाहिद अबरोल
- इक न इक दिन इसी धरती पे गिरेगा यारो / ज़ाहिद अबरोल
- मैं इक इसरार था कोई भी न समझा मुझको / ज़ाहिद अबरोल
- ज़िह्न पर एक सियह्पोश घटा छाई है / ज़ाहिद अबरोल
- छत टपकती है किसी दीदा-ए-तर की सूरत / ज़ाहिद अबरोल
- देखकर ख़्वाब किसी और ज़मीं के यारो / ज़ाहिद अबरोल
- ख़ुद को समझा लिया दिल कर लिया समतल मैंने / ज़ाहिद अबरोल
- अपने वा’दों में गिनाते हो मुझे क्या-क्या कुछ / ज़ाहिद अबरोल
- चांदनी रात है मुबहम -सा इशारा कर लें / ज़ाहिद अबरोल
- दूर बिलकुल नहीं वो वक़्त है आने वाला / ज़ाहिद अबरोल
- बात कहनी है तो फिर ठोक बजाकर कहिये / ज़ाहिद अबरोल
- यास-ओ-ग़म,दर्द-ओ-हवादिस के हैं साये कितने / ज़ाहिद अबरोल
- ख़ाक-दर-ख़ाक ही मिलते देखे / ज़ाहिद अबरोल
- रात को रात तभी समझे जब नींद ने हमको घेरा बाबा / ज़ाहिद अबरोल
- उफ़! व अव्वल-ए-शब का तबस्सुम,आह वो आख़िर-ए-शब के आँसू / ज़ाहिद अबरोल
- आधी बात ज़बाँ से आधी आँखों से कहता है / ज़ाहिद अबरोल
- याद की शिद्दत बढ़ते बढ़ते दिल का दर्द बढ़ा है / ज़ाहिद अबरोल
- अपनों का दिल तोड़ के बाबा / ज़ाहिद अबरोल
- दुख दे दे सुख ले ले बाबा / ज़ाहिद अबरोल
- उम्र बिताने को काफ़ी / ज़ाहिद अबरोल
- सबके दिल में इक डर है / ज़ाहिद अबरोल
- इंसां के अन्दर के डर / ज़ाहिद अबरोल
- ख़ूब हमारे प्यार जाँचा परखा होगा / ज़ाहिद अबरोल
- दिलरुबा, दिलदार, दिलआरा न था / ज़ाहिद अबरोल
- सोचता हूँ क्या था अब क्या हो गया / ज़ाहिद अबरोल
- साक़िया! पीने दे मुझको बे हिसाब / ज़ाहिद अबरोल
- जब भी कोई ग़म नया हमको मिला / ज़ाहिद अबरोल
- तरही ग़ज़ल: क़िस्सा-ए-मक़्तूल-ओ-क़ातिल एक और / ज़ाहिद अबरोल
- झील की मानिंद सोचूँ और दरिया की तरह बहता रहूँ / ज़ाहिद अबरोल
- यास में भीगी महानगरों की तलछट के सिवा / ज़ाहिद अबरोल
- जब से अपनाई है फ़ितरत उस कली ने ख़ार की / ज़ाहिद अबरोल
- तुमने सोचा था ज़वाल-ए-ज़ीस्त से डर जाऊँगा / ज़ाहिद अबरोल
- बेख़बर अपने सितम से यह जहाँ क्यूँ हो गया / ज़ाहिद अबरोल
- सबकी सुन लो हर शिकायत और शिकवा जान लो / ज़ाहिद अबरोल
- यास के थपेड़ों से आस को बचा कर रख / ज़ाहिद अबरोल
- जब भी कोई अपनों में दिल का राज़ खोलेगा / ज़ाहिद अबरोल
- कौन किसके साथी हैं कौन किसके माँ जाए / ज़ाहिद अबरोल
- एक दिन हक़ीक़त की आग में वो जलते हैं / ज़ाहिद अबरोल
- आँसुओं की नगरी से लाया हूँ मैं सौग़ातें / ज़ाहिद अबरोल
- आजकल वो क़िस्मत से ज़ोर आज़माता है / ज़ाहिद अबरोल
- वक़्त की मसाफ़त से कब निजात पाता हूँ / ज़ाहिद अबरोल
- रेल के मुसाफ़िर से जैसे कोई इस्टेशन पीछे छूट जाता है / ज़ाहिद अबरोल
- मिरे कमज़ोर लम्हे ढूँढता है / ज़ाहिद अबरोल
- मुहब्बत तिशनगी भी है नशा भी / ज़ाहिद अबरोल
- हमारे दरमियाँ जो ख़ौफ़-सा है / ज़ाहिद अबरोल
- पुराना जब नये को तोलता है / ज़ाहिद अबरोल
- उम्र भर जो दुआ माँगता ही रहा / ज़ाहिद अबरोल
- रंग-ओ-बू के तलबगार सब हैं मगर फूल का बोझ कोई न सह पाएगा / ज़ाहिद अबरोल
- पै-ब-पै हादिसों का है इक सिलसिला हादिसों से मैं बचकर किधर जाऊँगा / ज़ाहिद अबरोल
- तुम जो थे मिहरबाँ तो हर इक रंग की मुझसे बेकस पे कुर्बान थी महफ़िलें / ज़ाहिद अबरोल
- इसको इतना न मुँह लगा कि यह ग़म तेरी हस्ती मिटा भी सकता है / ज़ाहिद अबरोल
- रात यादों के राहज़न आकर हिज्र के कारवाँ को लूट गये / ज़ाहिद अबरोल
- शीशे-सा लगे है कभी पत्थर-सा लगे है / ज़ाहिद अबरोल
- वो ताब निगाहों में हो बातों में वो जादू / ज़ाहिद अबरोल
- नादार के सीने पे लगा तीर ग़लत है / ज़ाहिद अबरोल
- हमको रोको न कोई पीने से / ज़ाहिद अबरोल
- कितने अब ग़मशनास बाक़ी हैं / ज़ाहिद अबरोल
- दिल था और दिल के ग़म पुराने थे / ज़ाहिद अबरोल
- ज़िन्दगी जब तबाह होती है / ज़ाहिद अबरोल
- बाब में जुड़ रहा है बाब इक और / ज़ाहिद अबरोल
- ज़िन्दगी ग़म से भर गई यारो / ज़ाहिद अबरोल
- हाथों में किसी शै के हम सबका मुकद्दर है / ज़ाहिद अबरोल
- मासूम परिन्दों के टूटे हुए पर देखो / ज़ाहिद अबरोल
- आँसुओं से नम लम्हे / ज़ाहिद अबरोल
- सज़ा का क़स्द गुनाहों का तजज़िया भी न था / ज़ाहिद अबरोल
- किसी से रिश्ता-ए-उम्मीद जोड़ता क्यूँ है / ज़ाहिद अबरोल
- हज़ारों इंसाँ के लाखों ख़ुदा के सूरज हैं / ज़ाहिद अबरोल
- मुलाज़मत से मिली है अभी निज़ात मुझे / ज़ाहिद अबरोल
- हर एक दिल दिल-ए-शाइर में ढल गया होगा / ज़ाहिद अबरोल
- नफ़स नफ़स में तलातुम है बेक़रारी है / ज़ाहिद अबरोल
- दिल अपने आपको निगह-ए- ख़िरद में तोले है / ज़ाहिद अबरोल
- हसीन ढूँढा है पर्दा कमी छुपाने को/ ज़ाहिद अबरोल
- ख़ुलूस-ए-शह्र को एहसास-ए-जाविदाँ दे दे / ज़ाहिद अबरोल
- वो दर्द लायें कहाँ से कही हुई बातें / ज़ाहिद अबरोल
- मिरी हयात की कश्ती को मो’तदिल कर दो / ज़ाहिद अबरोल
- जुनून-ए-इश्क़ को देखा है और समझा है / ज़ाहिद अबरोल
- दिल की ज़मीं में आँसुओं के बीज बो गया / ज़ाहिद अबरोल
- घर आ गया कि ख़त्म हुआ है सफ़र यहाँ / ज़ाहिद अबरोल
- किस धज से ख़ुशबुओं का जनाज़ा उठा न पूछ / ज़ाहिद अबरोल
- टूटा है जिस्म-ओ-जाँ का ये रिश्ता अभी अभी / ज़ाहिद अबरोल
- इक अजनबी हूँ धुंध का चश्मा लगा के देख / ज़ाहिद अबरोल
- ख़्वाबों में ही बिताई हुई ज़िन्दगी का बोझ / ज़ाहिद अबरोल
- दुनिया ने तुझको जो कहा तस्लीम कर लिया / ज़ाहिद अबरोल
- दिल के लिए वो एक नज़र तीर बन गई / ज़ाहिद अबरोल
- वो ऐसा चाहता दर्द को साथी बनायें हम / ज़ाहिद अबरोल
- हर इक मौसम के सांचे में हमेशा ख़ुद को ढाला है / ज़ाहिद अबरोल
- ख़यालों और ख़्वाबों से भरी गुलबर्ग-सी आँखें / ज़ाहिद अबरोल
- मुतफ़र्रिक़ अशआर / ज़ाहिद अबरोल
- दरिया दरिया- साहिल साहिल / ज़ाहिद अबरोल